Sunday, November 17, 2024
Homeराजनीतिउर्दू में लिखा जाता था मनमोहन सिंह का भाषण, क्योंकि हिंदी पढ़ नहीं पाते...

उर्दू में लिखा जाता था मनमोहन सिंह का भाषण, क्योंकि हिंदी पढ़ नहीं पाते पूर्व प्रधानमंत्री

मनमोहन सिंह को यदि हिन्दी में भाषण देना होता था तो उन्हें तैयारी करने में समय लगता था। इस बारे में रिपोर्ट्स भी मौजूद हैं कि उन्होंने ​हिंदी में दिए गए अपने पहले भाषण की तैयारी करने में पूरे 3 दिन लगाए थे।

विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day) के मौके पर यह जानना दिलचस्प है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह हिंदी नहीं पढ़ पाते हैं। उन्होंने जितने भी भाषण हिंदी में दिए वह उर्दू में लिखे गए थे, जिससे वह उसे पढ़ सकें। मनमोहन सिंह हिंदी बोल ज़रूर लेते थे, लेकिन पढ़ना नहीं सीख पाए।

मनमोहन सिंह को यदि हिन्दी में भाषण देना होता था तो उन्हें तैयारी करने में समय लगता था। इस बारे में रिपोर्ट्स भी मौजूद हैं कि उन्होंने ​हिंदी में दिए गए अपने पहले भाषण की तैयारी करने में पूरे 3 दिन लगाए थे।

ऐसे तमाम वीडियो जिनमें वह ​हिंदी बोल रहे हैं, इस बात पर गौर किया जा सकता है कि उनका भाषण उर्दू में लिखा गया था, जिससे वह आसानी से पढ़ पाएँ। 

ऊपर मौजूद वीडियो के 17 मिनट 18 सेकेंड बीत जाने पर देखा जा सकता है कि उनका भाषण उर्दू में लिखा हुआ है। 

डॉ. मनमोहन सिंह का उर्दू में लिखा ​हिंदी भाषण

इसका मतलब डॉ. मनमोहन सिंह की उर्दू भाषा पर अच्छी पकड़ थी इसलिए उनके ​हिंदी के भाषण उर्दू में लिखे होते थे। 

अविभाजित भारत में पैदा हुए थे पूर्व प्रधानमंत्री

1936 में पैदा हुए डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म पंजाब प्रांत के गाह में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। बहुत कम उम्र में उनकी माता जी की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया। 12 साल की उम्र तक वह ऐसे गाँव में रहते थे जहाँ बिजली नहीं थी। इस बीच वह लैम्प की रोशनी में पढ़ते थे। 14 साल की उम्र में विभाजन के बाद वह भारत आ गए और अमृतसर में रहने लगे।

बतौर प्रधानमंत्री उनके कार्यकाल के दौरान ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि पाकिस्तान सरकार गाह को भारत के साथ कूटनीति के हिस्से के तौर पर उपयोग कर रही थी। मनमोहन सिंह की इच्छा थी कि वह अपने जन्मस्थान पर जाएँ, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के हालातों की वजह से ऐसा ही नहीं हो पाया था।   

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मुस्लिम घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र में उलझा है झारखंड, सरना कोड से नहीं बचेगी जनजातीय समाज की ‘रोटी-बेटी-माटी’

झारखंड का चुनाव 'रोटी-बेटी-माटी' केंद्रित है। क्या इससे जनजातीय समाज को घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र से निकलने में मिलेगी मदद?

दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत का AAP से इस्तीफा: कहा- ‘शीशमहल’ से पार्टी की छवि हुई खराब, जनता का काम करने की जगह...

दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत ने अरविंद केजरीवाल एवं AAP पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकार पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -