जब से उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने की बात की है और इसे डेंगू-मलेरिया बताया है, तब से पेरियार का नाम चर्चा में है। इरोड वेंकटप्पा रामासामी नायकर को ‘पेरियार’ नाम से जाना गया और तमिलनाडु की द्रविड़ राजनीति के नेताओं ने लंबे समय तक सत्ता में रह कर उसे सामाजिक न्याय का मसीहा घोषित कर दिया। उदयनिधि स्टालिन का कहना है कि वो अपने बयान पर कायम है। इस दौरान उन्होंने खुद को पेरियार की विचारधारा का अनुसरण करने वाला भी बताया।
उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु में युवा एवं खेल मामलों के मंत्री हैं। उनके पिता, जो सत्ताधारी DMK के सुप्रीमो हैं, वो राज्य के मुख्यमंत्री हैं। उदयनिधि स्टालिन के दादा करुणानिधि ने 1969-2011 के बीच 5 बार मुख्यमंत्री का पद सँभाला था। पेरियार की बनाई ‘द्रविड़ कझगम’ पार्टी ही बाद में DMK कहलाई और अभिनेता MGR ने इसे तोड़ कर AIADMK बनाया था। एमजीआर भी तमिलनाडु के सीएम रहे। डीएमके की पूरी की पूरी राजनीति ही हिन्दू विरोध और ब्राह्मण विरोध के इर्दगिर्द घूमती है।
अब जब पेरियार की चर्चा हो रही है, ये भी जानने लायक बात है कि कभी सुपरस्टार रजनीकांत ने भी उसके हिन्दू विरोध को लेकर उस पर निशाना साधा था। उनके खिलाफ तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन हुए थे, नेताओं ने बयानबाजी की थी, पुलिस में शिकायत तक दर्ज हुई थी – लेकिन, दक्षिण भारत के सबसे मशहूर अभिनेता ने माफ़ी माँगने से इनकार कर दिया था। उस समय रजनीकांत की राजनीतिक एंट्री की पटकथा भी लिखी जा रही थी, लेकिन तबीयत खराब होने के बाद उन्होंने नई पार्टी के गठन का इरादा छोड़ दिया था।
जब सुपरस्टार रजनीकांत ने पेरियार पर साधा निशान
14 जनवरी, जनवरी 2020 को सुपरस्टार रजनीकांत ने ‘तुगलक’ मैगजीन की 50वीं वर्षगाँठ पर आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि पेरियार हिंदू देवी-देवताओं का कट्टर आलोचक था और उसने 1971 में सलेम में अंधविश्वास उन्मूलन सम्मेलन के दौरान भगवान राम और सीता की आपत्तिजनक तस्वीरें भी दिखाई थीं। उन्होंने बताया था कि इसके बाद भी किसी ने पेरियार की आलोचना नहीं की। केवल चो रामास्वामी (तुगलक मैग्जीन के संस्थापक) ने इस मामले को उजागर किया।
विरोध होने के बाद उन्होंने कहा था कि कार्यक्रम में उन्होंने पेरियार को लेकर जो भी बोला वो उस समय मीडिया में भी प्रकाशित हुआ था। रजनीकांत ने स्पष्ट कर दिया था कि इसके सबूत उनके पास अब भी है, इसलिए वे माफी नहीं माँगेंगे। रजनीकांत ने इस दौरान ये जानकारी भी दी थी कि सत्तारूढ़ डीएमके को ये बात पसंद नहीं आई और मैगजीन के उस संस्करण को तमिलनाडु सरकार ने जब्त कर लिया। मगर, चो ने इसे दोबारा छापा। इसके बाद ये मैगजीन ब्लैक में बिकी।
सुपरस्टार रजनीकांत ने इसके बाद बताया था कि उस दौरान जो मैगजीन 10 रुपए की बिकती थी, उसकी बिक्री 50 और 60 रुपए में हुई। उन्होंने तंज कसा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने मैगजीन को मुफ्त की पब्लिसिटी दे दी। इसके लिए अगले संस्करण में चो ने उन्हें पब्लिसिटी मैनेजर के तौर पर काम करने के लिए धन्यवाद भी दिया। हालाँकि, इसके बाद मैग्जीन के संस्थापक चो को करुणानिधि का गुस्सा झेलना पड़ा। लेकिन, तब तक वे पूरे देश में लोकप्रिय हो गए थे।
विरोध होने के बाद सुपरस्टार रजनीकांत ने स्पष्ट कहा था, “मैं अपनी बात से पीछे नहीं हटूँगा। क्योंकि मैं इसे साबित कर सकता हूँ।” कोयम्बटूर में उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी। उनके खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में याचिका भी दौर की गई थी, जिसे ख़ारिज कर दिया गया था। ‘द्रविदार विधुतलाई कझगम (DVK)’ ने ये याचिका दायर की थी। तब रजनीकांत के धुर विरोधी रहे सुब्रमण्यम स्वामी ने भी उन्हें इस प्रकार का कड़ा स्टैंड लेने पर बधाई दी थी और कहा था कि ज़रूरत पड़ी तो न्यायालय में वो उनका साथ देंगे।
तमिलनाडु के सेलम में 1971 में क्या हुआ था
सुपरस्टार रजनीकांत ने बताया था कि राम और सीता की नग्न तस्वीरों को चप्पल से मारा गया था। इस संबंध में 25 जनवरी, 1971 को ‘द हिन्दू’ ने स्थानीय संवाददाता के हवाले से छापा था कि ‘द्रविड़ कझगम’ नामक पार्टी ने अन्धविश्वास के खिलाफ इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस दौरान भगवान मुर्गा के जन्म से संबंधित एक अश्लील प्रदर्शनी दिखाई गई थी। ऋषियों को तपस्या करते हुए और अप्सराओं को भी दिखाया गया था। इसी दौरान भगवान राम की एक 10 फुट की प्रतिमा को एक गाड़ी पर रखा गया था और दर्जनों लोग इसे चप्पल से पीटते हुए चल रहे थे।
लकड़ी पर भगवान राम का कटआउट बनाया गया था। साथ ही सरकार से माँग की गई थी कि किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी को आकर्षित करना अपराध नहीं होना चाहिए। इस सभा में पेरियार ने ये भी कहा था कि किसी दूसरे की पत्नी के साथ प्यार करना, संबंध बनाने से उस महिला के पति को ऐतराज नहीं होना चाहिए। इस पर सवाल पूछे जाने पर तत्कालीन सीएम करुणानिधि ने कहा था कि कुछ लोगों की भावनाएँ आहत हुई होंगी, वो इसे समझ सकते हैं। पेरियार ने इस दौरान विवाहेतर संबंधों की वकालत की थी।
इतना ही नहीं, रैली के अंत में भगवान राम की तस्वीर को जला भी डाला गया था। इस दौरान पेरियार एक ट्रैक्टर पर बैठा हुआ था और इस रैली में पीछे-पीछे चल रहा था। इस दौरान पारित किए गए प्रस्ताव में कहा गया था कि किसी विवाहिता द्वारा किसी गैर-मर्द से संबंध बनाना ‘Tweedledum& Tweedledee’ (बच्चों वाली अंग्रेजी कविता) नहीं है, बल्कि ये ज़रूरी है।
नेहरू ने कहा था – पेरियार को पागलखाने में डालो
1957 में पेरियार ने एक जनसभा में अपने अनुयायियों को ब्राह्मणों के नरसंहार और उनका घर जला डालने के लिए उकसाया। जवाहरलाल नेहरू तब भारत के प्रधानमंत्री थे और के कामराज तमिलनाडु के मुख्यमंत्री। उस साल अक्टूबर में नेहरू ने सीएम को लिखा था कि ये हैरान करने वाला है, क्योंकि इससे सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो सकता है, हत्या भी हो सकती है। नवंबर में दूसरे पत्र में उन्होंने कहा कि EV रामासामी नायकर द्वारा लगातार ब्राह्मण विरोधी अभियान चलाए जाने के कारण वो चिंता में हैं।
Periyar garlanded statues of Hindu Gods with slippers. His supporters cut Janeus of others. Now Janeudharu leaders of Congress are supporting Periyar. What next? Rahul Gandhi will get his Janeu cut by Periyar supporters? https://t.co/dJif9c6Lkj
— Divya Kumar Soti (@DivyaSoti) March 7, 2018
पत्र में जवाहरलाल नेहरू ने लिखा था, “जो पेरियार ने कहा है, वो सिर्फ एक पागल या अपराधी द्वारा ही कहा जा सकता है। मैं उसे पर्याप्त रूप से नहीं जानता, ताकि मैं समझ सकूँ कि वो क्या है। लेकिन, एक बात को लेकर मैं स्पष्ट हूँ कि इस तरह की चीज देश पर बहुत ही निरुत्साही प्रभाव डालने वाली है। सभी समाज विरोधी आपराधिक तत्व यही सोचते हैं कि वो इस तरह की चीजें कर सकें। इसीलिए, मैं आपको सलाह देता हूँ कि इस मामले में कार्रवाई करने में देरी न करें। उसे किसी पागलखाने में डाल कर उसके विकृत दिमाग का इलाज करवाया जाए।”