आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने खुद की और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तुलना भगवान राम और लक्ष्मण से की। इस बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में एक बड़ी बहस छिड़ गई है।
मनीष सिसोदिया का बयान तब आया जब वह दिल्ली के जंतर-मंतर पर आयोजित एक सभा में जनता को संबोधित कर रहे थे। इस सभा में उन्होंने बताया कि जेल में रहते समय उनसे सीबीआई ने क्या बातचीत की थी। उन्होंने कहा कि उन्हें जेल में अधिकारियों द्वारा यह कहने का प्रयास किया गया कि अरविंद केजरीवाल ने उनका नाम दे दिया है, और यदि सिसोदिया भी केजरीवाल का नाम ले लें तो वह बच सकते हैं। इस पर सिसोदिया ने जवाब दिया, “आप लक्ष्मण को राम से अलग करने की कोशिश कर रहे हो। दुनिया में कोई ताकत नहीं जो लक्ष्मण को राम से अलग कर सके।”
#WATCH | AAP leader Manish Sisodia says, "…They (opposition) used to say that you don't know but Arvind Kejriwal has implicated you…When we did not do anything wrong why would he take my name? I used to say that you are trying to separate Lakshman from Rama…No Ravana can… pic.twitter.com/sLBkiiKRtt
— ANI (@ANI) September 22, 2024
इस बयान में सिसोदिया ने खुद को लक्ष्मण और केजरीवाल को राम की तरह प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी और केजरीवाल की 26 साल पुरानी दोस्ती का हवाला देते हुए कहा कि उनका रिश्ता अटूट है, और कोई भी ताकत इसे तोड़ नहीं सकती।
मनीष सिसोदिया ने कहा, “इनकी कोशिश थी कि ये टूट जाए जब बाहर से नहीं टूटा तो अंदर से तोड़ने की कोशिश की। बेशर्मी देखिए इनकी सीबीआई ने कहा कि मनीष सिसोदिया ने केजरीवाल का नाम दिया। मुझे जेल में कहा गया कि देखो केजरीवाल ने आपका नाम ले दिया आप उनका नाम ले दो और आप बच जाओगे। मैं उनसे कहता था आप लक्ष्मण को राम से अलग करने की कोशिश कर रहे हो। दुनिया में किसी में ताकत नहीं जो लक्ष्मण को राम से अलग कर सके। अरविंद केजरीवाल से मेरी 26 साल पुरानी दोस्ती है। वह मेरे राजनैतिक गुरु हैं।”
BJP वाले मेरी और @ArvindKejriwal जी की दोस्ती तोड़ना चाहते थे, लेकिन वो ऐसा कर नहीं पाए। अगर रामायण में कभी राम जी और लक्ष्मण जी अलग होते और दोबारा मिलते तो ऐसे ही मिलते जैसे 13 सितंबर को केजरीवाल जी के जेल से बाहर आने बाद हम दोनों मिले थे। @msisodia… pic.twitter.com/auf1R5ofBP
— AAP (@AamAadmiParty) September 22, 2024
राम और लक्ष्मण की तुलना न केवल एक व्यक्तिगत रिश्ते को आदर्श बनाने का प्रयास है, बल्कि इससे यह संदेश जाता है कि राजनीति में कुछ नेता खुद को ईश्वर के समान समझते हैं। उन्होंने अपने बयान में यह संकेत दिया कि विपक्ष और जाँच एजेंसियाँ उनकी दोस्ती और राजनीतिक साझेदारी को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन इस तुलना को धार्मिक नजरिए से देखना अलग मुद्दा है।