Wednesday, November 20, 2024
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हटा दो, काट दो 508 पेड़: शिवसेना के आदेश पर स्वरा गैंग, बॉलीवुड से लेकर फर्जी पर्यावरण प्रेमी सब चुप

"हमारी पार्टी सत्ता में आई तो हम आरे में पेड़ों की हत्या करने वालों से अच्छे तरीके से निपटेंगे। ये जो हत्यारे अधिकारी बैठे हैं, वो पेड़ों के कातिल हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।"

मुंबई के आरे में मेट्रो-3 के लिए कारशेड बनाने के लिए पिछले दिनों जंगल से कुछ पेड़ काटे गए थे। जिसे लेकर काफी हो-हल्ला हुआ। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा। इसके बाद कोर्ट ने पेड़ काटने पर रोक लगा दी। लेकिन अब राज्य की उद्धव सरकार ने 508 पेड़ों को हटाने का निर्णय लिया है, जिसमें 162 पेड़ काटे जाने हैं। यह पेड़ मेट्रो-2A के लिए काटे जाएँगे। इन पेड़ों को गोरेगाँव और अंधेरी के DN नगर से लेकर कांदिवली के लालजीपाड़ा तक काटा जाना है।

किसी भी राज्य में सरकार बदलने पर और किसी सरकार के सत्ता में आने पर किस तरह से वहाँ की स्थितियाँ बदलती हैं, ये उसी का उदाहरण है। जब बीजेपी की सरकार में कारशेड बनाने के लिए पेड़ काटे जा रहे थे, तो शिवसेना ने इसका भरपूर विरोध किया था। उद्धव ठाकरे ने तो यहाँ तक कह दिया था कि आगामी सरकार हमारी होगी और एक बार हमारी पार्टी सत्ता में आई तो हम आरे में पेड़ों की हत्या करने वालों से अच्छे तरीके से निपटेंगे। उन्होंने कटाई का विरोध करते हुए कहा था कि ये जो हत्यारे अधिकारी बैठे हैं, वो पेड़ों के कातिल हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी। मगर अब उन्होंने खुद ही पेड़ों को काटने का आदेश दिया है।

जब उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तो उन्होंने आरे में आंदोलन करने वाले करीब दो दर्जन ‘पर्यावरण प्रेमियों’ के खिलाफ दर्ज किए गए आपराधिक मामलों को वापस ले लिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री बनते ही घोषणा करते हुए कहा था कि मेट्रो नहीं रुकेगा लेकिन आरे में अब पेड़ तो क्या, एक पत्ता भी नहीं काटा जाएगा। लेकिन ये क्या… उन्होंने तो सत्ता में आने के चंद महीनों बाद ही पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी।

और परिवर्तन तो देखिए… इस बार किसी मीडिया वालों ने इस खबर को बढ़-चढ़कर नहीं दिखाया। बढ़-चढ़कर तो छोड़िए… कुछ मीडिया हाउस के अलावा किसी ने इसे कवर ही नहीं किया, जैसे कुछ हुआ ही न हो! बड़े-बड़े तथाकथित पत्रकार, पर्यावरण संरक्षक, तथाकथित कार्यकर्ता और अभिनेता-अभिनेत्री के कानों पर इस खबर की जूँ तक न रेंगी। जी हाँ, मैं उन्हीं लोगों की बात कर रही हूँ जो आरे में पेड़ कटने के समय (भाजपा सरकार के वक्त) लंबे-लंबे भाषण और धरना प्रदर्शन दिया करते थे। 

उस समय तो इस कदर हंगामा हुआ था कि बॉलीवुड से लेकर मीडिया हाउस और तथाकथित एक्टिविस्ट तो जैसे पगला से गए थे। लेकिन अब… अब तो जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। क्योंकि वहाँ की सरकार जो बदल गई है। अब वहाँ पर बीजेपी जो नहीं है। अब वहाँ पर शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी की सरकार है! और इन्हें तो विरोध बस बीजेपी का करना है… सही या गलत के इनके पैमाने राजनीतिक चश्मे के कारण बदलते रहते हैं।

महाराष्ट्र बीजेपी के नेता किरीट सोमैया ने भी इस पर तंज कसते हुए उद्धव सरकार को अजीब सरकार बताया। बीजेपी के पूर्व लोकसभा सांसद ने शिवसेना को याद दिलाते हुए कहा कि यह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अगाड़ी सरकार थी, जिसने आरे में ‘पेड़ों को बचाने’ के लिए मुंबई मेट्रो-3 कार शेड के निर्माण पर रोक लगा दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे 1,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने प्रतिबंध नहीं हटाया।

आरे जंगल से पेड़ काटने के फैसले के विरोध में सेलिब्रिटियों ने भी तब काफी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। बॉलीवुड एक्ट्रेस दिया मिर्जा ने भी इसका विरोध किया और वीडियो भी शेयर किया था। दिया मिर्जा ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा था, “क्या यह अवैध नहीं है? आरे में अभी यह हो रहा है। क्यों? कैसे?” दिया मिर्जा ने अपने ट्वीट में बीएमसी, आदित्य ठाकरे, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस को टैग किया था।

स्वरा भास्कर ने भी इस फैसले का विरोध किया था। उन्‍होंने ट्वीट किया था, “और यह शुरू हो गया। आरे जंगल नष्‍ट हो रहा है।” एक अन्य ट्वीट में स्वरा ने लिखा, “शर्मनाक। इस वीडियो में आरे फॉरेस्ट के पेड़ को गिरते हुए दिखाया जा रहा है।”

वहीं बॉलीवुड फिल्‍ममेकर ओनिर ने लिखा था, “अंधेरे के आवरण में कुल्हाड़ी हमारे पेड़ों पर गिरती है। RIP #AareyForest … हम आपको नहीं बचा पाए। मेरा दिल यह जानने के लिए टूट जाता है कि सुबह तक कई गर्वित खड़े पेड़ मानव लालच में पड़ गए होंगे।”

फरहान अख्‍तर ने भी विरोध में ट्वीट करते हुए लिखा था, “रात में पेड़ों को काटना एक दयनीय प्रयास है, जो लोग ऐसा करने जा रहे हैं वो भी जानते हैं कि यह गलत है।” 

अब ये पर्यावरण प्रेमी लोग कहाँ हैं? क्यों नहीं अपना विरोध दिखा रहे? अभी इतनी शांति क्यों है? क्या ये पर्यावरण के साथ अन्याय नहीं है? क्या ये दयनीय नहीं है? बॉलीवुड से लेकर पत्रकार और तथाकथित कार्यकर्ताओं का ये दोहरा रवैया दर्शाता है कि इन्हें पर्यावरण से कोई प्रेम नहीं है, बल्कि ये तो बस लाइमलाइट में आने की कोशिश करते हैं – वो भी सिर्फ BJP को टारगेट करके!

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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