Saturday, December 21, 2024
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‘गरीब का बेटा’ जिसने 100 करोड़ रुपए में की बेटी की शादी, इनकम टैक्स को 4 लाख बोल कर ले लिया क्लीन चिट

20 एकड़ के क्षेत्र में फैले लालू-राबड़ी के आवासों में जब बारात आई, तब 25,000 अतिथि जमा हुए थे। जबकि बाकी पटना में आतंक का माहौल था।

बिहार में अमीर और गरीब के बीच की खाई इतनी ज्यादा बढ़ा दी गई है कि जहाँ एक तरफ अमीर नेताओं के निजी कार्यक्रमों में पैसा पानी की तरह बहाया जाता है, वहीं अधिकतर लोगों के पास साफ़ पीने का पानी तक नहीं होता। जंगलराज में ये खाई और ज्यादा गहरी और बड़ी थी। आज हम बात करेंगे लालू की बेटियों मीसा भारती और रोहिणी आचार्य की शादी की। लालू यादव के घर के कार्यक्रम तब पूरे देश की मीडिया में सुर्ख़ियों में छाए रहे थे।

लालू प्रसाद यादव और बिहार में जंगलराज, ये दोनों ही पर्यायवाची हैं। सोनिया गाँधी ने रिमोट कण्ट्रोल से मनमोहन सिंह की सरकार चलाई थी, महाराष्ट्र में बाल ठाकरे की रिमोट पर मनोहर जोशी थिरके थे और तमिलनाडु में जयललिता ने पनीरसेल्वम को बिठाया था। लेकिन, जिस तरह से बिहार में कभी किचेन से बाहर भी न निकलने वाली राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया गया, उसने बड़ी-बड़ी रिमोट कण्ट्रोल सरकारों को चित कर दिया।

बिहार का जंगलराज और लालू यादव की बेटी की शादी

मई 2002 में पत्रकार संतोष झा ने लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य की शादी के लिए बनाए गए मंच को किसी शादी फंक्शन के लिए बना सबसे कीमती मंच करार दिया था। उनका आकलन था कि न सिर्फ बिहार, बल्कि पूरे देश में शायद ही इतना महँगा स्टेज तैयार किया गया हो, वो भी शादी के लिए। मई 23, 2002 को हुई इस शादी के दौरान जयमाला का मंच तैयार करने के लिए 1 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।

इतना ही नहीं, अतिथियों के लिए खाने-पीने की मेनू में 150 आइटम्स थे, जिनमें से वो चुन सकते थे। बिहार का शायद ही कोई बड़ा नेता रहा होगा, जिसे इस शादी में न बुलाया गया हो। इस शादी में 100 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, और वो भी बिहार सरकार के। ये उस राज्य की कहानी है, जिसके पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक के लिए रुपए नहीं थे। अब आप सोच लीजिए कि 18 साल पहले हुआ ये समारोह कितना खर्चीला रहा होगा!

तब उस समारोह में उपस्थित रहे समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता अमर सिंह ने एक मुहावरा कहा था, जो इस पूरे घटनाक्रम पर सबसे सटीक बैठता है – “जब सैंया भए कोतवाल, तो डर काहे का?” वहीं जब किसी ने लालू यादव से इतने बड़े खर्चीले समारोह को लेकर पूछा तो राजद सुप्रीमो ने कहा कि उन्होंने तो कुछ खर्च किया ही नहीं है, ये सारी व्यवस्थाएँ उनके समर्थकों और ‘शुभचिंतकों’ द्वारा की गई हैं।

ये वो शादी थी, जिसमें राजद के नेता-कार्यकर्ता तो छोड़िए, बिहार सरकार का हर महकमा लगा हुआ था, सारे अधिकारी लगे हुए थे। उस समय पूरे बिहार के कामकाज को ठप्प कर के उन अधिकारियों का एक ही उद्देश्य था – लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य की शादी। पूछने पर किसी अधिकारी ने कहा था, ‘लालू यादव और मुख्यमंत्री की बेटी, यानी बिहार की बेटी‘। यानी, लालू यादव के परिवार का विकास और चापलूसी, मतलब बिहार का भला।

