कॉन्ग्रेस नेता और पाटीदार आंदोलन के अगुआ रहे हार्दिक पटेल के लोकसभा चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। सुप्रीम कोर्ट ने हार्दिक पटेल को झटका देते हुए लोकसभा चुनाव लड़ने की अनुमति देने वली याचिका पर जल्द सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि याचिका पर नियमित क्रम में ही सुनवाई होगी।
कोर्ट के इस फैसले के बाद ये साफ हो गया है कि हार्दिक आगामी चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएँगे। बता दें कि, हार्दिक ने गुजरात हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील की थी, जिसमें उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई थी। हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के लिए उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई है। हार्दिक ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि उनकी सजा को निलंबित रखा जाए और साथ ही अदालत इस याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई करे, ताकि वो चुनाव लड़ सकें। मगर हार्दिक को यहाँ भी राहत नहीं मिली। ‘रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट 1951’ के मुताबिक अगर किसी शख्स को दो साल की सजा मिली है तो वो चुनाव नहीं लड़ सकता है।
Supreme Court declines urgent hearing of Patidar leader Hardik Patel’s plea seeking a suspension of his conviction in a 2015 case relating to rioting, so that he can contest the upcoming Lok Sabha elections. (file pic) pic.twitter.com/5AMtzD3SqC
— ANI (@ANI) 2 April 2019
नामांकन की आखिरी तारीख 4 अप्रैल है। इस फैसले से हार्दिक के साथ-साथ कॉन्ग्रेस पार्टी को भी झटका लगा है, क्योंकि 12 मार्च को कॉन्ग्रेस में शामिल हुए हार्दिक पटेल को पार्टी जामनगर से चुनाव लड़ाने की तैयारी में थी और हार्दिक ने भी जामनगर से कॉन्ग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी।
गौरतलब है कि हार्दिक को राज्य के महेसाणा जिले के विसनगर में 23 जुलाई 2015 को एक आरक्षण रैली के दौरान हुई हिंसा और तत्कालीन स्थानीय भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय पर हमले और तोड़फोड़ के मामले में पिछले साल 25 जुलाई को एक स्थानीय अदालत ने 2 साल के साधारण कारवास की सजा सुनाई थी। उन पर जुर्माना भी लगाया गया था।