उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि वो अपना धर्म-परिवर्तन कर लेंगी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान नागपुर में एक जनसभा सम्बोधित करते हुए उन्होंने ये ऐलान किया। मायावती ने कहा कि उनके समर्थक ज़रूर ऐसा सोचते होंगे कि देश के प्रथम क़ानून मंत्री बाबसाहब भीमराव आंबेडकर की तरह वो कब धर्मांतरण करेंगी? बसपा सुप्रीमो ने ऐलान किया कि वो बौद्ध धर्म की दीक्षा ज़रूर लेंगी। हालाँकि, उन्होंने इसके लिए कोई समय नहीं बताया। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में सही समय पर फ़ैसला लिया जाएगा।
साथ ही मायावती ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि उनके साथ पूरे देश में बड़ी तादाद में लोग धर्मांतरण करेंगे। मायावती ने वहाँ उपस्थित लोगों से कहा कि देशव्यापी धर्म-परिवर्तन तभी संभव हो सकता है जब ‘बाबासाहब के अनुयायी’ उनके बताए रास्तों पर चलें। बता दें कि नागपुर की ही दीक्षा भूमि में भीमराव आंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपना लिया था। अक्टूबर 14, 1956 को उन्होंने यहाँ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। अभी इसके 2 महीने भी नहीं पूरे हुए थे कि उसी साल 6 दिसंबर को आंबेडकर का निधन हो गया।
BSP chief Mayawati, in Nagpur: Babasaheb (Ambedkar) had converted his religion sometime before his death. You must be wondering about me too – regarding religious conversion. I will definitely take ‘diksha’ to become a follower of Buddhism but only when the time is right… (1/2) pic.twitter.com/C4f3xrR0Iw
— ANI (@ANI) October 14, 2019
मायावती ने आंबेडकर का नाम लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वह उनके ‘हिन्दू राष्ट्र’ वाले बयान से असहमत हैं, क्योंकि बाबासाहब ने सभी धर्मों व सम्प्रदायों का ख्याल रखते हुए धर्मनिरपेक्षता के आधार पर संविधान बनाया था। उन्होंने इस दौरान कॉन्ग्रेस को भी आड़े हाथों लिया। बसपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा दलितों व पिछड़ों को मिले आरक्षण को रोकना चाहती है और कॉन्ग्रेस भी इसमें उसका साथ दे रही है। उन्होंने अर्थव्यवस्था को लेकर भी मोदी सरकार पर निशाना साधा।
महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं और 24 अक्टूबर को मतगणना के बाद परिणाम आ जाएँगे।भाजपा-शिवसेना गठबंधन राज्य में काफ़ी मजबूत नज़र आ रही है और कॉन्ग्रेस और एनसीपी गठबंधन के कई कद्दावर नेता पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थाम चुके हैं। कॉन्ग्रेस और एनसीपी दोनों आंतरिक कलह से जूझ रही हैं। राजस्थान में मायावती के 6 विधायक कॉन्ग्रेस के साथ हो लिए। इसीलिए, इस बार बसपा सुप्रीमो टिकट वितरण में फूँक-फूँक कर क़दम रख रही हैं।