कोरोना वैश्विक महामारी की वजह से इस बार संसद का मॉनसून सत्र देर से शुरू हो रहा है। हालात देखते हुए इस सत्र में प्रश्नकाल स्थगित करने का फैसला किया गया है। इस फैसले से पहले सरकार ने सभी दलों से मशविरा भी किया था। लेकिन टीएमसी के सांसद से लेकर कॉन्ग्रेस के ट्रोल तक अब इस पर प्रोपेगेंडा फैलाने में लगे हैं। मीडिया गैंग के सदस्य भी इसमें शामिल हैं।
पर हकीकत यह है कि ऐसा न तो पहली बार हुआ है और न सरकार ने विपक्ष की राय जाने बिना यह फैसला किया है। एक सत्य यह भी है कि बीते 5 साल में संसद में प्रश्नकाल का 60 फीसदी वक्त विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ बर्बाद भी हुआ है।
इस बार मॉनसून सत्र की शुरुआत 14 सितम्बर को होगी। इसका समापन 1 अक्टूबर को प्रस्तावित है। लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक दो पाली सुबह 9 से 1 बजे और दोपहर 3 से 7 बजे शाम तक संसद चलेगी। पूरे सत्र में कोई छुट्टी नहीं होगी।
The hypocrisy of Congress, TMC and Left parties in opposing the cancellation of the ‘Question Hour’ in the upcoming Monsoon session of the Parliament is totally exposed.
— BJP (@BJP4India) September 4, 2020
Here is why… pic.twitter.com/iwdoD3mcDZ
शनिवार एवं रविवार को भी संसद की कार्यवाही जारी रहेगी। कोरोना के कारण उपजे हालत को देखते हुए प्रश्नकाल को स्थगित रखा गया है। इस दौरान सिर्फ गैर तारांकित (Unstarred) प्रश्न ही उठाए जाएँगे।
प्रश्नकाल के निलंबन की कॉन्ग्रेस, तृणमूल कॉन्ग्रेस और भाकपा सहित कई विपक्षी दलों के नेता आलोचना कर रहे हैं। इनका आरोप है कि सरकार कोरोना महामारी के नाम पर ‘लोकतंत्र की हत्या’ और ‘संसद को एक नोटिस बोर्ड’ बनाने की कोशिश कर रही है। तृणमूल कॉन्ग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सबसे पहले इस पर सवाल उठाया और उसके बाद विपक्ष के और नेताओं ने भी इसमें सुर मिलाया।
ऐसा नहीं है कि संसद का प्रश्नकाल पहली बार स्थगित किया गया है। इससे पहले भी कई मौके ऐसे आए हैं जब प्रश्नकाल नहीं चला है। 1962, 1975, 1976, 1991, 2004 और 2009 में विभिन्न कारणों से राज्यसभा का प्रश्नकाल रद्द किया गया था।
इस बार के प्रश्नकाल नहीं होने पर सिर्फ तृणमूल कॉन्ग्रेस को छोड़कर सभी दल सहमत थे। भले ही प्रश्नकाल को रद्द किए जाने के बाद बवाल मचाया जा रहा हो, लेकिन सच यह भी है कि पिछले 5 साल में संसद का प्रश्नकाल 60 फ़ीसदी से अधिक वक्त हंगामे, रिकॉर्ड देखने और अन्य कार्यों की वजह से जाया हुआ है।
राज्यसभा सचिवालय के अनुसार 2015 से 2019 के दौरान कुल प्रश्नकाल का 40 फ़ीसदी वक्त ही इस्तेमाल किया गया है। 5 साल की अवधि में राज्यसभा ने 332 बैठकें हुई। हर दिन 1 घंटे का प्रश्नकाल उपलब्ध होता है, लेकिन केवल 133 घंटे और 17 मिनट का ही उपयोग प्रश्न पूछने और जवाब सुनने के लिए किया गया है।
सरकार की तरफ से कहा गया है कि प्रश्नकाल को स्थगित करने का निर्णय संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा दोनों सदनों के अधिकारियों को सूचित करने के बाद लिया गया है। सरकार ने राजनीतिक दलों से परामर्श किया था और व्यापक सहमति थी। इस फैसले के पीछे मंशा यह थी कि सदस्य कम समय के लिए दिल्ली में रहे और अपना कार्य पूरा कर अपने संसदीय क्षेत्र में लौट सके। केवल टीएमसी इसके खिलाफ थी।
There will be no Question Hour during the upcoming two-day monsoon session of the West Bengal Assembly due to shortage of time and the ongoing #COVID19 situation: Biman Banerjee, Speaker, West Bengal Legislative Assembly
— ANI (@ANI) September 4, 2020
लेकिन संसद के मॉनसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल को स्थगित करने पर हंगामा कर रही तृणमूल कॉन्ग्रेस का दोहरा रवैया भी सामने आ चुका है। एक तरफ पार्टी बीजेपी के खिलाफ हमला कर रही है, वहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल में उसकी अपनी सरकार ने भी इसी रास्ते का अनुसरण किया है। पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी ने शुक्रवार (सितंबर 4, 2020) को बताया कि आगामी दो-दिवसीय मॉनसून सत्र में समय की कमी और कोरोना की स्थिति की वजह से कोई प्रश्नकाल नहीं होगा।
MPs required to submit Qs for Question Hour in #Parliament 15 days in advance. Session starts 14 Sept. So Q Hour cancelled ? Oppn MPs lose right to Q govt. A first since 1950 ? Parliament overall working hours remain same so why cancel Q Hour?Pandemic excuse to murder democracy
— Derek O’Brien | ডেরেক ও’ব্রায়েন (@derekobrienmp) September 2, 2020
बता दें कि इससे पहले मोदी सरकार पर ‘लोकतंत्र की हत्या’ का आरोप लगाते हुए टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कई सारे ट्वीट किए थे। डेरेक ने ट्वीट किया, “सांसदों को प्रश्नकाल के लिए अपने प्रश्न 15 दिन पहले जमा करने होंगे। संसदीय सत्र 14 सितंबर को शुरू होगा। इसलिए प्रश्नकाल स्थगित? विपक्ष के सासंदों ने सरकार से सवाल करने का अधिकार खो दिया है। 1950 के बाद पहली बार? संसद का सारे कामकाज का समय एक जैसा रहता है, तो फिर प्रश्नकाल रद्द क्यों किया? लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी का बहाना।”
This is shocking!
