Thursday, April 25, 2024
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औरंगाबाद बना छत्रपति संभाजीनगर, उस्मानाबाद कहलाएगा धाराशिव: नाम बदलने के लिए केंद्र ने दी मंजूरी, बाला साहेब ने सबसे पहले उठाई थी माँग

औरंगाबाद के AIMIM सांसद जलील ने कहा, "औरंगाबाद हमारा शहर है, था और हमेशा रहेगा। अब औरंगाबाद के लिए हमारे शक्ति प्रदर्शन का इंतजार कीजिए। हमारे प्यारे शहर के लिए एक विशाल मोर्चा बनेगा! हमारे शहर के नाम पर राजनीति करने वाली इन ताकतों (भाजपा) को हराने के लिए औरंगाबादियों तैयार हो जाओ। हम इसकी निंदा करते हैं और हम लड़ेंगे।"

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सरकार (Maharashtra CM Eknath Shinde) ने शुक्रवार (24 फरवरी 2023) को कहा कि अब औरंगाबाद को छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद को धाराशिव कहा जाएगा। महाराष्ट्र सरकार के नाम बदलने के प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसे राज्य सरकार की एक उपलब्धि कहा। वहीं, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया। ट्विटर पर सीएम शिंदे ने कहा, “औरंगाबाद का नाम ‘छत्रपति संभाजीनगर’, उस्मानाबाद का नाम ‘धाराशिव’! केंद्र सरकार राज्य सरकार के फैसले को मंजूरी दे दी है! माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी और केंद्रीय गृहमंत्री माननीय अमितभाई शाह को बहुत-बहुत धन्यवाद।”

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन दोनों शहरों के नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए कहा कि इससे उसे कोई आपत्ति नहीं है। बता दें कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के प्रस्ताव को महाराष्ट्र सरकार ने लगभग एक साल पहले केंद्र सरकार को भेजा था।

औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने की माँग सबसे पहले दिवंगत शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने की थी। उसके बाद यह शिवसेना इसको लेकर वर्षों से माँग उठाती रही। महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने पद से इस्तीफा देने से पहले जून 2022 में महाविकास अघाड़ी सरकार में इन शहरों का नाम बदलने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पास रखा था।

उद्धव सरकार के इस प्रस्ताव को अवैध बताते हुए 16 जुलाई 2022 को मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की दो सदस्यीय कैबिनेट ने नामों को बदलने का सरकारी प्रस्ताव पारित किया था। उसके बाद इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा था। शिवसेना और भाजपा की गठबंधन वाली सरकार ने कहा था कि उद्धव ठाकरे की सरकार अल्पमत में थी, इसलिए उनका यह फैसला अवैध था।

पिछले महीने बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा था कि क्या उसने दोनों शहरों के नाम बदलने का फैसला करने से पहले आपत्तियाँ और सुझाव माँगे थे। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को यह दिखाने का भी निर्देश दिया कि नामों में बदलाव को लेकर राज्य सरकार ने प्रस्ताव पेश किया है या नहीं।

इन दोनों शहरों के इस्लामी नाम को बदलने के फैसले का ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने विरोध किया है। औरंगाबाद (अब छत्रपति संभाजीनगर) से AIMIM के सांसद इम्तियाज जलील ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, “औरंगाबाद हमारा शहर है, आपका नहीं मिस्टर सीएम।”

धमकी वाले अंदाज में जलील ने आगे कहा, “औरंगाबाद हमारा शहर है, था और हमेशा रहेगा। अब औरंगाबाद के लिए हमारे शक्ति प्रदर्शन का इंतजार कीजिए। हमारे प्यारे शहर के लिए एक विशाल मोर्चा बनेगा! हमारे शहर के नाम पर राजनीति करने वाली इन ताकतों (भाजपा) को हराने के लिए औरंगाबादियों तैयार हो जाओ। हम इसकी निंदा करते हैं और हम लड़ेंगे।”

बता दें कि छत्रपति संभाजी महाराष्ट्र के शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे बड़े पुत्र थे। मुगल आक्रांता औरंगजेब ने 17वीं शताब्दी में औरंगाबाद शहर पर कब्जा कर लिया था और उसका नाम बदलने का आदेश दिया था। इसके बाद औरंगजेब की मौत के बाद उसका नाम औरंगाबाद कर दिया गया था।

वहीं, उस्मानाबाद का नाम हैदराबाद के अंतिम निजाम मीर उस्मान अली खान के नाम पर रखा गया था। यह शहर भी कभी निजाम के कब्जे में था। अब इस शहर को नया नाम धाराशिव दिया गया है। यह नाम शहर के पास स्थित छठी शताब्दी की गुफाओं से लिया गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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