प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार बन गई है। पीएम मोदी और उनके मंत्रिमंडल के साथियों ने रविवार (9 जून 2024) को शपथ ग्रहण कर लिया। इस बार के मंत्रिमंडल में कुछ ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने जमीन से शुरूआत की है। एक मंत्री तो ऐसे हैं, जो राजनीति में आने से पहले पंचर बनाने का काम करते थे।
पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में जिन पाँच मंत्रियों की हम बात करेंगे, वे हैं- वीरेंद्र कुमार, तोखन साहू, हर्ष मल्होत्रा, अजय टम्टा और बंडी संजय कुमार। ये सभी नेता अलग-अलग राज्यों से ताल्लुक रखते हैं और लोकतंत्र के सबसे निचले पायदान से अपनी राजनीति शुरू की है और आज ये अपनी मेहनत एवं लगन के बल पर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं।
वीरेंद्र कुमार खटीक
वीरेंद्र कुमार खटीक मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के बड़े नेता माने जाते हैं। वे 8वीं बार सांसद चुने जाने के बाद केंद्र में मंत्री बनाए गए हैं। खटीक टीकमगढ़ से सांसद हैं। उन्होंने कॉन्ग्रेस के पंकज अहिरवार को 4 लाख से ज्यादा वोटों से हराया है। पीएम मोदी की पहली कैबिनेट में साल 2017 में उन्हें महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री और दूसरी कैबिनेट में साल 2021 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री बनाया गया था।
वीरेंद्र कुमार का जन्म सागर जिले के एक बेहद गरीब परिवार में 27 फरवरी 1954 को हुआ था। उन्होंने सागर यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। वे पढ़ाई के लिए साइकिल का पंचर बनाने से लेकर गाड़ियों की रिपेयरिंग तक का काम करते थे। वे आज भी अपने पुराने और संघर्ष के दिनों के स्कूटर पर सवार होकर आम जनता से मिलने निकल जाते हैं। वे 1996 से लगातार चुनाव जीत रहे हैं।
खटीक संघ से जुड़े रहे हैं। साल 1975 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा शुरू किए गए संपूर्ण क्रांति आंदोलन में भाग लिया और आपातकाल में 16 महीने तक सागर और जबलपुर जेल में रहे। वे छात्रों की समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन शुरू किया। साल 1982 में वे राजनीति में आए और तब से भाजपा के विभिन्न प्रकल्पों से जुड़े रहे।
तोखन साहू
तोखन साहू छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से सांसद हैं। उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करते हुए राज्यमंत्री बनाया गया है। तोखन साहू पहली बार लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बने हैं। उन्होंने कॉन्ग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव को लगभग 1.64 लाख वोटों के अंतर से हराया है। वे एक बेहद साधारण किसान परिवार से आते हैं। वे वर्ष 2013 में पहली बार लोरमी विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे।
तोखन साहू का जन्म लोरमी के छोटे से गाँव सूरजपुरा में हुआ है। उन्होंने साल 1994 में पंच पद से अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की थी। तोखन पंच से सरपंच, फिर जिला परिषद सदस्य और उसके बाद वर्ष 2013 में लोरमी विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए। साल 2015 में विधायक रहते हुए उन्हें रमन सिंह के कार्यकाल में संसदीय सचिव का पद भी दिया गया था।
हर्ष मल्होत्रा
हर्ष मल्होत्रा पूर्वी दिल्ली लोकसभा चुनाव जीतकर मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री बने हैं। दिल्ली की सभी 7 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है, लेकिन सिर्फ हर्ष मल्होत्रा को ही मंत्री पद दिया गया है। हर्ष मल्होत्रा ने आम आदमी पार्टी के विधायक एवं सफाई कर्मी के बेटे कुलदीप कुमार उर्फ मोनू को लगभग 93 हजार वोटों से हराया है।
हर्ष मल्होत्रा ने साल 2012 में दिल्ली के वेलकम कॉलोनी से पार्षद बनकर आगे मंत्री तक का सफर तय किया है। वे साल 2015-16 में ईस्ट दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के मेयर रह चुके हैं। हर्ष मल्होत्रा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है और उन्होंने एलएलबी की भी डिग्री हासिल की है।
अजय टम्टा
उत्तराखंड के अल्मोड़ा से भाजपा सांसद अजय टम्टा को इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। वे साल 2014 में मोदी सरकार के पहले मंत्रिमंडल में भी शामिल हुए थे। वे अल्मोड़ा से तीसरी बार सांसद चुने गए हैं। उन्होंने कॉन्ग्रेस के प्रदीप टम्टा को लगातार तीसरी बार हराया है। टम्टा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के करीबी माने जाते हैं और प्रदेश के बड़े दलित चेहरा हैं।
उत्तराखंड के अल्मोड़ा में 16 जुलाई 1972 को जन्मे अजय टम्टा ने 23 साल में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। साल 1996 में वे जिला पंचायत के सदस्य चुने गए और 1997 में जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए। साल 2007 में वे सोमेश्वर से विधायक चुने गए। साल 2014 में पहली बार अल्मोड़ा से सांसद बने। उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की है।
बंडी संजय कुमार
तेलंगाना के रहने वाले बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बंडी संजय कुमार को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। उन्होंने तेलंगाना के करीमनगर लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है। संजय कुमार ने कॉन्ग्रेस उम्मीदवार वेलिचला राजेंद्र राव को लगभग 2.25 लाख वोटों से हराया है। संजय कुमार कट्टर हिंदुत्ववादी विचारधारा के जाने जाते हैं।
संजय कुमार का जन्म 11 जुलाई 1971 को बी. नरसेया और बी. शकुंतला के यहाँ हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा संघ के सरस्वती शिशु मंदिर में ली है। संजय कुमार 12 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। संजय ने आडवाणी की रथ यात्रा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
संजय कुमार 2005 में करीमनगर के 48वें डिवीजन के लिए नगर निगम पार्षद चुने गए थे। साल 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने से पहले तक वे इस पद पर रहे। संजय कुमार 2014 और 2018 में हुए तेलंगाना विधानसभा चुनावों में करीमनगर से भाजपा के प्रत्याशी थे, लेकिन दोनों बार उन्हें हार मिली। तेलंगाना में भाजपा को खड़ा करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।