स्वतंत्रता सेनानी और गरीबों के उत्थान के लिए कार्य करने वाले डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने अपना पूरा जीवन समाजवाद के सिद्धांतों का उदाहरण पेश करते हुए बिता दिया, लेकिन आज की राजनीति में खुद को उनका शिष्य कहने वाले उनकी आत्मा को पल-पल ठेस पहुँचाते हैं। ‘समाजवाद’ के नाम पर दशकों सत्ता की मलाई चाँपने वाले मुलायम सिंह यादव उनमें से ही एक हैं। जब जनता ने उनके बाद उनके बेटे को सत्ता सौंपी थी, तब गरीब कल्याण की जगह उनकी जन्मदिन में करोड़ों रुपए फूँक दिए जाते थे।
लोहिया कहते थे कि जाति व्यवस्था को तोड़ देना चाहिए, ताकि सब समान रूप से आगे बढ़ें। लेकिन, मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश यादव और उनका राजनीतिक दल ‘समाजवादी’ पार्टी का पूरा का पूरा वोट बैंक ही जाति व्यवस्था पर टिका हुआ है। मुस्लिम तुष्टिकरण में उनकी जड़ें गहरी जमी हुई हैं। लोहिया मार्क्स की हिंसा का विरोध करते थे, लेकिन आज खुद को उनका ‘चेला’ बताने वाले वामपंथी धारा की तरफ चल पड़े हैं। आज का ‘समाजवाद’ खुद की सैकड़ों करोड़ की संपत्ति अर्जित करने और अपने परिवार के दर्जनों लोगों को विभिन्न पदों पर काबिज करने का नाम है।
आज आजम खान जैसे लोग इस पार्टी के सर्वेसर्वा होते हैं। आजम खान रामपुर विधानसभा क्षेत्र से 9 बार विधायक रहे हैं। फ़िलहाल उनकी पत्नी यहाँ से विधायक हैं। उत्तर प्रदेश में लम्बे समय तक कैबिनेट मंत्री रहे हैं। आजम खान भले जेल में हों, लेकिन रामपुर के सांसद फ़िलहाल वही हैं। अब उन्हें और उनके बेटे को सपा ने टिकट दिया है। एक ‘भू-माफिया’ मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण जिस पार्टी का चहेता है, क्या वो पार्टी कभी जनता की भलाई कर सकती है? उनके खिलाफ 80 मामले दर्ज हैं।
2014 में रामपुर में मुलायम सिंह यादव का शाही जन्मदिन: लंदन से बग्गी और स्विट्जरलैंड से केक
2014 में मुलायम सिंह यादव ने जिस तरह से अपना 75वाँ जन्मदिन मनाया था, उसे देख कर समझा जा सकता है कि पुराने जमाने में मुग़ल आक्रांता कैसे अपनी सालगिरह का जश्न मनाते होंगे। उस दिन वो लंदन की बग्गी पर सवार होकर आजम खान के गढ़ रामपुर में निकले थे। जब बेटा ही राज्य का मुखिया हो, तब ‘शाही सवारी’ को रोकने की हिमाकत कौन करे? आज़म खान के पास तो उस सरकार में संसदीय मामले, मुस्लिम वक़्फ़, शहरी विकास, जल सप्लाइज, शहरी रोजगार एवं गरीबी उत्थान, अल्पसंख्यक कल्याण एवं हज जैसे कई मंत्रालय थे।
अगर आप समझते हैं कि तब मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन उनकी पार्टी मना रही थी तो आप गलत हैं। असल में सब कुछ उत्तर प्रदेश की सरकार कर रही थी, जो जनता द्वारा कर भुगतान किए जाने से चलती है। जनता के टैक्स के पैसों से रामपुर को मुलायम सिंह यादव के लिए संजय-सँवारा गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने इसे ‘समता दिवस’ के रूप में मनाया था। सरकारी खर्चे पर सारा का सारा आयोजन किया गया था। ठीक वैसे ही, जैसा सैफई में बॉलीवुड को नचाने के लिए किया जाता था।
