मिजोरम की 40 सीटों में से 27 सीटों पर बहुमत पाकर ‘जोरम पीपुल्स मूवमेंट’ ने 2023 विधानसभा चुनावों में सत्ता हासिल कर ली है। राज्य की 62 साल पुरानी पार्टी ‘मिजो नेशनल फ्रंट’ को सिर्फ 10 सीट मिल पाई जबकि भाजपा को जहाँ 2 और कॉन्ग्रेस को सिर्फ 1 सीट मिली है।
जिस पार्टी ने इस बार मिजोरम को जीता है उसे पिछले वर्ष यानी 2018 के चुनावों में सिर्फ 8 सीटें मिली थी और एमएनएफ ने 26 सीट से बहुमत पाकर सरकार बनाई थी। जेडपीएम पार्टी की बात करें तो ये केवल 6 साल पहले ही शुरू हुई थी।
इस पार्टी को शुरू करने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी लालडुहोमा है। उन्होंने साल 1972 से 1977 तक लालडुहोमा ने मिजोरम के मुख्यमंत्री के प्रधान सहायक के तौर पर काम किया था। स्नातक की पढ़ाई के बाद उन्होंने सिविल परीक्षा दी और 1977 में आईपीएस बने। उन्होंने सक्वाड लीडर के तौर पर काम किया।
1982 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उन्हें अपना सुरक्षा प्रभारी नियुक्त किया था। पुलिस आयुक्त के रूप में विशेष पदोन्नति दी गई थी। फिर राजीव गाँधी की अध्यक्षता में 1982 एशियाई खेलों के आयोजन समिति के सचिव भी बने। बाद में पुलिस की नौकरी छोड़कर वो 1984 में कॉन्ग्रेस से जुड़ गए और लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करके लालडुहोमा संसद पहुँचे।
साल, 1988 में उन्होंने कॉन्ग्रेस की सदस्यता से इस्तेफा दे दिया। इसके कारण दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित करके लोकसभा की सदस्यता छीन ली गई। 2017 में जाकर उन्होंने छह छोटे क्षेत्रीय दलों को मिलाकर जेडपीएम बनाई। 2018 में उनकी पार्टी को मान्यता नहीं मिली लेकिन स्वतंत्र रूप से इस पार्टी से 38 उम्मीदवार उतारे गए जिनमें से 8 ने जीत हासिल की और इसके अध्यक्ष लालडुहोमा बने। 2019 में इस पार्टी को मान्यता मिली।
साल 2021 में वो सेरछिप सीट से निर्दलीय से जेडपीएम पार्टी में आ गए, पर फिर से उनपर दलबदल कानून की तलवार चली और इनकी विधायकी चली गई। फिर चुनाव हुए तो इन्होंने अपनी पार्टी जेडपीएम से चुनाव लड़े और इस पार्टी से पहले विधायक बने। इसके बाद 2023 की तैयारी शुरू हुई और नतीजा आज सबके सामने है कि जिस कॉन्ग्रेस के साथ उन्होंने राजनीति शुरू की थी, उसी की आज ऐसी हालत कर दी कि वो एक सीट ही जुटा पाए।