मोदी सरकार में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे कल (16 नवंबर 2023) सबरीमाला मंदिर में दर्शन करके आईं। मंदिर में प्रवेश करने के दौरान उन्होंने काले रंग का कपड़ा धारण किया हुआ था और नंगे पैर मंदिर में दर्शन के लिए जा रही थीं।
साल 2018 में जब सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा था, उस समय शोभा करंदलाजे उन महिलाओं में से थीं, जिन्होंने मंदिर के नियमों को बदलने का विरोध किया था और सबरीमाला की जारी प्रथा का समर्थन किया था।
MoS for the State for Agriculture & Farmers' Welfare, Shobha Karandlaje visited Sabarimala Temple yesterday. pic.twitter.com/ymnDepKSjp
— ANI (@ANI) November 16, 2023
उनका मत था कि सबरीमाला हिंदुओं की आस्था का विषय है ऐसे में जो परंपरा रही है उसी का अनुसरण होना चाहिए। यानी कि वह लड़कियाँ जिन्हें माहवारी शुरू हो गई वो भगवान अयप्पा के दर्शन करने सबरीमाला में प्रवेश न करें। इसके पीछे मंदिर का एक सीधा सा तर्क था कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे। ऐसे में मंदिर के जो नियम हैं उन्हें माना जाना चाहिए।
महिलाओं के प्रवेश को लेकर मंदिर की परंपरा
उनके मत के कारण हो सकता है कि उन्हें मंदिर में देख कई लोग हैरान हों, लेकिन ऐसी हैरानी से पहले जानना जरूरी हैं कि सबरीमाला की परंपरा महिलाओं के प्रवेश को क्या कहती है। सबरीमाला में परंपरागत रूप से 10 से 50 वर्ष की लड़कियों और महिलाओं का प्रवेश निषेध है। इस आयु सीमा की नीचे और ऊपर की महिलाएँ मंदिर में जा सकती हैं। शोभा करंदलाजे की वर्तमान में उम्र 57 वर्ष है। ऐसे में वो बाकी नियमों का पालन करके मंदिर में जा सकती हैं।
सबरीमाला मंदिर में प्रवेश से पहले करनी होती है कड़ी साधना
बता दें कि सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन करने से पहले कुछ नियम पालन करने होते हैं। इनमें से सबसे पहले तो भक्तों को 41 दिन तक सभी मोह-माया से दूर रहते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करना होता। इसके बाद उन्हें नीले या काले कपड़े ही पहनने पड़ते हैं। गले में तुलसी की माला रखनी होती है और पूरे दिन में केवल एक बार ही साधारण भोजन करना होता है। इन 41 दिनों में शाम को पूजा करनी होती है और जमीन पर ही सोना पड़ता है।
इस व्रत की पूणार्हूति पर एक गुरु स्वामी के निर्देशन में पूजा करनी होती है। मंदिर यात्रा के दौरान उन्हें सिर पर इरुमुडी रखनी होती है यानी दो थैलियाँ और एक थैला। इनमें से एक में घी, नारियल व पूजा सामग्री होती है तथा दूसरे में भोजन सामग्री। ये लेकर उन्हें शबरी पीठ की परिक्रमा भी करनी होती है, तब जाकर अठारह सीढियों से होकर मंदिर में प्रवेश मिलता है। शोभा करंदलाजे की जो फोटो सामने आई है उसमें वो इसी भेष में मंदिर में ऊपर बढ़ती दिखाई दे रही हैं।
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला
गौरतलब है कि साल 2018 में सबरीमाला मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए वहाँ हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दे दी थी। इसके बाद इस मामले पर कई पुनर्विचार याचिकाएँ दर्ज हुईं। इसके बाद अदालत ने ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए बड़ी संवैधानिक पीठ का गठन करने की बात कही और कहा था कि वो ऐसे मामलों में हिंसा नहीं चाहते।