राहुल गाँधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन्होंने 22 नवंबर 2023 को राजस्थान के भरतपुर जिले में आने वाले नदबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बिजनेसमैन गौतम अडाणी को लेकर टिप्पणी की थी। अब इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वो 8 सप्ताह में इस संबंध में कार्रवाई को लेकर फैसला करें। हाई कोर्ट ने राहुल गाँधी की टिप्पणी को बेहद गलत बताया, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और गौतम अडाणी को ‘जेबकतरा’ कहा था।
चुनाव आयोग को 8 सप्ताह का समय
दिल्ली हाई कोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मिनी पुशकर्णा की दो सदस्यीय बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। इसमें चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुईं अधिवक्ता सुरुचि सूरी ने बताया कि राहुल गाँधी को उनकी टिप्पणी को लेकर 23 नंवबर को ‘शो कॉज नोटिस’ जारी किया गया था। इसका जवाब उन्हें 25 नवंबर तक देना था, लेकिन राहुल गाँधी ने नोटिस का जवाब तक नहीं दिया। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि वो चुनाव आयोग को इस मामले में कार्रवाई से संबंधित फैसला लेने के लिए 8 सप्ताह का समय देते हैं।
याचिका में कहा गया है, “राहुल गाँधी द्वारा बिना किसी सबूत के लगाए गए आरोप सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं और राहुल गाँधी को यह साबित करने के लिए कहा जाना चाहिए कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और गौतम अडानी “पॉकेट मार” हैं।” हाई कोर्ट ने इस मामले में दाखिल पीआईएल को खारिज कर दिया और कहा कि वो इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी। हाई कोर्ट ने कहा कि ये मामला चुनाव आयोग और सरकार से जुड़ा है, हम इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करते। वो खुद कदम उठाएंगे, हमने इसके लिए 8 सप्ताह का समय दिया है।
राहुल गाँधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की माँग
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में अधिवक्ता भरत नागर ने पीआईएल दाखिल की थी। उनकी तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता आदिश अगरवाल और कीर्ति उप्पल ने हाई कोर्ट में जिरह की। जिसमें उन्होंने राहुल गाँधी के खिलाफ आईपीसी की धारा 171(डी), 171(एफ), 171 (जी), 406, 419, 426 और 463 के साथ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 123 के तहत मामला दर्ज करने की माँग की थी।
याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग के पास राहुल गाँधी के खिलाफ ‘शो कॉज नोटिस’ जारी करने के सीमित अधिकार हैं, जिसमें वो इसका जवाब देते हैं या नहीं, इसकी भी बाध्यता नहीं है। नागर ने अपनी याचिका में कहा है कि राहुल गाँधी के ऐसे बयानों का जनता पर व्यापक असर पड़ सकता है, और हो सकता है कि राहुल गाँधी ही उस ‘शो कॉज नोटिस’ का जवाब इतनी देरी से दें कि वहाँ पर वोटिंग हो चुकी हो।
चुनाव आयोग के पक्ष में दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला
इस मामले में अब कार्रवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के पक्ष में फैसला दिया है है। बता दें कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न सिर्फ ‘पॉकेटमार’ बोला गया था, बल्कि उन्हें ‘पनौती’ तक बोला गया था। वो भी सार्वजनिक मंचों से। ऐसे में नोटिस का जवाब न देने और लगातार गलत तरीके से टिप्पणियाँ करने पर चुनाव आयोग क्या कार्रवाई करता है, ये आने वाले समय में पता चल ही जाएगा।