सिर्फ एक दिन की बात है और ये साफ हो जाएगा कि मध्य प्रदेश में एक ‘कमल’ (कमलनाथ) के मुरझाने की घड़ी आ गई है या फिर दूसरे ‘कमल’ (बीजेपी) के खिलने का मौका आ गया है। 16 मार्च की वो तारीख तय हो गई है जब कमलनाथ की अगुवाई वाली कॉन्ग्रेस सरकार को बहुमत साबित करके दिखाना है। ज्योतिरादित्य के भाजपा में जाने और कॉन्ग्रेस के 22 बागी विधायकों के इस्तीफे के बाद से ही अल्पमत में आई कमलनाथ सरकार पर खतरे की तलवार लटकी हुई है।
मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच कमलनाथ ने आज कैबिनेट की बैठक बुलाई। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। फ्लोर टेस्ट से पहले सियासी घमासान के बीच कमलनाथ सरकार ने कर्मचारियों का महँगाई भत्ता बढ़ा दिया है। कर्मचारियों का महँगाई भत्ता जुलाई 2019 से बढ़ाया गया है। इसके मुताबिक सातवें वेतन आयोग का लाभ पाने वाले कर्मचारियों को 12 से 17 फीसदी का महँगाई भत्ता मिलेगा और छठे वेतन आयोग लाभ ले रहे कर्मचारियों को दस फीसदी का महँगाई भत्ता मिलेगा। प्रदेश में जारी राजनीतिक जद्दोजहद के बीच यह राज्य सरकार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।
इस बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। कॉन्ग्रेस ने आदिवासी नेता रामू टेकाम और राशिद सोहेल सिद्दकी को मध्य प्रदेश राज्य लोकसेवा आयोग का सदस्य बनाया है। वहीं मध्य प्रदेश रेत नियमों में संशोधन करते हुए निविदा में तीन दिन की अवधि को 15 दिन कर दिया गया है। जिस सरकार के भविष्य को लेकर अटकलें लग रही हों। उसके इस तरह अचानक ताबड़तोड़ फैसले लेने पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
दूसरी ओर राज्य के राजनीतिक गलियारों में कोरोना की भी जोर-शोर से चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण का हवाला दे सरकार बहुमत परीक्षण टालने के रास्ते तलाश रही है। कमलनाथ सरकार ने भोपाल लौटने वाले सभी विधायकों का कोरोना वायरस का टेस्ट करवाने का फैसला किया है।
मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री पीसी शर्मा ने कहा, “राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा की गई कि हमारे विधायक जो जयपुर से आए हैं, उनका चिकित्सकीय परीक्षण किया जाना चाहिए। साथ ही हरियाणा और बेंगलुरु में रहने वाले विधायकों का भी चिकित्सकीय परीक्षण किया जाना चाहिए।” पीसी शर्मा ने कहा कि भोपाल लौटे सभी विधायकों का कोरोना वायरस का टेस्ट होगा। कमलनाथ सरकार में मंत्री प्रदीप जायसवाल ने फ्लोर टेस्ट पर किए गए सवाल का जवाब देते हुए कहा, “हमारे पास बहुमत है। मगर कल फ्लोर टेस्ट हो ये जरूरी नहीं। अभी तो कोरोना चल रहा है।”
मध्य प्रदेश में ये राजनीतिक हालात ज्योतिरादित्य सिंधिया के कॉन्ग्रेस छोड़ने के बाद पैदा हुए हैं। होली के मौके पर सिंधिया ने कॉन्ग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद उनके समर्थक 22 विधायकों ने भी अपने इस्तीफे दे दिए हैं। इनमें से 6 के इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए हैं। अन्य इस्तीफे स्वीकार किए जाने कमलनाथ सरकार का गिरना तय हो जाएगा।