वीर विनायक दामोदर सावरकर पर उदय माहुरकर की पुस्तक ‘Savarkar: The Man Who Could Have Prevented Partition‘ की लॉन्च में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित हुए। उन्होंने बताया कि किस तरह महात्मा गाँधी ने वीर सावरकर को सलाह दी थी कि वो अंग्रेजों को मर्सी पेटिशन लिखें। उन्होंने सावरकर के योगदान की उपेक्षा और उनके अपमान के बारे में कहा कि ये न्यायसंगत व क्षमा योग्य नहीं है।
इसके बाद से ही लिबरल गिरोह राजनाथ सिंह पर पिल पड़ा। वामपंथी नेता कविता कृष्णन ने उन पर निशाना साधते हुए लिखा कि सावरकर ने 1911 में दया याचिका डाली और महात्मा गाँधी 1915 में भारत लौटे, ऐसे में कल को राजनाथ सिंह ये भी कह देंगे कि गाँधी ने ही गोडसे को कहा था कि मुझे शूट कर दो। कॉन्ग्रेस समर्थक पत्रकार आदेश रावल से लेकर ‘द वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन तक, सब ने महात्मा गाँधी पर निशाना साधा।
वरिष्ठ लेखक और वीर सावरकर पर वृहद शोध कर के दो पुस्तकें लिख चुके विक्रम संपत ने अब सच्चाई बताई है। डॉक्टर विक्रम संपत ने जानकारी दी है कि कैसे ‘यंग इंडिया’ में 26 मई, 1920 को एक लेख के जरिए महात्मा गाँधी ने सावरकर बंधुओं को अंग्रेजों के सामने दया याचिका डालने को कहा था। संपत ने इस बारे में अपनी पुस्तक ‘Savarkar (Part 1): Echoes from a Forgotten Past, 1883–1924‘ में इस बारे में लिखा भी है।
#WATCH | Lies were spread about Savarkar. Time & again, it was said that he filed mercy petitions before British Govt seeking his release from jail… It was Mahatma Gandhi who asked him to file mercy petitions: Defence Minister Rajnath Singh at launch of a book on Savarkar y'day pic.twitter.com/Pov4mI0Ieg
— ANI (@ANI) October 13, 2021
कहानी कुछ यूँ है कि विनायक दामोदर सावरकर के भाई नारायणराव ने 18 जनवरी, 1920 को विचारधारा के मामले में विरोधी ध्रुव पर खड़े महात्मा गाँधी को पत्र लिखने का निर्णय लिया, जो उस समय देश के बड़े नेता के रूप में तेज़ी से उभर रहे थे। उन्होंने अपने दोनों बड़े भाइयों को छुड़वाने के लिए उनकी मदद और सलाह माँगी। उन्होंने लिखा था कि सरकार द्वारा जारी की गई रिलीज किए जाने वाले कैदियों सूची में सावरकर बंधुओं का नाम नहीं है।
उन्होंने इस पत्र में लिखा था कि किस तरह उनके भाई अस्वस्थ हैं और उनका वजन भी काफी कम हो गया है। महात्मा गाँधी ने इसके जवाब में लिखा कि वो इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। लेकिन, 26 मई, 1920 को ‘यंग इंडिया’ में एक लेख आया, जिसका शीर्षक था ‘सावरकर बंध’, जिसमें महात्मा गाँधी ने लिखा कि कैसे वीडी सावरकर ने कोई हिंसा नहीं की थी, उनकी पत्नी और दोनों बच्चियों का देहांत हो चुका है।
महात्मा गाँधी ने लिखा था, “1911 में उनके खिलाफ हत्या के लिए उकसाने का मामला चला, लेकिन कुछ साबित नहीं हो पाया। दोनों ने कह दिया है कि वो क्रांतिकारी विचारों को नहीं अपनाएँगे और समाज सुधर का रुख करेंगे। कहा जा रहा है कि उनसे खतरा है। याचिकाओं के रद्द किए जाने के बावजूद नारायण राव अपने भाइयों के समर्थन में जनता को जुटा रहे हैं। छोड़े जाने के बाद दोनों भाई संवैधानिक रास्ते से आधे बढ़ेंगे।”
Some needless brouhaha abt statement by @rajnathsingh In my Vol 1 & in countless interviews I had stated already that in 1920 Gandhiji advised Savarkar brothers to file a petition & even made a case for his release through an essay in Young India 26 May 1920. So what's noise abt? pic.twitter.com/FWfAHoG0MX
— Dr. Vikram Sampath, FRHistS (@vikramsampath) October 13, 2021
इसी कार्यक्रम में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भी कहा कि वीर सावरकर को बदनाम करने के लिए देश की आजादी के बाद से ही अभियान चलाया गया। इसके बाद स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद को बदनाम करने का नंबर आएगा, क्योंकि सावरकर इन तीनों के विचारों से प्रभावित थे। उन्होंने कहा, “सावरकर जी का हिन्दुत्व, विवेकानंद का हिन्दुत्व ऐसा बोलने का फैशन हो गया है। हिन्दुत्व एक ही है। वो पहले से है और आखिर तक वो ही रहेगा। सावरकर जी ने परिस्थिति को देखकर इसका उद्घोष जोर से करना जरूरी समझा।”