भगवान महावीर की 2500वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन समाज के योगदान को याद किया, हजारों जैन धर्मावलम्बियों की मौजूदगी में जैन मुनियों से आशीर्वाद लिया। इस दौरान एक मुनि ने ‘जैन समाज, मोदी का परिवार’ नारा लगवाते हुए प्रधानमंत्री को ‘विजयी भव’ का आशीर्वाद भी दिया। पीएम ने इस दौरान स्मारक डाक टिकट और विशेष सिक्का भी जारी किया। उन्होंने भगवान महावीर की प्रतिमा को प्रणाम किया और जैन समाज के साथ अपने जुड़ाव की बात की।
विजयी भव:
— BJP (@BJP4India) April 21, 2024
जैन समाज से पीएम मोदी को मिला विजयी भव: का आशीर्वाद… pic.twitter.com/4XnwNTEZc7
पीएम मोदी ने भगवान महावीर की 2550वें निर्वाण महोत्सव को एक दुर्लभ अवसर बताते हुए कहा कि ऐसे अवसर विशेष संयोगों को भी जोड़ते हैं, ये वो समय है, जब भारत अमृतकाल के शुरुआती दौर में है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश आज़ादी के शताब्दी वर्ष को स्वर्णिम शताब्दी बनाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस साल हमारे संविधान को भी 75 वर्ष होने जा रहे हैं, इसी समय देश में एक बड़ा लोकतांत्रिक उत्सव भी चल रहा है, देश का विश्वास है कि यहीं से भविष्य की नई यात्रा शुरू होगी। पीएम मोदी ने कहा कि भारत न केवल विश्व की सबसे प्राचीन जीवित सभ्यता है, बल्कि मानवता का सुरक्षित ठिकाना भी है। उन्होंने ये कविता पढ़ी:
ये भारत ही है, जो स्वयं के लिए नहीं,
सर्वम के लिए सोचता है।
स्व की नहीं, सर्वस्व की भावना करता है।
अहम नहीं, वहम की सोचता है।
इति नहीं, अपरिमित में विश्वास करता है।
नीति और नियति की बात करता है।
पिंड में ब्रह्मांड की बात करता है।
विश्व में ब्रह्म की बात करता है।
जीव में शिव की बात करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन समाज को संबोधित करते हुए कहा, “आज देश की नई पीढ़ी को ये विश्वास हो गया है कि हमारी पहचान, हमारा स्वाभिमान है। जब राष्ट्र में स्वाभिमान का ये भाव जग जाता है, तो उसे रोकना असंभव हो जाता है। भारत की प्रगति, इसका प्रमाण है। हम कभी दूसरे देशों को जीतने के लिए आक्रमण करने नहीं आए, हमने स्वयं में सुधार करके अपनी कमियों पर विजय पाई है। इसलिए मुश्किल से मुश्किल दौर आए और हर दौर में कोई न कोई ऋषि हमारे मार्गदर्शन के लिए प्रकट हुआ है। बड़ी-बड़ी सभ्यताएँ खत्म हो गईं, लेकिन भारत ने अपना रास्ता खोज ही लिया।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘यही समय है, सही समय है’ वाली बात दोहराते हुए कहा कि तीर्थंकरों से प्रेरणा लेकर हमें इस समय समाज में ‘अष्टया’ और ‘अहिंसा’ की नीति पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हर युग में एक नई सोच जन्म लेती है, जब कोई सोच विकसित नहीं होता तो वो चर्चा में बदल जाता है, फिर वो चर्चा बहस में बदल जाती है और विचारों से निकला अमृत हमें नए दौर में ले जाता है। हालाँकि, उन्होंने कहा कि जब विचार ज़हरीले होते हैं तो समाज विनाश की तरफ जाता है।