प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए विपक्षी दलों द्वारा बनाए गए INDI गठबंधन ‘मिट्टी का माधो’ ही साबित हो रहे हैं। विपक्षी दल अपने-अपने फायदे को लेकर अड़े हुए हैं। उनके बीच समन्वय नाम की चीज तक विकसित नहीं हो पाई है। अब यह बिखराव मध्य प्रदेश में देखने के बाद महाराष्ट्र में भी कॉन्ग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) के बीच देखने को मिल रही है।
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में अब लगभग चार महीने का वक्त बचा है। ऐसे में कॉन्ग्रेस ने अपनी सहयोगी दल शिवसेना (यूबीटी) की माँग को खारिज कर दिया है। ठाकरे की पार्टी ने महाराष्ट्र की कुल लोकसभा सीटों- 48 में से 23 सीटों की माँग की है। कॉन्ग्रेस ने यह माँग ऐसे समय में खारिज की है, तब वह नागपुर में अपनी स्थापना की 138वीं वर्षगाँठ मना रही है।
दरअसल, कॉन्ग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा कि शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को बेहद कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनकी पार्टी में विभाजन के कारण उनके पास उम्मीदवारों की कमी है। बता दें कि शिवसेना दो गुटों में बँट गई है। एक गुट उद्धव ठाकरे का है तो दूसरा एकनाथ शिंदे का है, जो महाराष्ट्र में भाजपा के साथ सत्ता में है। शिवसेना के अधिकांश नेता शिंदे गुट के साथ हैं।
निरुपम ने कहा कि नेताओं को जीतने वाली सीटों पर विवाद से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, “शिवसेना 23 सीटों की माँग कर सकती है, लेकिन वे उनका क्या करेंगे? उनके पास नेता नहीं हैं।” बैठक में कॉन्ग्रेस के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि शिवसेना और शरद पवार की राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (NCP) में विभाजन हो गया है। इसके बाद राज्य में स्थिर वोट शेयर वाली एकमात्र पार्टी अभी कॉन्ग्रेस ही है।
वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि गठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच समायोजन की जरूरत है। चव्हाण ने कहा, “हर पार्टी सीटों में बड़ी हिस्सेदारी चाहती है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए शिवसेना की 23 सीटों की माँग बहुत अधिक है।”
पिछले हफ्ते शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने कहा था कि उन्होंने अपनी पार्टी के नेता उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे के साथ हाल ही में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के साथ-साथ एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ INDI अलाएंस की बैठक में बातचीत की थी। हालाँकि, कॉन्ग्रेस और एनसीपी कितने सीटों पर लड़ेगी, इसको लेकर राउत ने कुछ नहीं कहा।
बताते चलें कि साल 2019 से पहले शिवसेना बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन का हिस्सा थी। इसके बाद उद्धव ठाकरे कॉन्ग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन बनाए और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने 40 अन्य विधायकों के साथ मिलकर ठाकरे से विद्रोह कर दिया और अलग शिवसेना बना ली। इसके बाद MVA सरकार गिर गई।