उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने दावा किया है कि यूपी में प्रियंका गाँधी से बड़ा कोई ब्राह्मण चेहरा नहीं है। उन्होंने जितिन प्रसाद के भाजपा में जाने के मुद्दे पर ये टिप्पणी की। बता दें कि जितिन प्रसाद को कॉन्ग्रेस का बड़ा ब्राह्मण चेहरा माना जाता था, लेकिन अब इसी कॉन्ग्रेस ने कहा है कि जो व्यक्ति अपनी सीट तक नहीं बचा पाया, उसके जाने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा।
अजय कुमार लल्लू ने दावा किया कि जितिन प्रसाद पिछले दिनों सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी मिले थे और बात न बनने पर भाजपा में चले गए। उन्होंने जितिन प्रसाद के ‘राजनीतिक चरित्र’ पर सवाल खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने कॉन्ग्रेस के साथ विश्वासघात किया है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कॉन्ग्रेस छोड़ कर ‘भाजपा के वृहद परिवार’ में शामिल होने वाले जितिन प्रसाद का स्वागत करते हुए कहा कि उनके आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी।
वहीं लल्लू ने दावा किया कि कॉन्ग्रेस ने तब उनकी और उनके परिवार मदद की थी, जब उन्हें इसकी सख्त ज़रूरत थी। उन्होंने ये भी कहा कि वो मात्र 35 वर्ष की उम्र में केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बने, क्योंकि कॉन्ग्रेस ने उनका हमेशा साथ दिया। बता दें कि 2008 में उन्हें मनमोहन सिंह के के मंत्रिमंडल में बतौर राज्यमंत्री शामिल किया गया था। यूपीए-2 के दौरान भी उन्हें इसी पद पर रहते हुए कई विभागों का जिम्मा सौंपा गया।
उधर जितिन प्रसाद ने भाजपा में शामिल होने पर कहा है कि ये उनका नया राजनीतिक अध्याय शुरू हो रहा है। सचिन पायलट जब कॉन्ग्रेस से नाराज थे, तब जितिन प्रसाद ने उनका समर्थन किया था। जब जितिन ने ब्राह्मणों के अधिकार की लड़ाई हेतु ‘ब्रह्म चेतना संवाद’ कार्यक्रम की घोषणा की तो पार्टी ने इससे किनारा कर के इसे उनका निजी कार्यक्रम बता दिया था। हालाँकि, जितिन प्रसाद पिछले 3 चुनाव हार चुके हैं।
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— भारत समाचार (@bstvlive) June 9, 2021
➡यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय लल्लू का बयान:-
➡4 दिन पहले अखिलेश से मिले थे-लल्लू
➡जो विधानसभा न जीत पाए-लल्लू
➡जो अपनी सीट न जीत पाए-लल्लू
➡सीट नहीं जीत पाए तो पार्टी पर दोष दिए-लल्लू
➡उसके बारे में क्या बात करना-लल्लू
➡आज जाकर बीजेपी में मिल गए-लल्लू pic.twitter.com/UnqcVZNx80
उन्हें 2014 और 2019 में धौरहरा से लोकसभा चुनाव और 2017 में तिलहर विधानसभा क्षेत्र से उन्हें हार नसीब हुई थी। लेकिन, ये भी गौर करने वाली बात है कि इन चुनावों में कॉन्ग्रेस की स्थिति और भी बदतर थी। फिर भी कॉन्ग्रेस को उनके जाने से नुकसान तय माना जा रहा है, क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी के संगठन को उन्होंने ही जीवित किया था। ऊपर से कॉन्ग्रेस सीएम योगी को ‘ब्राह्मण विरोधी चेहरा’ बनाने में लगी थी। अब इस अभियान को झटका लगा है।
47 वर्षीय जितिन प्रसाद कॉन्ग्रेस के उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने आलाकमान को पत्र लिख कर संगठन में चुनाव कराने और बदलाव की माँग की थी, जिसके बाद यूपी के ही कुछ कॉन्ग्रेस नेता उनके पीछे पड़ गए थे। तब कपिल सिब्बल ने भी उन्हें परेशान किए जाने पर आपत्ति जताई थी। उनके पिता जितेंद्र प्रसाद ने 2000 में उन्होंने सोनिया गाँधी के खिलाफ कॉन्ग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था।