प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपावली के अवसर पर मन की बात कार्यक्रम के ज़रिए देश को सम्बोधित किया, इस दौरान उन्होंने अपने वक्तव्य में अयोध्या का भी ज़िक्र किया राम जन्मभूमि का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि साल 2010 में जब राम जन्मभूमि पर फैसला आया था, उस समय सभी लोगों ने कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए उसे स्वीकार किया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “सितंबर 2010 में जब राम जन्मभूमि पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। जरा उन दिनों को याद कीजिए, कैसा माहौल था। भाँति-भाँति के कितने लोग मैदान में आ गए थे। कैसे-कैसे ‘इंटरेस्ट ग्रुप’ उस माहौल का अपने-अपने तरीके से फायदा उठाने के लिए खेल खेल रहे थे। माहौल में गर्माहट पैदा करने के लिए किस-किस प्रकार की भाषा बोली जाती थी। भिन्न-भिन्न स्वरों में तीखापन भरने का भी प्रयास होता था।”
PM @narendramodi says why he vividly remembers the day Allahabad HC delivered the Ram Janmabhoomi verdict.
— PMO India (@PMOIndia) October 27, 2019
Thanks to the people of India, social organisations, Saints, Seers and leaders of all faiths, it became a day that furthered unity and the judiciary was also respected. pic.twitter.com/p2AoC46AEm
पीएम मोदी ने कहा कि एक तरफ दो हफ्ते की गर्माहट के लिए सब कुछ हुआ था, मगर जैसे ही राम मंदिर पर फैसला आया तब सरकार, राजनीतिक दलों, सिविल सोसायटी ने सभी संप्रदाय के प्रतिनिधियों ने बहुत ही संतुलित बयान दिए थे। उस माहौल में तनाव कम करने का प्रयास किया गया था। अपने सम्बोधन में वे बोले कि हमें याद रखना चाहिए कि यह बातें बहुत ताकत देती हैं, वह पल हम सबके लिए बड़ा कर्त्तव्यबोध का है। एकता का स्वर, देश को कितनी बड़ी ताकत देता है यह उसीका उदहारण है।
बयानबाज़ों और बड़बोले लोगों की इशारा करते हुए मोदी ने कहा कि कुछ लोगों ने खुद को चमकाने के इरादे से न जाने क्या-क्या नहीं कहा। उन्होंने कितनी ही गैर-ज़िम्मेदाराना बातें कीं। हमें सब याद है, लेकिन ऐसे लोग पाँच दिन, सात दिन तक चलता रहा मगर जब फैसला आया तो पूरे देश ने एक आनंददायक आश्चर्यजनक बदलाव महसूस किया।