प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (17 सितंबर 2021) तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में हो रही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सालाना बैठक को वर्चुअली संबोधित किया। इस बैठक में उन्होंने तजाकिस्तान के लोगों को आजादी के 30वें पर्व की बधाई दी। साथ ही बताया कि ये SCO की 20वीं वर्षगाँठ है। शुरुआत में पीएम नए लोगों, नई साझेदारी पर बात करते दिखे और नए डायलॉग पार्टनर्स-सऊदी अरब, मिस्र और कतर का अभिनंदन किया।
Addressing the SCO Summit. https://t.co/FU9WtFBWeF
— Narendra Modi (@narendramodi) September 17, 2021
संस्था के भविष्य पर पीएम मोदी ने कहा कि SCO की 20वीं वर्षगाँठ इस संस्था के भविष्य के बारे में सोचने के लिए भी उपयुक्त अवसर है। उन्होंने पाक पीएम इमरान खान के सामने कहा कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियाँ शांति, सुरक्षा और विश्वास में कमी (ट्रस्ट-डेफिसिट) से संबंधित है। और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ रेडिकलाइजेशन (कट्टरपंथ) है। अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है। अब इसके लिए एससीओ को भी कदम बढ़ाने चाहिए। सभी एससीओ पार्टनर्स के साथ आगे काम करना होगा।
यदि हम इतिहास पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र moderate और progressive cultures और values का गढ़ रहा है।
— BJP (@BJP4India) September 17, 2021
सूफीवाद जैसी परम्पराएं यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं।
इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं। pic.twitter.com/XXN9awgGa2
पीएम मोदी ने कहा, “यदि हम इतिहास पर नज़र डालें, तो पाएँगे कि मध्य एशिया क्षेत्र उदारवादी और प्रगतिशील कल्चर और मूल्यों का गढ़ रहा है। सूफ़ीवाद जैसी परम्पराएँ यहाँ सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं। इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं।”
भारत में और SCO के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी संयमित, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएँ और परम्पराएँ हैं। SCO को इनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। इस संदर्भ में मैं SCO के RATS मेकेनिज्म द्वारा किए जा रहे उपयोगी कार्य की प्रशंसा करता हूँ।
No attempts of connectivity can be a one-way street. To ensure this, such projects need to be consultative, transparent and participative.
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– PM @narendramodi
वह कहते हैं, “चाहे वित्तीय समावेश बढ़ाने के लिए UPI और रूपए कार्ड जैसी तकनीकें हों, या कोविड से लड़ाई में हमारे आरोग्य-सेतु और को-विन जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, इन सभी को हमने स्वेच्छा से अन्य देशों के साथ भी साझा किया है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत सेंट्रल एशिया के साथ अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि लैंडलॉक्ड सेंट्रल एशियाई देशों को भारत के विशाल बाजार से जुड़ कर अपार लाभ हो सकता है। कनेक्टिविटी की कोई भी पहल वन-वे स्ट्रीट नहीं हो सकती। आपसी विश्वास सुनिश्चित करने के लिए कनेक्टिविटी प्रॉजेक्ट्स को परामर्शदायी, पारदर्शी और सहभागी होना चाहिए। इनमें सभी देशों की टेरीटोरियल इंटीग्रिटी का सम्मान निहित होना चाहिए।”
India is committed to improve its connectivity with Central Asia. We believe that landlocked Central Asian countries can benefit by connecting to Indian markets.
— BJP (@BJP4India) September 17, 2021
Our investment in Iran's Chabahar Port and our attempts in International North-South Corridor support this. pic.twitter.com/QluQyBullk