केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने लोकसभा चुनाव 2024 में अपने सबसे बड़े सहयोगी कॉन्ग्रेस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। पिनराई विजयन ने कॉन्ग्रेस को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पिछलग्गू बताते हुए कॉन्ग्रेस की गारंटियों पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस ने अपने घोषणापत्र में ‘सीएए को वापस लेने’ की बात ही नहीं कही है, जो संघ की विचारधारा को ही आगे बढ़ा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शनिवार (6 अप्रैल 2024) को केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इंडी गठबंधन की अपनी ही सहयोगी पार्टी कॉन्ग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस हिंदुत्व की राजनीति से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने में विफल रही। उन्होंने कॉन्ग्रेस पर संघ परिवार जैसा रुख अपनाने का भी आरोप लगाया।
केरल के अलप्पुझा में लोगों को संबोधित करते हुए पिनराई विजयन ने कहा , “सीपीआई (एम) ने घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि वो सीएए कानून को रद्द करेगी, लेकिन कॉन्ग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में इस मुद्दे पर एकदम चुप्पी साध रखी है। बता दें कि सीपीआई (एम) ने अपने घोषणापत्र में गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) समेत कई “कठोर” कानूनों की आलोचना की है और सत्ता में आने पर उन्हें खत्म करने का वादा किया है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के मुखर विरोधी विजयन ने पहले ही घोषणा कर रखी है कि केरल में वो इस कानून को लागू नहीं होने देंगे। इस बात को याद दिलाते हुए विजयन ने कहा, “कई घटनाओं के बावजूद कॉन्ग्रेस इस कानून पर खुलकर कुछ भी नहीं बोलती है। उसका यह रुख नागरिकता संशोधन कानून पर कॉन्ग्रेस पार्टी के रवैये पर सवाल उठाता है। कॉन्ग्रेस का रुख हमेशा संघ परिवार के साथ जुड़ा रहा है।”
पी विजयन ने कहा, “पिछले पाँच साल के अनुभव से लोग समझ गए हैं कि कॉन्ग्रेस पार्टी को वोट देने का कोई मतलब नहीं है। वामपंथी दल देश में खतरनाक नीतियाँ लागू करने वाली भाजपा को उखाड़ फेंकने के लिए लोगों से वोट माँग रहे हैं। हम चंद वोटों के लिए अपनी राजनीति नहीं बदलते।” विजयन ने टिप्पणी की कि आगामी चुनाव राष्ट्र की दिशा तय करेंगे, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कॉन्ग्रेस को वोट देना व्यर्थ होगा।
भारतीय जनता पार्टी के बारे में उन्होंने कहा, “हम यह चुनाव भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए लड़ रहे हैं और इसीलिए हम राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी मोर्चे में सक्रिय रूप से शामिल हुए हैं। हम एक बात स्पष्ट करना चाहेंगे। केरल में भाजपा को न केवल सभी 20 सीटों पर हार का सामना करना पड़ेगा, बल्कि वे इस बार किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में दूसरा स्थान हासिल करने में भी असफल रहेंगी।। बता दें कि केरल में 20 लोकसभा सीटें हैं और यहाँ आम चुनाव के दूसरे चरण के दौरान 26 अप्रैल को मतदान होना है। वोटों की गिनती 4 जून को होनी है।
कॉन्ग्रेस के एक दिन बाद सीपीआईएम ने जारी किया अपना घोषणापत्र
गौरतलब है कि गुरुवार (4 अप्रैल 2024) को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया था। सीपीआई-एम के पास लोकसभा में सिर्फ 3 सीटें हैं। उसने अपने 44 पन्ने के घोषणापत्र [पीडीएफ] में अपने नापाक एजेंडे को विस्तार से रखा है। सीपीआईएम ने मोदी सरकार द्वारा लागू की गई दूरदर्शी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को रद्द करने की कसम खाई है। इसने पार्टी के सत्ता में आने पर निजी क्षेत्र में शिक्षा और रोजगार में जाति-आधारित आरक्षण शुरू करने का भी आश्वासन दिया है।