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) September 2, 2020
Afraid of being questioned over its handling of the pandemic, the Modi govt is cancelling question hour from the Parliament session.
A brazen move towards dictatorship. They must NOT be allowed to do this!
Question hour HAS to happen! https://t.co/ByCDPrZCLX
कॉन्ग्रेस ट्रोल साकेत गोखले ने भी इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए फैसले को मोदी सरकार का खतरनाक कदम बताया। उसका कहना था कि सरकार ने कोरोना, पीएम केयर्स, और अर्थव्यवस्था पर उठने वाले सवालों से बचने के लिए ऐसा किया है।
The cancelling of Question Hour in the upcoming Parliament session is a brazen move by Modi govt. to prevent questions regarding Covid-19 handling, PM CARES, China, GDP, the economy etc.
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) September 2, 2020
Pls sign this petition & RT (I’ll tell you why in the next tweet)https://t.co/2UAozK94AR
साकेत गोखले ने इसके लिए ऑनलाइन पिटीशन साइन करवाने का भी अभियान चलाया। कॉन्ग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी कहा कि सरकार डरी हुई है। लेकिन बंगाल के आगामी विधानसभा सत्र में प्रश्नकाल नहीं होने पर इन्होंने चुप्पी साध रखी है।
There will be no Question Hour during upcoming two-day monsoon session of the West Bengal Assembly due to shortage of time and the ongoing COVID19 situation: Biman Banerjee, Speaker, West Bengal Legislative Assembly. What Delhi does yday, Kolkata does today?
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) September 4, 2020
चूँकि यहाँ पर उनका प्रोपेगेंडा फिट नहीं बैठ रहा था, तो उन्होंने चुप्पी साध ली। कॉन्ग्रेस, टीएमसी और अन्य लेफ्ट पार्टियों के दोहरे रवैये को देखना हो, तो इनके द्वारा शासित राज्यों में हुए हालिया विधानसभा सत्र पर गौर करने की जरूरत है। इनके द्वारा शासित पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र और केरल में हाल ही में विधानसभा सत्र हुए, जिसमें प्रश्नकाल नहीं रखा गया था और अब पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा सत्र में भी नहीं रखा गया है।
ऐसा कई बार देखने को मिला है कि केंद्र सरकार पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाने वाली पार्टियाँ अपने सत्ता वाले राज्य में भी वही नीतियाँ लागू करती नजर आई। यह इन पार्टियों के दोहरे मानदंड के अलावा और कुछ नहीं है।
क्या होता है प्रश्नकाल (Parliament Question Hour)
प्रश्नकाल के दौरान सदन के सदस्य (जनता का प्रतिनिधि) प्रशासन और सरकारी गतिविधि के हर पहलू पर प्रश्न पूछ सकते हैं। राष्ट्रीय के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों में सरकार की नीतियों पर भी चर्चा होती है. क्योंकि सदस्य प्रश्नकाल के दौरान प्रासंगिक जानकारी हासिल करने की कोशिश करते हैं।
प्रश्नकाल का समय 11 बजे से 12 बजे तक का तय है। इसमें संसद सदस्यों द्वारा आम लोगों के किसी मामले पर जानकारी सरकार ने माँगते हैं। ये कई मुद्दों पर आधारित होता है ये उस वक्त पर तय करता है कि उस वक्त या कुछ महीनों पहले किस मुद्दे पर सरकार से सवाल कर सकते हैं। इसमें पूछे गए प्रश्नों के जवाब सरकार के प्रतिनिधि देते हैं। प्रश्नकाल के दौरान कई तरह के सवाल होते हैं। जैसे कि तारांकित प्रश्न, गैर-तारांकित प्रश्न, अल्पसूचना प्रश्न, गैर सरकारी सदस्यों से पूछे जाने वाले प्रश्न।