बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुँच कर समावजदी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव से मुलाकात की। विपक्षी एकता की कवायद में लगे जदयू नेता नीतीश कुमार ने इससे पहले कोलकाता पहुँच कर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठक की थी। वो दिल्ली में कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से भी मिल चुके हैं।
लखनऊ में नीतीश कुमार ने कहा कि पूरे देश को भाजपा से मुक्ति मिले और देश आगे बढ़े, इसके लिए सब मिल कर प्रयास करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इतिहास को बदलने के चक्कर में है। बकौल बिहार सीएम, काम नहीं हो रहा है और केवल प्रचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक पार्टियों को एक साथ मिल कर आगे बढ़ने और एक साथ मिल कर चुनाव लड़ने पर फायदा हो सकता है, देशहित में हो सकता है।
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के लोगों का रिश्ता उत्तर प्रदेश से शुरू से है। उन्होंने खुद को समाजवादी बताया। साथ ही कहा कि देश के अन्य जगहों के हित में भी बातचीत हुई है और अन्य दलों से भी बातचीत होगी। उन्होंने कहा कि अच्छी बातचीत हुई है। नेता तय होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सब लोग एकजुट हो जाएँगे, तब नेता बनेंगे और अच्छा काम करेंगे। हालाँकि, उन्होंने कहा कि वो नेता नहीं बनेंगे और उन्हें कुछ नहीं चाहिए।
नीतीश कुमार ने कहा कि अगर सब मिल कर लड़ेंगे तो आगे चल कर परिणाम अच्छा आएगा। उन्होंने कहा कि यूपी-बिहार में अधिकतर परिणाम इधर ही आएँगे। वहीं इस दौरान अखिलेश यादव ने लोकतंत्र पर संकट की बात करते हुए कहा कि संविधान को बचाने के लिए भाजपा की गलत नीतियों से किसान-मजदूर परेशान हैं और महँगाई-बेरोजगारी चरम सीमा पर है। उन्होंने कहा कि भाजपा हटाने और देश बचाने के अभियान में वो साथ हैं।
#WATCH | Lucknow, UP: BJP is continuously trying to finish democratic values of the country. We all are here with people of India to save country from unemployment, inflation & poverty. We want BJP govt to exit so that country can be saved: Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav pic.twitter.com/krWa2z8eig
— ANI (@ANI) April 24, 2023
हालाँकि, दोनों ही बैठकों में एक बात तय है कि नीतीश कुमार के हाथ बातों से ज़्यादा कुछ नहीं लगा है। न तो लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कोई गठबंधन की बात हुई, न ही विपक्ष के पास नेता का चेहरा है। बिहार में नीतीश कुमार वामपंथी दलों से गठबंधन में हैं, बंगाल में वो उनके विरोधी ममता बनर्जी से मिलते हैं। क्या वामदल-TMC एक साथ आएँगे? क्या यूपी में मायावती विपक्षी गठबंधन के प्लान का हिस्सा नहीं हैं? या फिर नीतीश कुमार यूँ ही टाइमपास कर रहे हैं?