Sunday, November 17, 2024
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40 गैलरी और नेहरू के साथ मोदी: प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन कर बोले PM- यह भविष्य के निर्माण का ऊर्जा केंद्र

"म्यूजियम में प्रधानमंत्रियों से जुड़ी दुर्लभ तश्वीरें, भाषण, इंटरव्यू जैसी चीजों को संग्रहित किया गया है। भावी पीढ़ी को पता चलेगा कि कैसी-कैसी पृष्ठभूमि से आकर अलग-अलग प्रधानमंत्री बनते रहे हैं। गौरव की बात ये है कि हमारे अधिकतर प्रधानमंत्री साधारण परिवारों से आए थे।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (14 अप्रैल 2022) को दिल्ली स्थित तीन मूर्ति भवन में ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ का उद्घाटन किया। काउंटर से टिकट खरीदकर उन्होंने अंदर प्रवेश किया। पीएम ने कहा कि इस म्यूजियम से स्वतंत्र भारत के इतिहास को जाना जा सकेगा। ये संग्रहालय लोक स्मृति की चीज है। इससे युवा वर्ग और भावी पीढ़ी प्रधानमंत्रियों और उनके योगदान के बारे में जानेगी और उनसे प्रेरणा लेगी। उन्होंने ये भी कहा कि देश जिस ऊँचाई पर है, वहाँ तक उसे पहुँचाने में हर सरकार ने अपना अभिन्न योगदान दिया है।

पीएम मोदी ने कहा, “जब देश आजादी के अमृत महोत्सव को मना रहा है। 75 सालों में देश ने अनेक गौरवमयी क्षणों को देखा है। ये संग्रहालय आज स्वतंत्र भारत के बाद बनी प्रत्येक सरकारों की विरासत का जीवंत प्रतिबिंब बन गया है। हर प्रधानमंत्री ने अपने समय की चुनौतियों को पार करते हुए देश को आगे ले जाने की कोशिशें की है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले 25 साल देश के लिए बहुत अहम होने वाले हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि नवनिर्मित संग्रहालय भविष्य के निर्माण का ऊर्जा केंद्र बनेगा। इसके जरिए ये जाना जा सकेगा कि अलग-अलग समय में लीडरशिप की क्या चुनौतियाँ रही हैं और उनसे कैसे निपटा गया।

पीएम मोदी ने कहा, “म्यूजियम में प्रधानमंत्रियों से जुड़ी दुर्लभ तश्वीरें, भाषण, इंटरव्यू जैसी चीजों को संग्रहित किया गया है। भावी पीढ़ी को पता चलेगा कि कैसी-कैसी पृष्ठभूमि से आकर अलग-अलग प्रधानमंत्री बनते रहे हैं। गौरव की बात ये है कि हमारे अधिकतर प्रधानमंत्री साधारण परिवारों से आए थे। इसमें 40 से अधिक गैलरी हैं और करीब 4000 लोग एक साथ घूम सेकेंगे।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि विचारों में सहमति, असहमति और लोगों की विभिन्न प्रकार की राजनीतिक विचारधाराएँ हो सकती हैं, लेकिन सभी का लक्ष्य लोकतंत्र का विकास ही होना चाहिए। ये म्यूजियम केवल प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियों का प्रतीक नहीं है, बल्कि ये हजारों वर्षों से फले-फूले लोकतांत्रिक संस्कारों का प्रतीक है। विदेशों से चोरी हुई मूर्तियों को वापस लाने, पुराने हो चुके संग्रहालयों को फिर से बनाने का अभियान बीते 7-8 सालों से चल रहा है। उल्लेखनीय है कि इस संग्रहालय में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी यादों का संग्रह है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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