तब रामपुर में जम कर डेंटिंग-पेंटिंग शुरू कर दी गई थी। रंग लेपे जाने लगे थे, ताकि ‘नेताजी’ को सब कुछ सुंदर-सुंदर सा दिखे। 200 तोरण द्वार तैयार कराए गए थे। इमारतों पर बिजली की लड़ियाँ लटकाई गई थीं, ताकि रात को जब वो चमकें तो ‘नेताजी’ की आँखों को सुकून मिले। जो मुलायम सिंह यादव कभी खुद को अंग्रेजी और अंग्रेजियत का विरोधी बताते थे, उनके लिए यूनाइटेड किंगडम की राजधानी लंदन से बग्गी आई थी। वो इंग्लैंड की ‘शाही सवारी थी’, विक्टोरियाई बग्गी।
वो सेलिब्रेशन एकदम ‘किंग स्टाइल’ में हुआ था। इसके लिए 21 नवंबर, 2014 को जश्न शुरू किया था और 22 तारीख़ को 12 बजते ही उन्होंने 75 फुट का केक काटा था। पूरे रामपुर को सपा के पोस्टरों-बैनरों से पाट दिया गया था। आजम खान का ही इलाका था, इसीलिए भला इस पर आपत्ति जताए भी तो कौन और क्यों? जिन बच्चों को पढ़ाई के लिए सुविधा दी जानी चाहिए, संसाधन दिए जाने चाहिए थे, उन छात्र-छात्राओं को सपा संस्थापक के स्वागत में लगाया गया था।
उत्तर प्रदेश के बच्चों से भाँगड़ा करवाया जा रहा था, उन्हें नचवाया जा रहा था पढ़ाने की बजाए। इसके लिए उनके अभिभावकों की अनुमति ली गई या नहीं, कौन जाने। इतनी ठंड में अगर बच्चों को कुछ होता भी तो सरकार अपनी थी, कौन क्या कर लेता। इतना ही नहीं, बाहर से कई VIP मेहमानों के स्वागत की भी जोरदार तैयारियाँ की गई थीं। मोरादाबाद मंडल के उस शहर में बाहरी लोगों को सपा का ‘विकास’ न दिखे, इसके लिए कुछ ज्यादा ही साज-सज्जा की गई थी।
मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के लिए रामपुर पहुँच गई थी ‘सरकार’
स्थिति ये थी कि अतिथियों को ठहराने के लिए होटल कम पड़ गए। चार विशेष विमानों से वीआईपी गेस्ट्स को बुलाया गया था। राज्य के 50 मंत्री, जी हाँ, 50 मंत्री एक ऐसे व्यक्ति की सेवा में उपस्थित थे, जो सरकार में किसी पद पर नहीं था। 1200 कॉन्स्टेबल, PAC की 8 कंपनियाँ और 27 DSP को इस जन्मदिन में विशेष ड्यूटी पर लगाया गया था। खुद मुख्यमंत्री और सपा के सभी सांसद व कई विधायक उस समय रामपुर में ही थे। विक्टोरिया बग्गी में सवार होकर अंबेडकर पार्क के सामने से जौहर यूनिवर्सिटी तक मुलायम सिंह यादव ने यात्रा की और जगह-जगह उनका स्वागत हुआ।
मूंढापांडे स्थित हवाई पट्टी से उतर कर वो सड़क मार्ग से रामपुर पहुँचे थे। आज भले यूपी में एक्सप्रेसवे का जाल बिछ गया हो, लेकिन तब स्थिति ऐसी नहीं थी। 3 घंटे से भी अधिक समय में 11 किलोमीटर के इस ‘राजशाही सफर’ के दौरान भरी ठंड में काँपते स्कूली बच्चों को सड़क के दोनों तरफ स्वागत के लिए लगाया गया था। आजम खान की जिस ‘जौहर यूनिवर्सिटी’ को अवैध भूमि पर कब्ज़ा कर के बनाया गया था, जिस पर योगी सरकार कार्रवाई कर रही है – उसके ‘जिम्नेजियम हॉल’ में मुलायम सिंह यादव ने 75 फ़ीट का लम्बा-चौड़ा केक काटा था।
