दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को फिलहाल राउज एवेन्यू कोर्ट से राहत मिलती नहीं दिख रही है। उनके द्वारा डाली गई अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट 5 जून को फैसला सुनाएगा। अदालत द्वारा मिली इस तारीख के बाद यह तय हो गया है कि 2 जून 2024 (रविवार) को दिल्ली के मुख्यमंत्री को जेल में सरेंडर करना ही होगा। अपनी दलील में अरविन्द केजरीवाल ने बीमारी का हवाला दिया था। हालाँकि ED ने इस दलील को निराधार बताते हुए जमानत का विरोध किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मामले की सुनवाई राउज एवेन्यू स्पेशल कोर्ट की जज कावेरी बावेजा की अदालत में हुई। अदालत में अरविन्द केजरीवाल का पक्ष एन हरिहरन ने रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। जेल में अरविन्द केजरीवाल को बेहतर इलाज न मिल पाने की दलील देते हुए उनके वकील ने अंतरिम जमानत की अवधि 7 दिनों के लिए और बढ़ाने की माँग की। एन हरिहरन ने बताया कि अरविन्द केजरीवाल साल 1994 से डायबिटीज के मरीज हैं और लगातार इन्सुलिन ले रहे।
हालाँकि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की इस दलील का विरोध किया। ED का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अरविन्द केजरीवाल पर न्यायालय को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने अरविन्द केजरीवाल द्वारा की गई उस प्रेस कॉन्फ्रेंस का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने बिना अदालत का फैसला आए ही 2 जून को सरेंडर करने का ऐलान कर दिया था।
ED ने अदालत से गुजारिश की है कि अरविन्द केजरीवाल को जमानत न दी जाए। इसके साथ उन्होंने ये भी बताया कि कैसे जमानत पाने के बाद केजरीवाल अपना मेडिकल टेस्ट कराने की बजाय रैलियाँ और रोड शो कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इससे तो यही लगता है कि वो बीमार नहीं है। इसके साथ ही केजरीवाल द्वारा जो जेल में 7 किलो वजन कम होने की बात कही गई थी, उस पर कोर्ट में बताया गया कि असल में अरविंद केजरीवाल का वजन 1 किलो बढ़ा था, न कि कम हुआ था। ईडी दोनों पक्षों की दलीलों को सुन कर कोर्ट ने फैसले के लिए 5 जून (बुधवार) की तिथि तय कर दी।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अरविन्द केजरीवाल फिलहाल अंतरिम जमानत पर हैं। उन्हें 10 मई 2024 को अदालत द्वारा 21 दिनों के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। इस जमानत की मियाद 2 जून को खत्म हो रही है। इसी को 1 हफ्ते और बढ़ाने के लिए केजरीवाल ने अदालत में अर्जी लगाई थी। हालाँकि फिलहाल उन्हें कोई राहत अदालत ने नहीं दी है।