केंद्र सरकार ने हाल ही में सहकारिता मंत्रालय (Cooperation Ministry) का गठन किया और ताज़ा मंत्रिमंडल विस्तार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इसकी जिम्मेदारी दी गई। इससे विपक्षी खेमे में बेचैनी का माहौल है। अब महाराष्ट्र की सत्ता में साझीदार ‘राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (NCP)’ के संस्थापक-अध्यक्ष शरद पवार ने इस पर टिप्पणी की है। उन्होंने कह डाला कि केंद्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप का कोई अधिकार ही नहीं है।
उन्होंने दावा किया कि राज्य में सहकारिता विभाग में नियम-कानून महाराष्ट्र के कानून के हिसाब से चलते हैं और महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा ड्राफ्ट किए गए कानून में हस्तक्षेप करने का केंद्र सरकार को कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र में नए सहकारिता मंत्रालय के गठन से समस्याएँ पैदा होने की आशंका नहीं है, क्योंकि ये तो राज्य का मुद्दा है। उन्होंने दावा किया कि बहुराज्यीय संस्थाओं, जिसमें दो से अधिक राज्य भागीदार हों – केवल उनमें ही केंद्र हस्तक्षेप कर सकता है।
मनमोहन सिंह की सरकार में देश के कृषि मंत्री रहे शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में सहकारिता आंदोलन पर केंद्र के इस नए मंत्रालय का कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने संविधान की बात करते हुए इसे राज्य का मुद्दा बताया। उन्होंने बताया कि ये नया निर्णय नहीं है, बल्कि जब वो कृषि मंत्री हुआ करते थे तब भी ऐसा प्रस्ताव था। उन्होंने मीडिया पर इसे गलत तरीके से दिखाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मीडिया ऐसा दिखा रहा है, जैसे ये मंत्रालय महाराष्ट्र में सहकारिता को हाईजैक कर लेगा।
बता दें कि महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाले के कारण राज्य का सहकारिता आंदोलन पहले ही पटरी से उतर चुका है। इसी महीने की शुरुआत में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शरद पवार के भतीजे अजीत पवार की 65 करोड़ रुपए कीमत की शुगर मिल को अटैच कर लिया। यह कंपनी पवार की पत्नी सुनेत्रा अजीत पवार की है। अजीत पवार की यह कंपनी महाराष्ट्र के सातारा में है, जिसका नाम जरांदेश्वर सहकारी चीनी कारखाना (जरंदेश्वर एसएसके) है।
The reports of the Union Ministry of Cooperation creating problems in the state have no facts as the matter constitutionally belongs to the state govt. The right to a multi-state institution, i.e., an institution which is run in two states, goes to the Central govt: Sharad Pawar
— ANI (@ANI) July 11, 2021
सितंबर 2019 में राज्य के विधानसभा चुनावों से पहले ही प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक स्कैम (MSCB) में 25,000 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में अजीत पवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किया था। मामले की छानबीन करते हुए ईडी को पता चला कि एमएससीबी ने 2010 में जरांदेश्वर एसएसके को एक नीलामी में उचित मूल्य से कम कीमत पर बेचा था।
2019 में खबर आई थी कि एक गवाह के बयान के बाद ED ने शरद पवार का नाम भी इस घोटाले के आरोपितों में शामिल किया था। उक्त गवाह ने अपने बयान में बताया था कि कैसे शरद पवार ने इस घोटाले में बड़ी भूमिका निभाई थी। तब शरद पवार ने इसे महाराष्ट्र में चुनावों से जोड़ते हुए कहा था कि उनका इस मामले से कोई लेनादेना ही नहीं है। इस मामले में NCP के कुछ अन्य नेता हुए कई बैंक अधिकारी भी आरोपित हैं।