महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सरकार (Maharashtra CM Eknath Shinde) ने शुक्रवार (24 फरवरी 2023) को कहा कि अब औरंगाबाद को छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद को धाराशिव कहा जाएगा। महाराष्ट्र सरकार के नाम बदलने के प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसे राज्य सरकार की एक उपलब्धि कहा। वहीं, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया। ट्विटर पर सीएम शिंदे ने कहा, “औरंगाबाद का नाम ‘छत्रपति संभाजीनगर’, उस्मानाबाद का नाम ‘धाराशिव’! केंद्र सरकार राज्य सरकार के फैसले को मंजूरी दे दी है! माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी और केंद्रीय गृहमंत्री माननीय अमितभाई शाह को बहुत-बहुत धन्यवाद।”
महाराष्ट्र राज्य सरकारच्या निर्णयाला केंद्र सरकारची मंजुरी…
— Eknath Shinde – एकनाथ शिंदे (@mieknathshinde) February 24, 2023
■ औरंगाबादचे #छत्रपती_संभाजीनगर.
■ उस्मानाबादचे #धाराशिव…
मा.पंतप्रधान नरेंद्र मोदी जी आणि केंद्रीय गृहमंत्री मा.अमितभाई शाह यांचे मनःपूर्वक आभार…#ChhatrapatiSambhajinagar #Dharashiv@narendramodi @AmitShah pic.twitter.com/AUjxriw3eh
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन दोनों शहरों के नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए कहा कि इससे उसे कोई आपत्ति नहीं है। बता दें कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के प्रस्ताव को महाराष्ट्र सरकार ने लगभग एक साल पहले केंद्र सरकार को भेजा था।
औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने की माँग सबसे पहले दिवंगत शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने की थी। उसके बाद यह शिवसेना इसको लेकर वर्षों से माँग उठाती रही। महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने पद से इस्तीफा देने से पहले जून 2022 में महाविकास अघाड़ी सरकार में इन शहरों का नाम बदलने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पास रखा था।
उद्धव सरकार के इस प्रस्ताव को अवैध बताते हुए 16 जुलाई 2022 को मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की दो सदस्यीय कैबिनेट ने नामों को बदलने का सरकारी प्रस्ताव पारित किया था। उसके बाद इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा था। शिवसेना और भाजपा की गठबंधन वाली सरकार ने कहा था कि उद्धव ठाकरे की सरकार अल्पमत में थी, इसलिए उनका यह फैसला अवैध था।
पिछले महीने बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा था कि क्या उसने दोनों शहरों के नाम बदलने का फैसला करने से पहले आपत्तियाँ और सुझाव माँगे थे। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को यह दिखाने का भी निर्देश दिया कि नामों में बदलाव को लेकर राज्य सरकार ने प्रस्ताव पेश किया है या नहीं।
इन दोनों शहरों के इस्लामी नाम को बदलने के फैसले का ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने विरोध किया है। औरंगाबाद (अब छत्रपति संभाजीनगर) से AIMIM के सांसद इम्तियाज जलील ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, “औरंगाबाद हमारा शहर है, आपका नहीं मिस्टर सीएम।”
Aurangabad is our city. Not your’s Mr CM. https://t.co/5fGXS4j8DP
— Imtiaz Jaleel (@imtiaz_jaleel) February 24, 2023
धमकी वाले अंदाज में जलील ने आगे कहा, “औरंगाबाद हमारा शहर है, था और हमेशा रहेगा। अब औरंगाबाद के लिए हमारे शक्ति प्रदर्शन का इंतजार कीजिए। हमारे प्यारे शहर के लिए एक विशाल मोर्चा बनेगा! हमारे शहर के नाम पर राजनीति करने वाली इन ताकतों (भाजपा) को हराने के लिए औरंगाबादियों तैयार हो जाओ। हम इसकी निंदा करते हैं और हम लड़ेंगे।”
Aurangabad is, was and will always be our city. Now wait for our show of strength for Aurangabad. A massive morcha for our beloved city! Get ready Aurangabadis to defeat these forces (BJP) playing politics in the name of our city. We condemn & we will fight. https://t.co/ItvoTHcXAB
— Imtiaz Jaleel (@imtiaz_jaleel) February 24, 2023
बता दें कि छत्रपति संभाजी महाराष्ट्र के शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे बड़े पुत्र थे। मुगल आक्रांता औरंगजेब ने 17वीं शताब्दी में औरंगाबाद शहर पर कब्जा कर लिया था और उसका नाम बदलने का आदेश दिया था। इसके बाद औरंगजेब की मौत के बाद उसका नाम औरंगाबाद कर दिया गया था।
वहीं, उस्मानाबाद का नाम हैदराबाद के अंतिम निजाम मीर उस्मान अली खान के नाम पर रखा गया था। यह शहर भी कभी निजाम के कब्जे में था। अब इस शहर को नया नाम धाराशिव दिया गया है। यह नाम शहर के पास स्थित छठी शताब्दी की गुफाओं से लिया गया है।