शैक्षिक कार्यों के लिए बने यूनिवर्सिटी कैम्पस में स्क्रीन लगाए गए थे, ताकि जो VIP अंदर न जा पाएँ वो बाहर से ही इसका आनंद ले सकें। लखनऊ से कारीगर बुला कर इस केक को बनवाया गया था। ये ’21वीं सदी का समाजवाद’ था, जिसमें एक ‘समाजवादी नेता’ के लिए करोड़ों खर्च कर दिए जाते हैं। जिन विधानसभा अध्यक्ष से निष्पक्ष होने की उम्मीद की जाती है, वो माता प्रसाद पांडेय भी मुलायम-अखिलेश-शिवपाल के साथ बग्गी में सवार थे। सरकारी कार्यालयों में इसका सीधा प्रसारण किया जा रहा था। वैसे ‘बहुजन हित’ की बात करने वाले मायावती भी अपने मुख्यमंत्रित्व काल में ‘शाही’ जन्मदिन मनाने के लिए मशहूर रही हैं।
जब आजम खान से पूछा गया था कि इतने खर्च के लिए रुपए कहाँ से आए, तब उन्होंने तंज कसते हुए जवाब दिया था, “क्या ये मुद्दा भी है कि जश्न मनाने के लिए रुपए कहाँ से आए? कुछ तालिबान से आए, कुछ अबू सालेम से आए, कुछ दाऊद इब्राहिम से आए और कुछ अन्य आतंकियों से आए हैं।” स्पेशल विमान से और फिर लक्जरी गाड़ी से रामपुर पहुँचे यादव पिता-पुत्र के स्वागत के लिए 200 दरवाजे बनाए गए थे। लाल और सफ़ेद बैलून हवा में उड़ते हुए दुनिया को मुलायम के समाजवाद के बारे में बता रहे थे।
सैफई में परिवार विशेष के मनोरंजन फूँक दिए जाते थे कई करोड़
ये भी उसी साल की बात है, जब जनवरी 2014 में ग्रामीणों ने ही पुलिसवालों को पीट दिया था। दरअसल, हंगामा भड़कने पर पुलिसकर्मियों ने परिस्थिति को नियंत्रित करने के लिए थोड़ी सख्ती दिखाई। उन्होंने हंगामा कर रहे लोगों को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें कहाँ पता था कि अखिलेश की सरकार में जनता पुलिस पर हावी हो जाएगी। उन लोगों ने ही उलटा पुलिस को पीटना शुरू कर दिया था। पुलिस ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी शिकायत की, लेकिन मुख्यमंत्री का गाँव होने की वजह से उनके हाथ भी बँधे थे।
तत्कालीन सरकार ने इस महोत्सव पर 300 करोड़ रुपए फूँक दिए थे। खूब नाच-गाने हुए। सभी सरकारी अधिकारियों ने इसका लुत्फ उठाया था। बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान और अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को भी प्रोग्राम में शिरकत करने के लिए बुलाया गया था। मालूम हो कि सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर में दंगे हुए थे और उसी साल दिसंबर में सैफई में खूब नाच-गाने हुए थे। मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों को लेकर सरकार पर सवाल उठे तो भीषण ठंड के बाद भी शिविर उजाड़ दिए गए और दूसरी ओर सरकार के ‘घर’ सैफई में महोत्सव के बहाने हुए जश्न के नाम पर सैकड़ों करोड़ बहा दिए गए।