उत्तर प्रेदश में कोरोना संक्रमण के बीच तीन चरणों में संपन्न कराए गए पंचायत चुनावों के लिए 829 केंद्रों पर मतगणना हो रही है। वैसे तो चुनाव के बाद सभी की नजर पूरे नतीजों पर अटकी हुई है। लेकिन इस बीच इटावा में सैफई नाम का ग्राम ऐसा है, जिसने यूपी में हुए इन चुनावों को ऐतिहासिक बना दिया है।
ये गाँव मुलायम सिंह यादव का है। 1971 से यहाँ मुलायम सिंह यादव के दोस्त दर्शन सिंह का राज था। हर बार उन्हें ही यहाँ निर्विरोध प्रधान बनाया जाता था। मगर, पिछले साल 17 अक्टूबर को उनका निधन होने के बाद यह सीट रिक्त हो गई।
फिर सामान्य पंचायत चुनाव में सैफई गाँव के प्रधान पद को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया। इस बार भी प्रधान निर्विरोध चुन लिया जाता, लेकिन विनीता नाम की दलित महिला ने इस प्रक्रिया में ब्रेक लगा दी।
विनीता के चुनाव में उतरने से गाँव में मतदान हुआ। हालाँकि, नतीजे उनके पक्ष में नहीं रहे। उन्हें मात्र 15 वोट मिलने की खबर है जबकि मुलायम सिंह यादव का समर्थन पाने वाले रामफल वाल्मिकी को 3877 वोट मिले हैं। आजादी के बाद यह पहला मौका है जब इस क्षेत्र में कोई दलित बतौर प्रधान निर्वाचित हुआ।
मुलायम सिंह यादव के गाँव सैफई में आजादी के बाद हमेशा प्रधान पद का चुनाव निर्विरोध ही होता रहा। आजादी के बाद पहली बार दलित जाति का कोई प्रधान उनके गाँव में बना। यह और बात है कि जो प्रधान बने, वो भी मुलायम सिंह यादव का समर्थन पाने वाले ही हैं।
इसी प्रकार यूपी के मैनपुरी के नगला उसर गाँव का चुनाव भी इस समय चर्चा में बना हुआ है। बताया जा रहा है कि वहाँ से विजेता का नाम पिंकी कुमारी है, जिन्होंने वर्तमान प्रधान चंद्रावती को हराया और 115 वोटों से जीत हासिल की। हालाँकि दुखद बात ये है कि पिंकी कुमारी के नाम पर जीत की मुहर तो लग गई, लेकिन वह अब इस दुनिया में नहीं है। पंचायत चुनाव के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ी थी और जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो उनकी मौत हो गई। अब यहाँ दोबारा चुनाव करवाए जाएँगे।
कानपुर के बिधनू ब्लॉक में इस बार एक काजल किरन नाम के किन्नर को ग्राम प्रधान निर्वाचित किया गया। काजल किरन ने गुड़िया देवी को 185 वोटों से हराकर जीत हासिल की। इससे पहले काजल किरन नौबस्ता पशुपति नगर वार्ड 48 से पार्षद थीं। उन्होंने महाराजपुर विधानसभा से निर्दलीय विधायक उम्मीदवार के तौर पर चुनाव भी लड़ा था।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर पहला चरण 15 अप्रैल, दूसरा चरण 19 अप्रैल और तीसरा चरण 26 अप्रैल को संपन्न कराया गया था। इन पंचायत चुनाव के लिए 1 करोड़ 7 लाख 4435 लोगों ने नामांकन पत्र दाखिल किया था। इसमें से 17,619 का नामांकन खारिज हो गया था, जबकि 77669 लोगों ने अपना नामांकन वापस ले लिया और 3 लाख 19,317 का निर्वाचन निर्विरोध हो गया।