चुनाव का समय नज़दीक है। इस बीच चुनाव आयोग ने शनिवार (मार्च 30, 2019) को 41 राजनीतिक दलों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार का शोर थमने यानी कि ‘साइलेंस पीरियड’ के दौरान कोई भी नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर या फिर अखबार व टीवी के माध्यम से इंटरव्यू नहीं दे सकते।
लोकसभा के लिए सात चरणों में मतदान होगा। पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होगा, जिसके 48 घंटे पहले यानी कि 9 अप्रैल को इस चरण के लिए चुनाव प्रचार थम जाएगा। मगर चुनाव आयोग ने ये निर्देश दिया है कि पहले चरण का चुनाव प्रचार थमने के बाद नेता दूसरे चरण में होने वाले मतदान क्षेत्रों में भी ऐसे भाषण नहीं दे सकते, जिससे पहले चरण के क्षेत्र के लिए वोट अपील करने का भाव उत्पन्न होता हो। आयोग ने यह निर्देश सभी प्रदेशों के मुख्य सचिवों तथा निर्वाचन अधिकारियों को भेज दिया है।
इसके साथ ही चुनाव आयोग ने सभी दलों से कहा है कि वे अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिदायत दें कि वे साइलेंस पीरियड का पूर्ण रूप से पालन करें। वे ऐसा कोई काम न करें, जो जनप्रतिनिधि कानून की धारा 126 की भावना के खिलाफ हो। चुनाव के 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार थमने के साथ ही ‘ड्राइ डे’ घोषित कर दिया जाएगा, और ये मतदान के समाप्त होने तक जारी रहेगा। यह आदेश विशेष प्रकार के लिकर लाइसेंस वाले संस्थानों पर भी लागू होगा।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने शनिवार (मार्च 16, 2019) को चुनाव आचार संहिता के नियमों में घोषणापत्र से संबंधित प्रावधानों को जोड़ते हुए कहा था कि मतदान से दो दिन पहले तक ही राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र जारी कर सकेंगे। प्रचार अभियान थमने के बाद यानी कि मतदान से 48 घंटे की अवधि में घोषणा पत्र जारी नहीं किया जा सकेगा। चुनाव आयोग के प्रमुख सचिव नरेन्द्र एन बुतोलिया ने सभी राजनीतिक दलों और राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को एक दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा था कि यह समय सीमा एक या एक से अधिक चरण वाले चुनाव में समान रूप से लागू होगी।