प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (16 अप्रैल, 2022) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के मोरबी में भगवान हनुमान की 108 फ़ीट ऊँची प्रतिमा का लोकार्पण किया। हनुमान जन्मोत्सव के दौरान इस कार्यक्रम का हिस्सा बने पीएम ने कहा कि वो सम्मानित महसूस कर रहे हैं। देश के चार दिशाओं में बन रही भगवान हनुमान की प्रतिमाओं में ये दूसरी है। ये प्रतिमा बापू केशवानंद आश्रम में स्थापित हुई है। शिमला में 2010 को ऐसी पहली प्रतिमा का उद्घाटन हुआ था। तमिलनाडु के रामेश्वरम में कार्य शुरू हो गया है।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने लोगों को हनुमान जन्मोत्सव की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि इस पावन अवसर पर इस मूर्ति का लोकार्पण होना देश और दुनिया भर के हनुमान भक्तों के लिए, रामभक्तों के लिए बहुत सुखदायी है। उन्होंने लोगों को इसके लिए बधाई देते हुए कहा कि हनुमान जी अपनी भक्ति और सेवा भाव से सबको जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि हर कोई हनुमान जी से प्रेरणा पाता है। साथ ही कहा कि हनुमान वो शक्ति और सम्बल हैं जिन्होंने समस्त वनवासी प्रजातियों और वन बंधुओं को मान और सम्मान का अधिकार दिलाया।
बकौल पीएम मोदी, यही कारण है कि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के भी हनुमान जी एक अहम सूत्र हैं। भगवान हनुमान की चौथी प्रतिमा का लोकार्पण पश्चिम बंगाल में होने वाला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि रामकथा का आयोजन भी देश के अलग-अलग हिस्सों में किया जाता है और भाषा-बोली जो भी हो, लेकिन रामकथा की भावना सभी को जोड़ती है, प्रभु भक्ति के साथ एकाकार करती है। उन्होंने कहा कि यही तो भारतीय आस्था की, हमारे आध्यात्म की, हमारी संस्कृति, हमारी परंपरा की ताकत है।
पीएम मोदी ने कहा, “हजारों वर्षों से बदलती स्थितियों के बावजूद भारत के अटल और अडिग रहने में हमारी सभ्यता और संस्कृति की बड़ी भूमिका रही है। हमारी आस्था और संस्कृति की धारा सद्भाव, समावेश, समभाव की है। इसलिए जब बुराई पर अच्छाई को स्थापित करने की बात आई तो प्रभु राम ने सक्षम होते हुए भी, सबका साथ लेने का, सबको जोड़ने का, समाज के हर तबके के लोगों को जोड़ने का और सबको जोड़कर उन्होंने इस काम को संपन्न किया। यही तो है सबका साथ-सबका प्रयास।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि ‘सबका साथ, सबका प्रयास’ का उत्तम प्रमाण प्रभु राम की जीवन लीला भी है, जिसके हनुमान जी बहुत अहम सूत्र रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘सबका प्रयास’ की इसी भावना से आजादी के अमृत काल को हमें उज्ज्वल करना है, राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि के लिए जुटना है। उत्तर में हिमाचल प्रदेश का शिमला, दक्षिण में तमिलनाडु का रसमेश्वरम, पूर्व में पश्चिम बंगाल और पश्चिम में गुजरात के मोरबी में भगवान हमुमान की प्रतिमाएँ भारत की शोभा में चार चाँद लगाएगी।