भारतीय वायु सेना पहले से कई गुना ज्यादा मजबूत होने वाली है क्योंकि फ़्रांस से राफेल फाइटर जेट्स भारत के लिए निकल गए हैं। बीच में यूएई मे रिफ्यूलिंग के लिए रुकते हुए पाँचों राफेल जेट्स बुधवार (जुलाई 29, 2020) को अंबाला एयरबेस पहुँचेंगे। यूएई में इनमें फ्रेंच वायुसेना के टैंकर एयरक्राफ्ट द्वारा फ्यूल भरा जाएगा। जहाँ इसके लिए मोदी सरकार धन्यवाद की पात्र है, वहीं हमें पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटोनी का बयान भी याद करना चाहिए।
जब 2019 लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार पूरे शबाब पर था, तब भारत के पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटोनी ने राफेल सौदे को लेकर ऐसा बयान दिया था, जो उनके ही 2014 वाले बयान को काटता था। एंटोनी ने उस वक़्त दो बातें कही थीं। उन्होंने कहा था कि राजग सरकार ने राफेल सौदे में देरी की। उन्होंने ख़ुद के बारे में कहा था कि उन्होंने भी इस सौदे में देरी की। लेकिन, बड़ी सफाई से उन्होंने ख़ुद के फ़ैसले को ‘राष्ट्रहित’ से जोड़ दिया था। बकौल एंटोनी, उन्होंने राष्ट्रहित में राफेल सौदे में देरी की।
स्वयं तत्कालीन केंद्रीय रक्षा मंत्री एंटोनी ने 2014 में यह स्वीकार किया था कि यूपीए सरकार के पास वित्त की कमी है, जिस कारण वे चालू वित्त वर्ष में राफेल सौदे को आगे नहीं बढ़ा पाएँगे। फरवरी 6, 2014 को उन्होंने ये बयान दिया था। 10 वर्षों से सत्ता में रही एक राजनीतिक पार्टी के रक्षा मंत्री द्वारा इस तरह का बयान देना कि उसके पास वायुसेना के लिए रुपए ही नहीं हैं, काफ़ी अजीब था। एंटोनी ने कहा था:
“पाँच साल की लंबी प्रक्रिया के बाद भारत ने राफेल लड़ाकू विमानों के लिए फ्रांसीसी दसौं एवियेशन का चयन किया है। भारतीय रक्षा ख़रीद प्रक्रिया के अनुसार जो कम्पनियाँ सेनाओं की विशिष्ट आवश्यकता और निर्धारित मानकों पर खरे साजो-सामान को सबसे सबसे कम क़ीमत पर पेशकश करने को तैयार होती है उन्हें उसकी आपूर्ति का ठेका दिया जाता है।”
अपने बयान में तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटोनी ने आगे कहा था कि सरकार के पास रुपए ही नहीं बचे हुए हैं, ऐसे में सभी बड़े प्रोजेक्ट्स को अप्रैल तक इंतजार करना पड़ेगा। ये बात वो व्यक्ति बोल रहा था, जिससे ज्यादा दिन तक हमारे देश में किसी भी रक्षा मंत्री का कार्यकाल नहीं रहा। एंटोनी ने इस पद को साढ़े 7 साल तक संभाला। यूपीए एक दशक तक सत्ता में रही। लेकिन तब भी ये लोग लाचारी दिखाते रहे।
एके एंटोनी ने तब कहा था कि लाइफ साइकिल कॉस्ट को कैलकुलेट करने के सम्बन्ध में कुछ शिकायतें आई हैं और अभी इस मामले को ठीक नहीं किया जा सका है। उन्होंने स्वीकारा था कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी के पास अंतिम अप्रूवल के लिए लाए जाने से पहले ये ज़रूरी है। फिर किस मुँह से कॉन्ग्रेस नेता बाद में कहते थे कि मोदी सरकार से पहले उन्होंने डील फाइनल कर ली थी? एंटोनी ने तब कहा था कि सरकार की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है।
5 Rafales have left French shores for journey to India. Good time to replug this clippic.twitter.com/JOTtG8NPj7
— iMac_too (@iMac_too) July 27, 2020
खुद एंटोनी ने उस वक्त स्वीकार किया था कि राफेल मामले में देरी हुई है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि इस पर बातचीत चल रही है। उन्होंने बताया था कि फंड्स की भारी कमी है, इसीलिए अगले वित्त वर्ष से पहले कुछ नहीं हो पाएगा। वहीं जब मोदी सरकार ने वायुसेना को सशक्त करने की ओर कदम बढ़ाया तो राहुल गाँधी रोज राफेल-राफेल चिल्ला कर लोकसभा चुनाव में माहौल बनाने लगे।
ये अलग बात है कि ये मुद्दा बुरी तरह फेल हुआ और वो कॉन्ग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ कर ही भाग निकले, वरना ‘द हिन्दू’ के एन राम ने रोज लंबे-लंबे लेख लिख कर मीडिया में माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। ‘द वायर’ और ‘द क्विन्ट’ जैसे मीडिया पोर्टल्स की अगुआई में सोशल मीडिया में भी दुष्प्रचार फैलाया जा रहा था। चुनाव परिणाम आते ही सब चुप हो गए क्योंकि जनता ने उन्हें सबक सिखा दिया था।
हरियाणा के अंबाला में लैंड करने वाले 3 राफेल जेट्स 2 सीट वाले हैं और बाकी 2 सिंगल सीटर हैं। फ़्रांस से यहाँ तक पहुँचने में ये 7000 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। पहाड़ों पर उम्दा प्रदर्शन के लिए इनमें सेल्फ-प्रोटेक्शन के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है और ये रडार से भी लैस हैं। इसका ‘Combat Range’ 750-1680 किलोमीटर होगा। इसमें इंफ्रारेड सर्चिंग और ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है।