प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना के मडिगा समुदाय द्वारा लंबे समय से की जा रही आरक्षण संबंधी माँग को मान लिया है। प्रधानमंत्री ने शनिवार (11 नवंबर 2023) को कहा कि केंद्र जल्द ही एक समिति गठित करेगा, जो मडिगा समुदाय की सशक्तिकरण के लिए जरूरी उपाय करेगी। मडिगा समुदाय अनुसूचित जाति (एससी) का उप-वर्गीकरण करने की माँग करती आ रही है।
पीएम मोदी ने मडिगा आरक्षण पूरता समिति (एमआरपीएस) द्वारा आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा पिछले तीन दशक से हर संघर्ष में मडिगा समुदाय के साथ खड़ी रही है। उन्होंने कहा, “हम जल्दी ही इस अन्याय को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं… यह हमारा चुनावी वादा है कि हम जल्दी एक समिति गठित करेंगे जो आपको सशक्त करने के लिए हरसंभव तरीके अपनाएगी।”
उन्होंने आगे कहा, “आप और हम यह भी जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में एक बड़ी कानूनी प्रक्रिया जारी है। हम न्याय को सुनिश्चित करेंगे। यह देखना भारत सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है कि आपको न्यायालय में भी न्याय मिले। भारत सरकार आपके सहयोगियों की तरह न्याय के पक्ष में पूरी ताकत के साथ खड़ी रहेगी।” बता दें कि भाजपा ने अपने साल 2014 के घोषणापत्र में आंतरिक आरक्षण का वादा किया था।
इस दौरान मंच पर पीएम मोदी के साथ बैठे मडिगा आरक्षण पूरता समिति के नेता मंदा कृष्णा मडिगा भावुक हो गए और पीएम मोदी के कंधे पर सिर रखकर रो पड़े। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मडिगा का हाथ पकड़कर और कंधे को थपथपाकर उन्हें सांत्वना दी। दरअसल, मडिगा समुदाय SC कैटेगरी के भीतर ही अपने लिए अलग से आंतरिक आरक्षण की माँग कर रहा है।
#WATCH | Telangana: PM Modi consoles MRPS (Madiga Reservation Porata Samiti) chief Manda Krishna Madiga, who got emotional during a public rally in Hyderabad pic.twitter.com/mikvyuR1sW
— ANI (@ANI) November 11, 2023
मडिगा समुदाय का कहना है कि SC में आरक्षण होने के बावजूद उनके समुदाय के लोगों को इसका उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। वे काफी पिछड़े हैं और उनके हिस्से का भी लाभ दूसरे समुदाय के लोग ले जाते हैं। इसलिए वे SC के लिए दी गई आरक्षण में ही मडिगा समुदाय के लिए अलग से आरक्षण की माँग कर रहे हैं।
तेलुगु भाषी राज्यों में अनुसूचित जातियों में मडिगा समुदाय की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। यह समुदाय अनुसूचित जातियों को श्रेणीबद्ध करने की लड़ाई लड़ रहा है। इसका नेतृत्व कृष्णा मडिगा कर रहे हैं। जुलाई 1994 में आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के एडुमुडी गाँव में MRPS की स्थापना करके कृष्णा मडिगा ने इस लड़ाई को जारी रखा। आज MRPS मडिगा समुदाय में बहुत बड़ा प्रभाव रखता है।
दरअसल, मडिगा समुदाय में अधिकतर लोग चमड़े का काम और मैला ढोने का काम करते हैं। ये समाज का वंचित वर्ग माना जाता है। तेलंगाना की कुल अनुसूचित जाति की आबादी में आधा या उससे अधिक यानी 50 से 60 प्रतिशत आबादी मडिगा समुदाय की मानी जाती है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इनकी बड़ी आबादी निवास करती है।
तेलंगाना के 20 से 25 सीटों पर उम्मीदवारों का भविष्य मडिगा समुदाय के लोग तय करते हैं। इसके अलावा, 4-5 सीटें ऐसी हैं, जहाँ मडिगा समुदाय दूसरे नंबर पर है। MRPS के तेलंगाना अध्यक्ष गोविंद नरेश का दावा है कि अकेले तेलंगाना में मडिगा समुदाय के लोगों की जनसंख्या 46 लाख है। वहीं, इससे जुड़े माला समुदाय की संख्या 21 लाख है। लगभग इतनी ही संख्या आंध्र प्रदेश में भी मानी जाती है। इस समुदाय की कुछ आबादी कर्नाटक और तमिलनाडु में भी है।