मध्य प्रदेश विधानसभा में ‘मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2021’ सोमवार (मार्च 8, 2021) को पारित हो गया। विधेयक में शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की कैद एवं 1 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की स्वीकृति मिलने पर यह कानून नौ जनवरी को अधिसूचित ‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020’ की जगह लेगा। प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने एक मार्च को इस विधेयक को सदन में पेश किया था और सोमवार को चर्चा के बाद इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
शिवराज सरकार का कहना है कि सरकार ने सोच समझकर इस बिल को असेंबली के पटल पर रखा था। चर्चा के बाद इसे कानून बनाने का फैसला किया गया। वोटिंग के जरिए सदस्यों की रायशुमारी की गई तो ज्यादातर विधायक इसके समर्थन में दिखे।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 1 मार्च को विधानसभा में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2020 पेश किया था। इस विधेयक पर 5 मार्च को चर्चा होनी थी। बजट पर चर्चा होने की वजह विधेयक पर चर्चा नहीं की जा सकी। इसके बाद इस पर चर्चा के लिए महिला दिवस यानि आज का दिन तय किया गया था। सरकार की तरफ से आज सदन में बताया गया कि वो इसे कानून का दर्जा देना चाहती है।
स्पीकर गिरीश गौतम ने कॉन्ग्रेस की माँग पर इस विधेयक पर चर्चा के लिए डेढ़ घंटे का समय निर्धारित किया था। शिवराज सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कॉन्ग्रेस नेताओं को चुनौती दी थी कि यदि सही मायने में वे महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं तो इसका समर्थन करें।
कानून के अनुसार, ‘‘अब जबरन, भयपूर्वक, डरा-धमका कर, प्रलोभन देकर, बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कर विवाह करने और करवाने वाले व्यक्ति, संस्था अथवा स्वयंसेवी संस्था के खिलाफ शिकायत प्राप्त होते ही संबंधित प्रावधानों के मुताबिक आरोपितों के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। धर्मांतरण और इसके पश्चात होने वाले विवाह के 1 महीने पहले जिलाधीश के पास लिखित में आवेदन करना होगा। राज्य सरकार के इस कानून का उल्लंघन करने वाली किसी भी शादी को शून्य माना जाएगा।’’
बिना आवेदन किए धर्मांतरण करने वाले या ऐसा कराने वाले के लिए भी कानून में 5 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित के साथ उसके माता-पिता, परिजन या अभिभावक कर सकते हैं। कानून के मुताबिक, धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन निरस्त करने का प्रावधान भी इस कानून में है।