कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी द्वारा हिंदू और हिंदुत्व को परिभाषा करना गले का फाँस गया है। हिंदुत्ववादियों को सत्ता से बाहर कर हिंदुओं को सत्ता में लाने वाले के उनके बयान पर सियासत तेज हो गई है। उनके बयान के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने राहुल गाँधी पर आरोप लगाया कि अब वे बहुसंख्यकवाद की फसल काटना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत हिंदुओं का नहीं, बल्कि यहाँ रहने वाले सभी लोगों का देश है। वहीं, एनसीपी नेता माजिद मेमन ने कहा राहुल गाँधी अब सेक्युलर नहीं रहे।
राहुल के बयान पर ओवैसी ने ट्वीट किया, “राहुल और कॉन्ग्रेस हिंदुत्व के लिए ग्राउंड तैयार कर रहे हैं। अब वे बहुसंख्यकवाद की फसल काटना चाहते हैं। हिंदुओं को सत्ता में लाना 2021 का सेक्युलर एजेंडा है, वाह। भारत सब भारतीयों का है। अकेले हिंदुओं का नहीं है। भारत सभी मत-मतांतरों को मानने वालों और नहीं मानने वालों का भी देश है।”
Rahul & INC fertilised the ground for Hindutva. Now they’re trying to harvest majoritarianism. Bringing “Hindus to power” is a “secular” agenda in 2021. Wah!
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 12, 2021
India belongs to all Bharatiyas. Not Hindus alone. India belongs to people of all faiths & also those who have no faith pic.twitter.com/9EfpynChqU
वहीं, महाराष्ट्र एनसीपी के नेता और पूर्व सांसद माजिद मेमन ने भी राहुल गाँधी पर ट्विटर के जरिए निशाना साधा और आरोप लगाया कि राहुल अब सेक्युलर नहीं रहे। मेमन ने ट्वीट किया, “क्या राहुल गाँधी हिंदूराज वापस लाने का वादा करते हैं? उसका क्या मतलब है? वह अब धर्मनिरपेक्षता और भारत में सभी धर्मों के लोगों के समान अधिकारों में विश्वास नहीं रखते हैं।”
Does Rahul Gandhi promise a Hindu Raj ? What does he mean thereby ? He no more believes in secularism and equal rights to people of all faiths in future India.
— Majeed Memon (@advmajeedmemon) December 13, 2021
रिपब्लिक टीवी को मेमन ने कहा कि वो हिंदुत्व की आलोचना करना चाहते थे। इस मुद्दे पर बोलते हुए ईर्ष्या में उन्होंने कह दिया कि मुझे हिंदुत्व राज नहीं, मुझे हिंदू राज चाहिए। वो भूल गए हैं कि जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गाँधी, बाबा साहेब अम्बेडकर समेत जिन नेताओं को वो फॉलो करते हैं, वो सभी धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते थे। एनसीपी नेता के मुताबिक, भारत में एक धर्म का राज हो ही नहीं सकता है। इसलिए राहुल गाँधी के इन वादों की आलोचना होगी।
राहुल गाँधी का बयान
रविवार (12 दिसंबर 2021) को राजस्थान के जयपुर में एक चुनावी रैली के दौरान राहुल गाँधी ने कहा था कि हिंदू और हिंदुत्ववादी में फर्क होता है। मैं हिंदू हूँ, लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं। उन्होंने ये भी कहा था कि आज केंद्र में जो सरकार बैठी है वो हिंदुत्ववादी है। उसे सत्ता से बाहर कर हिंदुओ को सत्ता में लाना है। यह हिंदुओं का देश है, हिंदुत्ववादियों का नहीं। गौरतलब है कि राहुल गाँधी ने खुले तौर पर पहली बार ये माना है कि भारत हिंदुओं का देश है।
बहरहाल जब उनके बयान पर बवाल मचा तो राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने राहुल के बयान को जस्टिफाई करने की कोशिश की।
हिन्दू एवं छद्म हिन्दुत्ववादी में वही अंतर है जो गांधीजी एवं गोडसे में था।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 12, 2021
असल मायने में हिन्दू सत्य, अहिंसा एवं सद्भाव में विश्वास रखता है। कट्टरता एवं चरमवाद किसी भी धर्म में स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने ट्वीट किया, “सत्य, अहिंसा, प्यार, भाईचारा और सहिष्णुता को मानने वाला व्यक्ति हिंदू है। हिंदू किसी से नफरत नहीं करते और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। हिन्दुत्ववादी हिंसा, असहिष्णुता और घृणा फैलाने में भरोसा रखते हैं। हिंदू और हिन्दुत्ववादी में वही अंतर है, जो गाँधीजी और गोडसे में था।”