भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर रहे रघुराम राजन का नया बयान आया है, जो उनके ही पुराने बयान के उलट है। यूपीए काल में आरबीआई के गवर्नर रहे रघुराम राजन ने कहा है कि लोकतंत्र में एक ही व्यक्ति द्वारा सारे फ़ैसले लेना घातक सिद्ध हो सकता है। साथ ही उन्होंने चेताया कि सरकार जन-कल्याणकारी योजनाओं पर कुछ ज्यादा ही रुपए ख़र्च कर रही है। रघुराम राजन ने कहा कि भारत का वित्तीय घाटा एक ऐसी स्थिति की तरफ इशारा कर रहा है, जो भविष्य में भयावह हो सकती है। अब जरा राजन के ही पुराने बयान को याद करते हैं।
आपको याद होगा कि लोकसभा चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस ने ‘न्याय योजना’ का बढ़-चढ़ कर प्रचार-प्रसार किया था और पार्टी को उम्मीद थी कि लोग इस योजना के लागू होने की आस में उसे वोट देंगे। कॉन्ग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गाँधी ने घोषणा की थी कि इस योजना के तहत ग़रीब परिवारों को ‘न्यूनतम आमदनी’ के रूप में प्रतिवर्ष 72,000 रुपए दिए जाएँगे। साथ ही पार्टी ने यह भी कहा था कि इसके लिए किसी अन्य सरकारी योजना का आवंटन कम नहीं किया जाएगा। इसका अर्थ था कि कॉन्ग्रेस की सरकार बनने पर 7 लाख करोड़ रुपए सिर्फ़ सब्सिडी पर ही ख़र्च किए जाते।
खैर, इस योजना में कई लोच थे और इसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चाएँ हुई थीं। कॉन्ग्रेस और उसके साथी दलों की बड़ी हार के साथ योजना पर चर्चा भी खत्म हो गई। अभी सरकारी ख़र्चों पर नियंत्रण के लिए जन-कल्याणकारी योजनाओं पर ख़र्च कम करने की बात करने वाले राजन ने तब 3.6 लाख करोड़ रुपए के बजट वाली ‘न्याय योजना’ का न सिर्फ़ समर्थन किया था, बल्कि इसे कारगर भी बताया था। मनमोहन काल में मुख्य वित्तीय सलाहकार रहे राजन ने 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कहा था कि ‘न्याय योजना’ के लिए कॉन्ग्रेस ने उनसे विचार-विमर्श भी किया था।
Raghuram Rajan before election : Congress consulted me on NYAY, Govt has enough money to give everybody Rs 72000 a year.
— Abhishek (@AbhishBanerj) October 13, 2019
Raghuram Rajan after election: Welfare programs are too costly. Govt has no money.
Economists. pic.twitter.com/ikcnUMswPH
सवाल यह है कि अगर चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस द्वारा प्रस्तावित इतनी भारी बजट वाली योजना जायज थी तो चुनाव के बाद मोदी सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाएँ ‘ज्यादा ख़र्चीली’ कैसे हो गईं? उत्साहित रघुराम राजन ने तो कॉन्ग्रेस की ‘मिनिमम इनकम गारंटी योजना’ को क्रन्तिकारी तक बता दिया था। अपने ताज़ा बयान में रघुराम राजन ने मोदी सरकार के 2 बड़े आर्थिक सुधार वाले क़दम नोटबंदी और जीएसटी की भी आलोचना की। उनका कहना है कि इन दोनों फ़ैसलों से भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई।
सोशल मीडिया पर भी लोगों ने रघुराम राजन को उनके पुराने बयान की याद दिलाई, जब उन्होंने कॉन्ग्रेस की ‘न्याय योजना’ की तारीफ़ की थी और अब अब सवाल खड़े कर रहे हैं कि मोदी सरकार जनता पर इतने रुपए क्यों ख़र्च कर रही है?