महाराष्ट्र में सरकार बनाने की लड़ाई दिल्ली पहुँच चुकी है और राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में घटनाक्त्रम लगातार बदल रहा है। इसी बीच एक मराठी अख़बार ने शिवसेना के नेता संजय राउत की तुलना बेताल से की है। बिक्रमादित्य और बेताल की कहानी के किरदार से अख़बार ने राउत की तुलना की और उसकी तरह बताया। अख़बार ने कहा कि संजय राउत की वजह से भाजपा और शिवसेना नई सरकार के गठन के लिए साथ नहीं आ पा रहे हैं।
नागपुर से संचालित अख़बार ‘तरुण भारत’ ने संजय राउत को आड़े हाथों लिया। राउत पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए दैनिक समाचारपत्र ने लिखा कि वो जोकर हैं। साथ ही अख़बार ने दावा किया कि राउत ऐसा माहौल बनाना चाह रहे हैं, जिससे लगे कि भाजपा के भीतर देवेंद्र फडणवीस को लेकर एकमत नहीं है और वो अलग-थलग पड़ गए हैं। अख़बार ने इसे मनोरंजन की संज्ञा दी।
तरुण भारत ने ‘उद्धव और बेताल’ नाम से संपादकीय लिखा था, जिसमें ये बातें कही गई। अख़बार ने लिखा कि महाभारत में भी एक संजय था, जिसने पांडव और कौरव के बीच हुए भीषण युद्ध का आँखों-देखा हाल धृतराष्ट्र को सुनाया था। अख़बार ने लिखा:
“बालासाहब ठाकरे ने पूरी ज़िंदगी एनसीपी और कॉन्ग्रेस का विरोध किया। लेकिन ये बेताल बाल ठाकरे के सपनों को चकनाचूर कर रहा है। इस बड़बोले के पीछे शिवसेना का चलना निराशाजनक है। शिवसेना को पता होना चाहिए कि जिस डाली पर कोई बैठा हो, अगर वो उसी डाली को काटने लगे तो उसे शेखचिल्ली बोलते हैं। ये जनादेश महायुति के लिए है और भाजपा सबसे बड़ा दल होने के नाते सरकार गठन कर सकती है।”
‘तरुण भारत वृत्तपत्र आहे हेच माहित नाही’, अग्रलेखातील टीकेला संजय राऊत यांचं उत्तर https://t.co/TIaQs6iCTP pic.twitter.com/rNz24Y5LJY
— ABP माझा (@abpmajhatv) November 4, 2019
अख़बार ने 1955-99 का भी दौर याद दिलाया, जब शिवसेना महाराष्ट्र के राजग गठबंधन में ‘बड़ा भाई’ की भूमिका में थी और बालासाहब ठाकरे ने मातोश्री से रिमोट कण्ट्रोल सरकार चलाई थी। अख़बार ने पूछा कि अगर उस समय भाजपा सीएम पद माँगती तो क्या शिवसेना दे देती?