राजद समर्थकों का ऐसा हुजूम था कि विपक्षी पार्टी तक के नेता इस पर बोलने से हिचकते थे। लालू यादव के राजद कार्यकर्ताओं में ऐसा क्रेज था कि उनके लिए जान लेना-देना तो जैसे इन गुंडे-बदमाशों के लिए बाएँ हाथ का खेल था। करोड़ों रुपए बहाए जा रहे थे और उसे जनता का दान बताया जा रहा था, शुभचिंतकों द्वारा की गई व्यवस्था कहा जा रहा था। ये सब कुछ इतनी बेशर्मी से हो रहा था, जैसे उन्हें किसी क़ानून, किसी जाँच का डर न हो।

लालू यादव के साले सुभाष यादव और साधु यादव सहित उनके कई नेता, हथियारों के साथ घूम रहे थे। गुंडे-बदमाश, माफिया और अपराधी ये सुनिश्चित करने में लगे हुए थे कि शादी में आने वाला हर व्यक्ति ‘शुभचिंतक’ ही हो, कोई आवाज़ उठाने की हिम्मत नहीं कर पाए। एक विपक्षी नेता ने कहा था कि बिहार में वोट डालने वाली जनता भले ही निरक्षर और गरीब हो, लेकिन वो चाहती है कि उनके नेता शक्तिशाली, साहसी और क़ानून से ऊपर हों – एक राजा की तरह।

बिहार की विडम्बना देखिए कि एक नेता खुद को गरीब का बेटा भी कहता था और फिर वो 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले में भी फँसा हुआ था। ऐसा व्यक्ति, जो खुद को गरीब परिवार का बता कर वोट लेता था और उसका लाइफस्टाइल ऐसा था कि बड़े-बड़े उद्योगपति भी उसके सामने फीके पड़ जाएँ। फिर वो कहता था कि उसे फँसाया जा रहा है। जब-जब उसे जमानत मिलती थी, वो क़ानून में अपना भरोसा जताता था।

यही अंतर था घोटालेबाज लालू यादव और ‘जननायक’ कर्पूरी ठाकुर में

‘ट्रिब्यून इंडिया’ में तब राजनीति में चलाए जा रहे इस कॉर्पोरेट कल्चर को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री रहे ‘जननायक’ कर्पूरी ठाकुर की बेटी की शादी को याद किया था, जो बिहार के पहले नॉन-कॉन्ग्रेस मुख्यमंत्री थे। उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए कार्ड तक नहीं छपवाया था, लालू यादव ने 10,000 कार्ड्स छपवाए थे। और आपको पता है कि किन लोगों को इन कार्ड्स को बाँटने की जिम्मेदारी दी गई थी?

लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य अपनी माँ राबड़ी देवी और भाई तेजस्वी यादव के साथ

पब्लिक रिलेशन्स विभाग के अधिकारियों, इंस्पेक्टरों, पुलिस अधिकारियों और कलक्टरों को लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य की शादी के लिए आमंत्रण-पत्र वितरित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। जबकि कर्पूरी ठाकुर ने अधिकारियों को स्पष्ट चेतावनी दी थी कि अगर वो उनकी बेटी की शादी की तैयारियाँ करते हुए या समारोह के आसपास भी पाए गए तो उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने अपने कैबिनेट तक के साथियों को इसकी सूचना नहीं दी थी।

जब मंत्रियों ने कर्पूरी ठाकुर से पूछा कि उन्हें कोई मदद चाहिए, तो उन्होंने जवाब दिया कि ये कर्पूरी ठाकुर की बेटी की शादी है, बिहार के मुख्यमंत्री की नहीं। 70 के दशक में उन्होंने मात्र 10-11 हजार रुपए खर्च किए थे। वहीं लालू यादव की बेटी की शादी में तो खर्च का कोई हिसाब-किताब ही नहीं था। जब कर्पूरी ठाकुर के जिले का डीएम उनके यहाँ पहुँचा तो उसे वापस जाकर अपनी आधिकारिक ड्यूटी निभाने को कहा गया।

वहीं जब लालू प्रसाद यादव अपने होने वाले समधी के घर तिलक फलदान कार्यक्रम के लिए पहुँचे, तो हिच्छन बीघा नाम के उस गाँव में 4 जिलों की पुलिस को तैनात कर के उसे किले में तब्दील कर दिया गया था। आईजी और डीआईजी के अलावा कई सारे डीएम, एसपी, डीएसपी सहित कई अधिकारियों की 50 से अधिक कारें उनकी अगवानी के लिए खड़ी थीं। उस गाँव में सड़क, बिजली, फोन और हाईस्कूल की भी सुविधा तक नहीं थी, लेकिन रातोंरात सब बना दिया गया।

लालू यादव की बेटी की शादी के दौरान कारोबारियों में मचा था आतंक

इस समारोह के लिए बिहार सरकार के खजाने से 10 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। ये रुपए सरकारी खर्च से किस मद में खर्च किए गए, ऑडिट में क्या दिखाया जाएगा और ये रुपए रखे किसलिए गए थे, इन सबका हिसाब-किताब कहीं नहीं था। पत्रकारों का यही कहना था कि काश लालू की सैकड़ों बेटियाँ होतीं, तो शायद ऐसे ही कई गाँवों की तस्वीर बदल जाती। अव्वल तो यह कि बिहार गरीब राज्य है और उस वक़्त स्थिति और खराब थी।

इस शादी के लिए कारोबारियों और व्यापारियों तक से वसूली की गई। जिस कारोबारी से जो भी सामान लिया गया, उन्हें डरा-धमका कर। लालू यादव और राबड़ी देवी आय से अधिक संपत्ति के मामले में इनकम टैक्स विभाग की कार्रवाई का सामना कर रहे थे। जब मीसा भारती की शादी हुई थी, उसके बाद ही लालू और उनके पहले समधी को आईटी नोटिस मिला था, लेकिन मजाल था कि इनके खिलाफ कोई कार्रवाई हो जाए?

हाँ, तमिलनाडु में जयललिता के बेटे और माधवराव सिंधिया की बेटी की शादी उस जमाने में पूरे भारत में भव्य मानी गई थी लेकिन जहाँ जयललिता एक बहुत बड़ी फिल्म स्टार रह चुकी थीं, सिंधिया परिवार के पास अब भी खानदानी धन-दौलत की कोई सीमा नहीं है। लालू यादव का किस्सा उलट था। उनकी संपत्ति बिहार की लूटी हुई संपत्ति थी। रोहिणी की शादी में 20 मंत्री, 40 विधायक और कई डीएम-एसपी लगे हुए थे।

मुख्यमंत्री आवास की तरफ जाने वाली सभी सड़कों को ब्लॉक कर के ट्रैफिक मेंटेन किया जा रहा था और इसमें जिला-प्रखंड स्तर के अधिकारी लगाए गए थे। बिजली, भोजन और गाड़ियों से लेकर हर चीज के लिए अलग-अलग मंत्री की जिम्मेदारी थी। अब वो भी आपस में प्रतियोगिता कर रहे थे, ताकि उनका काम सबसे बेहतर हो और मुख्यमंत्री की कृपा उन पर बरसे। विपक्षी नेता भी बयान दे रहे थे तो नाम न छपने की शर्त पर।

