महाराष्ट्र में सभी मंत्रियों के विभाग के बँटवारा कर दिया गया। इसके साथ ही उद्धव ठाकरे सरकार के मंत्रियों ने अपने-अपने मंत्रालयों का प्रभार संभालने की शुरुआत कर दी। मंत्रियों के नामों की घोषणा तो पहले ही कर दी गई थी, जिसमें एनसीपी का दबदबा रहा था। इसी तरह सारे मलाईदार विभाग भी पवार के मंत्रियों के पास गया है। ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकतर मलाईदार विभाग एनसीपी को दिया गया है। वहीं शिवसेना ने शहरी क्षेत्रों से जुड़े विभाग अपने पास रखे हैं। कॉन्ग्रेस को बचे-खुचे मंत्रालयों को देकर संतुष्ट कर दिया गया है। मंत्रिमंडल में एनसीपी का दबदबा दिख रहा है।
सबसे पहले कॉन्ग्रेस की बात करते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को पीडब्ल्यूडी विभाग और प्रदेश अध्यक्ष बालासाहब थोराट को राजस्व मंत्रालय दिया गया है। दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के बेटे अमित देशमुख को चिकित्सा एवं संस्कृति मंत्रालय दिया गया है। बाकी कॉन्ग्रेस नेताओं को आदिवासी विकास, स्कूली शिक्षण, जनजातीय विकास, मत्स्य, ओबीसी कल्याण और डेयरी विकास देकर निपटा दिया गया है। कॉन्ग्रेस पार्टी की एक तरह से फजीहत ही हुई है क्योंकि जो भी विभाग शिवसेना और एनसीपी से बच गए, वो सोनिया गाँधी की पार्टी को थमा दिए गए हैं।
मंत्रिमंडल में सबसे जबरदस्त उपस्थिति शरद पवार की एनसीपी की है। पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल को उपभोक्ता मामले और जयंत पाटिल को जल संसाधन मंत्रालय मिला है। सबसे बड़ी बात ये है कि एनसीपी ने वित्त और गृह- ये दोनों ही महत्वपूर्ण मंत्रालय अपने पास रखा है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार को वित्त मंत्रालय दिया गया है, वहीं पवार परिवार के क़रीबी अनिल देशमुख को गृह मंत्रालय दिया गया है। ग्रामीण विकास, सामाजिक न्याय, आवास और अल्पसंख्यक मामले सहित कई महत्वपूर्ण मंत्रालय शरद पवार की पार्टी के पास रहेगा।
#Maharashtra : Governor @BSKoshyari has approved the allocation of portfolios as proposed by Chief Minister Uddhav Thackeray.
— CMO Maharashtra (@CMOMaharashtra) January 5, 2020
The portfolios of Cabinet Ministers and Minister of States is as follows: pic.twitter.com/oeo4Om81i1
शिवसेना ने शहरी इलाक़ों में अपनी पैठ और मजबूत करने के लिए उससे जुड़े मंत्रालयों को अपने ही मंत्रियों की झोली में डाला है। आदित्य ठाकरे ने पर्यटन और पर्यावरण रखा है। अर्बन क्षेत्रों से जुड़े शहरी विकास और उद्योग मंत्रालय भी शिवसेना ने ही रखा है। कृषि मंत्रालय भी शिवसेना ने ही रखा है। वहीं ख़ुद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास कोई बड़ा विभाग नहीं है। उनके पास न्यायपालिका और जनसम्पर्क सरीखे मंत्रालय हैं। यानी, उद्धव भले ही मुख्यमंत्री हों और कॉन्ग्रेस भी सरकार में शामिल हो, लेकिन मंत्रिमंडल में पवार का पावर ही दिख रहा है।
बता दें कि कॉन्ग्रेस के अधिकतर विधायक ग्रामीण क्षेत्रों से ही जीत कर आए हैं लेकिन उसे इससे जुड़ा एक भी मंत्रालय नहीं दिया गया। तीनों पार्टियों के कई नेताओं में मंत्रिमंडल के गठन के समय से ही असंतोष उपज रहा था, जो विभागों के बँटवारे के बाद और तेज़ हो गया है।
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