हाल ही में रिपब्लिक टीवी को दिए एक इंटरव्यू में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि 2019 में शरद पवार ने ‘डबल गेम’ खेला था। क्या इस बार पवार फिर से डबल गेम खेल रहे हैं? यह सवाल महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के सांसद सदा सरवणकर के दावों से खड़ा हुआ है।
इन दोनों की मानें तो एनसीपी में जो उठापठक हुई है, वह शरद पवार की ही मर्जी है। राज ठाकरे के अनुसार दिलीप वल्से पाटिल, प्रफुल्ल पटेल और छगन भुगबल जैसे नेता शरद पवार को छोड़कर नहीं जा सकते। ठाकरे ने कहा, “कल को सुप्रिया सुले केंद्र में मंत्री बन जाएँ तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा।” मनसे मुखिया के अनुसार भले शरद पवार आज कह रहे हैं कि जो कुछ हुआ इसकी उन्हें जानकारी नहीं थी, लेकिन उनकी अनुमति के बिना पाटिल, भुजबल और प्रफुल्ल पटेल जैसे नेता बीजेपी के साथ नहीं जा सकते हैं।
VIDEO | "Whatever Dilip Walse Patil, Praful Patel, Chhagan Bhujbal are claiming, it could not have happened without the knowledge of Sharad Pawar. This is a political drama," said MNS chief Raj Thackeray on political situation in Maharashtra earlier today. pic.twitter.com/M6GKjtP6K2
— Press Trust of India (@PTI_News) July 3, 2023
सांसद सदा सरवणकर ने भी इसी तरह का दावा किया है। टाइम्स नाउ के अनुसार मुंबई के शिवाजी पार्क स्थित बाला साहेब स्मारक के दौरे के बाद सरवणकर ने कहा, “यह पूरा खेल शरद पवार का है। अजित पवार को भूल जाइए। छगन भुजबल और प्रफुल्ल पटेल जैसे नेता हमारे साथ कैसे आ गए? शरद पवार साहब ने कहा कि आप शपथ लें और मैं पुणे में जाकर बैठूँगा। यह एनसीपी अध्यक्ष के समर्थन के बिना संभव नहीं है।”
गौरतलब है कि 2 जुलाई 2023 को अचानक से महाराष्ट्र में बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला था। शरद पवार के भतीजे और एनसीपी विधायक दल के नेता अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके साथ एनसीपी के आठ और नेता एकनाथ शिंदे और बीजेपी गठबंधन की सरकार में शामिल हुए हैं। इनमें छगन भुजबल जैसे एनसीपी के बड़े नाम भी हैं। इतना ही नहीं पिछले महीने ही जिस प्रफुल्ल पटेल को शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले के साथ पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था, वे भी उनके भतीजे के साथ चले गए हैं। अजित पवार को एनसीपी के 40 विधायकों का समर्थन होने की बात कही जा रही है। अब पार्टी पर भी कब्जे की लड़ाई शुरू हो गई है। 3 जुलाई को शरद पवार ने ट्वीट कर प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को पार्टी से निकालने की जानकारी दी। उसके कुछ ही देर बाद अजित पवार ने तटकरे को महाराष्ट्र एनसीपी का अध्यक्ष बना दिया।