संसद का मानसून सत्र चल रहा है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियाँ एक-दूसरे को घेरने में लगी हैं। इसी क्रम में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार को मुस्लिम विरोधी साबित करने की कोशिश की है। उन्होंने भारत सरकार पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुस्लिमों को सेकंड क्लास सिटिजन बना दिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मामला है स्ट्रीट वेंडरों को दिए जाने वाले लोन का। असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि एक आरटीआई के जरिए जानकारी मिली है कि भारत सरकार के स्वनिधि योजना के अंतर्गत रेहड़ी और पटरी पर दुकान लगाने वालों को भी लोन दिया जा रहा है। ऐसे ही 32 लाख लोगों को सरकार की ओर से लोन दिए गए हैं। जबकि, लोन पाने वालों में मुस्लिम समुदाय के केवल 331 लोगों को ही लोन मिला है। ओवैसी ने केंद्र सरकार के सबका साथ सबका विश्वास के दावे पर सवाल खड़ा किया और इसे मात्र दिखावा करार दिया।
ओवैसी ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा, “सरकारी आँकड़ों ने मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ के झूठ की पोल खोल दी। ख्वांचा-फरोशों को दिए गए 32 लाख से अधिक कर्जों में से सिर्फ 331 ही अल्पसंख्यकों को मिले। यानि कि मात्र 0.0102%! बावजूद इसके कि असंगठित क्षेत्र में बड़ी संख्या में मुस्लिम अल्पसंख्यक काम करते हैं। मोदी, सावरकर-गोवलकर की सोच को नाफ़िज़ कर रहे हैं और मुसलमानों को दूसरे दर्जे का शहरी बना रहे हैं।”
सरकारी आंकड़ों ने मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ के झूठ की पोल खोल दी। ख्वांचा-फ़रोशों को दिए गए 32 लाख से अधिक क़र्ज़ों में से सिर्फ़ 331 ही अल्पसंख्यकों को मिले, यानी कि मात्र 0.0102%! 1/2https://t.co/X2hagdPase
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 23, 2022
राजभर और अखिलेश यादव धोखेबाज
इसके साथ ही ओवैसी ने ओम प्रकाश राजभर और अखिलेश यादव की पार्टी के बीच हुए अलगाव को लेकर कहा कि ये लोग धोखेबाज हैं। पहले मुझे गाली दे रहे थे और अब खुद लड़ रहे हैं। इन्होंने मुस्लिमों को धोखा दिया है। मैं जानता था कि ये लोग बीजेपी को नहीं हरा पाएँगे।