अपने पति के साथ लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य

पटना के 1, अणे मार्ग में जब राव समरेश सिंह बारात लेकर आए तो वो एक ‘राजसी रथ’ पर सवार थे, जो एक पुराना बिहार मिलिट्री पुलिस बग्गी था। 20 एकड़ के क्षेत्र में फैले लालू-राबड़ी के आवासों में जब बारात आई, तब 25,000 अतिथि जमा हुए थे। जबकि बाकी पटना में आतंक का माहौल था। आलम ऐसा था कि एक बड़ी कम्पनी ने पटना में अपनी दुकानों को बंद कर के कर्मचारियों को कोलकाता शिफ्ट कर दिया था।

मारुती के शोरूम वाले का तो कहना था कि उन्होंने पहले ही कई कारें दे दी थीं लेकिन इसके बावजूद उनके शोरूम से 10 लक्जरी गाड़ियाँ ले जाया गया। गाड़ियों की दुकानों में से जबरन गाड़ियाँ खिंचवा ली गईं। वहीं बिहार पुलिस लालू के डर से हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई थी और कह रही थी गाड़ियाँ वापस हो जाएँगी तो सब ठीक हो जाएगा। कुछ गाड़ियाँ वापस की तो गईं, लेकिन उन्हें खरीदने वालों ने वो गाड़ियाँ लेने से इनकार कर दिया।

‘इंडिया टुडे’ मैग्जीन में तभी छपी एक रिपोर्ट में दिए गए आँकड़ों के अनुसार, अलग-अलग शोरूम्स से न सिर्फ 50 गाड़ियाँ जबरन उठा ली गईं बल्कि 6 पंडालों को सजाने के लिए कई फर्नीचर दुकानों से 100 से भी अधिक सोफे उठा लिए गए। बिजली विभाग को 25 लाख का घाटा हुआ। बैंकॉक सहित बड़े अंतरराष्ट्रीय शहरों से फूल लाए गए। लालू खुद कहते थे कि वो आयकर विभाग के डर के बीच नहीं जी सकते।

जिस राय इंद्रजीत सिंह के बेटे से लालू की बेटी की शादी हुई, वो इनकम टैक्स विभाग में कार्यरत थे। वो 1970 बैच के आईआरएस अधिकारी थे। उनसे उनके बेटे का हाथ माँगने के लिए खुद लालू मुंबई गया था। लालू के दामाद आईटी कम्पनी में कार्यरत थे। राय इंद्रजीत सिंह की जब मृत्यु हुई थी, उसके बाद भी लालू यादव उनके घर गया था और ये वो अंतिम बार था, जब वो उनके गाँव गया। लालू फ़िलहाल जेल में सजा काट रहा है।

मीसा भारती की शादी में खर्च हुए थे मात्र 4 लाख रुपए?

इसी तरह मीसा भारती की शादी में भी 1999 में जम कर खर्च किया गया था। कई लोगों ने तब तंज कसा था कि खुद को सेक्युलर बताने वाले लालू यादव ने अपनी बेटी की शादी के लिए अपनी जाति का ही लड़का ढूँढ़ा। मीसा भारती के पति शैलेन्द्र कुमार भी आईटी इंजीनियर ही थे। मेडिकल की पढ़ाई करने वाली मीसा भारती के बारे में कहा जाता है कि जब राबड़ी देवी पहली बार मुख्यमंत्री बनी थीं, तब वो ही सरकार चलाने में उनकी सहायता करती थीं।

कहा जाता था कि मीसा भारती एकदम धूर्त टेम्पर्ड हैं और वो अधिकारियों की एक नहीं सुनती थीं। कई बार उनका अधिकारियों से झगड़ा भी हो जाता था। उनकी शादी में भी बड़े-बड़े नेताओं से लेकर फ़िल्मी हस्तियों तक का जमघट लगा था। सजावट के लिए फुल वगैरह कोलकाता से आए थे। कुल 10,000 अतिथि समारोह में मौजूद थे। क़ानून का मजाक देखिए कि इस शादी के खर्च के लिए लालू-राबड़ी को आईटी विभाग का नोटिस मिला लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि इसमें मात्र 4 लाख रुपए खर्च हुए हैं, और उन्हें क्लीन चिट मिल गई।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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