कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी को नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने करारा झटका दिया है। बनर्जी को नोबेल मिलने की घोषणा के बाद कॉन्ग्रेस नेताओं ने अपनी पार्टी से उनके जुड़ाव को प्रदर्शित करते हुए यह कहा था कि कैसे ‘न्याय योजना’ को तैयार करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। यहाँ तक कि राहुल ने भी उन्हें बधाई देते समय लिखा कि बनर्जी ने ‘न्याय योजना’ की रूपरेखा तैयार करने में मदद की थी। साथ ही राहुल यह कहना नहीं भूले कि इस योजना में ग़रीबी को ख़त्म करने और अर्थव्यवस्था को सुधारने की क्षमता थी।
अब नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने अपने दिए एक इंटरव्यू के दौरान राहुल गाँधी के कई दावों को नकार दिया है। बनर्जी ने कहा है कि ‘न्याय योजना’ के क्रियान्वयन के लिए इनकम टैक्स बढ़ाने के अलावा कोई अन्य उपाय नहीं था। बता दें कि इस योजना के तहत हर परिवार में किसी एक बेरोज़गार व्यक्ति को प्रति वर्ष 72,000 रुपए दिए जाने वाले थे। अभिजीत बनर्जी का मानना है कि अगर केंद्र में कॉन्ग्रेस की सरकार बनती तो उन्हें इस योजना को लागू करने के लिए आम जनता पर टैक्स का बोझ बढ़ाने के अलावा कोई अन्य चारा नहीं बचता। इससे राहुल के एक पुराने बयान की पोल खुलती नज़र आ रही है।
इस साल अप्रैल में तत्कालीन कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कहा था कि ‘न्याय योजना’ के क्रियान्वयन के लिए इनकम टैक्स नहीं बढ़ाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि इस मिनिमम इनकम गारंटी स्कीम को फंड करने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मध्यम वर्ग से रुपए वसूले जाएँगे। राहुल ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि ऐसा कुछ भी नहीं किया जाएगा। राहुल गाँधी ने अजीबोगरीब दावा करते हुए कहा था कि विजय माल्या, मेहुल चौकसी, अनिल अम्बानी, नीरव मोदी और ललित मोदी जैसों से इस योजना के लिए रुपए वसूले जाएँगे, जिन्हें ‘मोदी ने रुपए दे दिए।’
Basically Congress did not have any other option than raising taxes to fund NYAY. Abhijit Banerjee says it was fiscally unsustainable. In short NYAY was an election gimmick.
— Pradeep Bhandari(प्रदीप भंडारी) (@pradip103) October 19, 2019
Fantastic interview by @maryashakil #AbhijitBanerjee https://t.co/8VRhzkTsNF
अर्थशास्त्री बनर्जी ने कॉन्ग्रेस को झटका देते हुए कहा है कि वो नहीं मानते हैं कि ‘न्याय योजना’ एक अच्छी तरह तैयार की गई योजना थी। साथ ही उन्होंने इस योजना की रूपरेखा तैयार करने के लिए ख़ुद को ज़िम्मेदार बताने से भी इनकार कर दिया है। उन्होंने अंदेशा जताया है कि अगर यूपीए की जीत हो जाती तो उस पर इतना राजनीतिक और आर्थिक दबाव होता कि उसे इस योजना में बदलाव करना पड़ता। बनर्जी ने कॉन्ग्रेस नेताओं के उन दावों को भी नकार दिया है, जिसमें कहा जा रहा था कि उन्होंने ‘न्याय योजना’ को डिज़ाइन किया है। बनर्जी ने कहा कि उनका योगदान सिर्फ़ सूचनाएँ और जानकारियाँ देने तक ही सीमित था, जिनका प्रयोग करना या न करना कॉन्ग्रेस के ऊपर था।
जब नोबेल विजेता से पूछा गया कि ये योजना इतनी ही अच्छी थी तो कॉन्ग्रेस ने इसे उन राज्यों में क्यों नहीं लागू किया जहाँ वे सत्ता में हैं? इसके जवाब में बनर्जी ने पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य एक तरह से वित्तीय मामलों में इतना कमज़ोर हो चुका है कि वो इस योजना को लागू कर ही नहीं सकता। अभिजीत बनर्जी ने इस बात को भी माना कि कॉन्ग्रेस एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने में विफल रही है।
आपको याद होगा कि लोकसभा चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस ने ‘न्याय योजना’ का बढ़-चढ़ कर प्रचार-प्रसार किया था और पार्टी को उम्मीद थी कि लोग इस योजना के लागू होने की आस में उसे वोट देंगे। कॉन्ग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गाँधी ने घोषणा की थी कि इस योजना के तहत ग़रीब परिवारों को ‘न्यूनतम आमदनी’ के रूप में प्रतिवर्ष 72,000 रुपए दिए जाएँगे। साथ ही पार्टी ने यह भी कहा था कि इसके लिए किसी अन्य सरकारी योजना का आवंटन कम नहीं किया जाएगा। इसका अर्थ था कि कॉन्ग्रेस की सरकार बनने पर 7 लाख करोड़ रुपए सिर्फ़ सब्सिडी पर ही ख़र्च किए जाते।