राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह ने मंगलवार (सितंबर 10, 2019) को लखनऊ में कहा कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को गिराए जाने की घटना किसी षडयंत्र का हिस्सा नहीं, बल्कि सदियों से करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को दबाए जाने का परिणाम था। बता दें कि, दिसंबर 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने सीबीआई को कल्याण सिंह के मामले में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। इस पर सीबीआई ने एक आवेदन दायर किया था, जिस पर बुधवार (सितंबर 11, 2019) को सुनवाई होगी।
Former Governor of Rajasthan, Kalyan Singh: There was no conspiracy, what happened was unexpected & unprecedented. The incident of 6th December 1992, in which that structure collapsed was result of an explosion of feelings of crores of Hindus that were suppressed for centuries. pic.twitter.com/Ic6qbga1Bx
— ANI (@ANI) September 10, 2019
कल्याण ने कहा, “अभी तक मैं राजस्थान का राज्यपाल था और मुझे समन नहीं किया जा सकता था। लेकिन अब मुझसे पूछताछ की जाएगी। इसके लिए मैं कोर्ट में पेश होऊँगा। मैं वहाँ पर सभी सवालों का जवाब दूँगा।” उन्होंने कहा, “मैं कोर्ट का सम्मान करता हूँ। यदि सीबीआई मुझसे पूछताछ करना चाहती है तो मैं इसे स्वीकार करता हूँ। वे इसके लिए जब भी तारीख तय करते हैं, मैं उस दौरान हाजिर रहूँगा। यह मुद्दा अदालत में है और 12-13 लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। मैं कोर्ट को बताऊँगा कि इसमें कोई साजिश नहीं था।”
पूर्व राज्यपाल ने कहा कि अयोध्या करोड़ों भारतीयों की आस्था का केंद्रबिंदु है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होता है तो इससे करोड़ों भारतीयों की इच्छा पूरी होगी। उन्होंने कहा कि वो राम मंदिर निर्माण का समर्थन करते हैं। यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। उन्होंने कहा, “हम लोग कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। फैसला आने के बाद केंद्र सरकार को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। मेरा पक्ष इस मुद्दे पर पूरी तरह स्पष्ट है।”
इससे पहले, दोबारा बीजेपी का सदस्य बनने के बाद उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को राम मंदिर मुद्दे पर अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि सभी राजनीतिक दलों को बताना चाहिए कि वे अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में हैं या नहीं। उन्होंने सुझाव दिया कि मुस्लिम पक्ष को इस मामले में अपने दावे को वापस लेने के पक्ष में सोचना चाहिए। इससे देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित होगी।