Sunday, November 17, 2024
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‘न तो BJP ने बंधक बनाया, न ही कोई लालच दिया गया… मंत्री नहीं बना, इसलिए गुस्से में तीर्थ यात्रा पर गया’

गायब हुए 10 विधायकों में से एक सुरेंद्र सिंह शेरा भी भोपाल पहुँच गए। निर्दलीय विधायक शेरा दिल्ली से वापस लौटे। उन्होंने कहा कि उन्हें अगवा नहीं किया गया था। वो अब भी कॉन्ग्रेस के साथ हैं।

मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से चल रहे सियासी ड्रामे ने मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। राज्य में अब उन विधायकों की मान-मनौव्वल की जा रही है, जिनकी पिछले एक साल से मंत्री और अधिकारी तक नहीं सुन रहे थे। इस बीच 5 दिन से लापता अनूपपुर से कॉन्ग्रेस विधायक बिसाहू लाल सिंह रविवार (मार्च 8, 2020) को भोपाल लौट आए हैं। यहाँ वो मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिले और अपनी बात रखी।

हालाँकि इस दौरान उन्होंने इस बात को माना कि वरिष्ठ होने के बावजूद कमलनाथ सरकार में मंत्री पद न मिलने को लेकर वो नाराज हैं। उन्होंने कमलनाथ सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “जब जूनियर्स को मंत्री बनाया जाता है और कई बार विधायक होने के बावजूद आपको मंत्री नहीं बनाया जाता है, तो गुस्सा आना स्वाभाविक है। अगर आपके हितों की रक्षा नहीं की जाती है, तो इसमें गुस्सा होने में कुछ भी गलत नहीं है।”

बता दें कि पिछले दिनों वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया था और मुख्यमंत्री कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने भी आरोप लगाया कि बिसाहू लाल सिंह पिछले तीन दिनों से बेंगलुरु में भाजपा के चंगुल में फँसे हुए थे। हालाँकि बिसाहू लाल सिंह ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उन्हें न तो बीजेपी ने बंधक बनाया था और न ही किसी तरह का कोई लालच दिया था, बल्कि वो तीर्थ यात्रा के लिए दक्षिण भारत की मंदिरों में गए थे। 

मुख्यमंत्री से मिलने के बाद उन्होंने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि वो चार दशकों से कॉन्ग्रेस के साथ हैं और अब भाजपा में शामिल नहीं होना चाहते। वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें मंत्री पद का आश्वासन दिया गया है, तो उन्होंने सवाल को टाल दिया, लेकिन कहा कि वह मंत्री बनने के अवसर का स्वागत करेंगे, जब मौका आएगा, तब देखेंगे।

बिसाहू लाल सिंह ने दावा किया कि इस तीर्थ यात्रा के दौरान भी वो लगातार अपने परिवार के संपर्क में थे। जब उनसे सवाल किया गया कि उनके बेटे ने भोपाल के एक पुलिस स्टेशन में उनके लापता होने की रिपोर्ट लिखाई थी तो उन्होंने कहा कि यह कुछ नेताओं की साजिश थी। घरवालों ने उनके दबाव में ऐसा किया लेकिन इसके पीछे किसका हाथ है, इसके बारे में वो नहीं बता सकते।

गौरतलब है कि एक दिन पहले शनिवार (मार्च 7, 2020) को गायब विधायकों में से एक सुरेंद्र सिंह शेरा भी भोपाल पहुँच गए थे। राज्य के बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक शेरा दोपहर की फ्लाइट से दिल्ली से वापस लौटे। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें अगवा नहीं किया गया था। वो अब भी कॉन्ग्रेस के साथ हैं। हालाँकि फिलहाल कॉन्ग्रेस विधायक एंदल सिंह कंसाना और हरदीप डंग को लेकर स्थिति साफ नहीं हुई है।

गायब हुए 10 विधायकों में से अब केवल कॉन्ग्रेस के दो विधायक हरदीप सिंह डंग एवं रघुराज कंसाना ही बचे हैं, जो अब तक गायब हैं। माना जा रहा है कि वे वर्तमान में बेंगलुरु में हैं। इसी बीच, मध्यप्रदेश के गृह मंत्री बाला बच्चन ने यहाँ संवाददाताओं को बताया, “बाकी दोनों विधायकों को भी जल्द ही वापस लाया जाएगा।” हालाँकि, हरदीप सिंह अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष को पहले ही भेज चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि मंगलवार (3 मार्च, 2020) को 10 विधायक गायब हो गए थे, जिनमें दो बसपा, एक सपा, एक निर्दलीय एवं बाकी कॉन्ग्रेस के विधायक थे। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि भाजपा नेता इन विधायकों को हरियाणा के एक होटल में ले गए हैं और कमलनाथ की सरकार को गिराने के लिए उन्हें करोड़ों रुपए का आफर दे रहे हैं। हालाँकि वापस आए सभी विधायकों ने इस आरोप को खारिज कर दिया है।

बता दें कि 2 विधायकों का निधन होने के बाद अभी मध्य प्रदेश की 288 सदस्यीय विधानसभा में फ़िलहाल कॉन्ग्रेस के 114 विधायक हैं और वो निर्दलीयों के समर्थन से सरकार चला रही है। 4 निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायक के सहारे कमलनाथ की सरकार चल रही है। बसपा का एक विधायक पार्टी से निलंबित किया जा चुका है। भाजपा के पास 107 विधायक हैं और कॉन्ग्रेस के पास 121 विधायकों का समर्थन है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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