जब से मोदी सरकार ने न सिर्फ हिन्दू बल्कि मुस्लिम, ईसाई सहित सभी धर्मों-मजहबों की लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने का फैसला किया है। तब से इसका विरोध करते हुए समाजवादी पार्टी ने राजनीतिक बयानबाजी तेज कर दी है। जहाँ सपा सांसद शफीक उर रहमान बर्क ने कहा कि हम सदन में इसका विरोध करेंगे, शादी की उम्र 18 की बजाय 17 करनी चाहिए। वहीं सपा सांसद ST हसन ने कहा कि फर्टिलिटी एज के बाद शादी का क्या फायदा, लेट शादी से बच्चे पैदा होना भी मुश्किल है।
#WATCH | Girls should be married when they attain age of fertility. There is nothing wrong if a mature girl is married at 16. If she can vote at age of 18, why can't she marry?: Samajwadi Party MP ST Hasan on Govt's decision to raise legal age of marriage for women to 21 years pic.twitter.com/UZxHrMcjrh
— ANI (@ANI) December 17, 2021
दरअसल, शफीक उर रहमान के सुर में सुर मिलाते हुए अब समाजवादी पार्टी के एक और सांसद एसटी हसन ने भी आपत्तिजनक बयान दिया है। उन्होंने अपने बयान में कहा है, “लड़कियों की शादी की उम्र 21 नहीं 16-17 कर दी जानी चाहिए… अगर शादी में देर होगी तो बच्चे नेट देखतें है, गन्दी वीडियो (अश्लील) देखेंगे। गंदी फिल्में देखेंगे और यह आवारगी ही है। इसमें कोई फर्क नहीं है। शादी की उम्र सीमा बढ़ाने से लड़कियाँ आवारगी करेंगी।”
मैं समझता हूं कि अगर बच्ची समझदार है तो बच्ची की शादी 16 साल की उम्र में भी हो जाए तो उसमें कोई बुराई नहीं है। अगर लड़की 18 साल की उम्र में वोट दे सकती है तो शादी क्यों नहीं कर सकती है: महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र 18 से 21 साल करने के प्रस्ताव पर एस.टी. हसन, समाजवादी पार्टी pic.twitter.com/76j1uT5wIj
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 17, 2021
एसटी हसन ने आगे यह भी कहा, “शादी जल्दी होगी तो वो बच्चे जल्दी पैदा कर पाएँगी, क्योंकि फर्टिलिटी की उम्र 15 से 30 साल होती है। ऐसे में शादी की उम्र में देरी नहीं होनी चाहिए। मैं समझता हूँ कि अगर बच्ची समझदार है तो बच्ची की शादी 16 साल की उम्र में भी हो जाए तो उसमें कोई बुराई नहीं है। अगर लड़की 18 साल की उम्र में वोट दे सकती है तो शादी क्यों नहीं कर सकती है।”
वहीं शफीक उर रहमान वर्क के बयान पर कई नेताओं ने आपत्ति जताई है। एटा में राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा, “यह गुलामी करवाने वाले लोगों की मानसिकता है, जो हमेशा लड़कियों को गुलाम बनाए रखना चाहते हैं। मोदी सरकार संविधान के साथ से सबको बराबरी का अधिकार दे रही है।”
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान लड़कियों की शादी की उम्र को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष किए जाने संबंधी प्रस्ताव का ऐलान किया था। PM ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा था, ”सरकार बेटियों और बहनों के स्वास्थ्य को लेकर हमेशा से चिंतित रही है। बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए, ये जरूरी है कि उनकी शादी सही उम्र में हो।”
बता दें कि अभी भारत में महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और पुरुषों की 21 वर्ष है। कानून में बदलाव के बाद अब महिला और पुरुष दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष हो जाएगी।