राहुल गाँधी ने सांसदी जाने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सूरत के सेशन कोर्ट ने उन्हें मोदी सरनेम को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में 2 साल की सज़ा सुनाई है। इसके बाद राहुल गाँधी गुजरात हाईकोर्ट पहुँचे थे, जिसने उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अब वो इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुँचे हैं। राहुल गाँधी सांसदी से अयोग्य घोषित किए जा चुके हैं और उन्हें दिल्ली में अपना सरकारी बँगला भी खाली करना पड़ा था।
याचिका में उन्होंने दलील दी है कि अगर उन्हें राहत प्रदान नहीं की जाती है तो वो अपने करियर के 8 साल गँवा देंगे। 2 साल या उससे अधिक की सज़ा होने पर सज़ा की अवधि और उसके बाद 6 वर्ष तक कोई व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता। दलील दी गई है कि पूर्णेश मोदी नाम व्यक्ति ने उनके खिलाफ केस किया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी कैवेट दायर की है, ताकि राहुल गाँधी को राहत न मिले। पूर्णेश ने अपने वकील पीएस सुधीर के माध्यम से याचिका दायर की थी।
राहुल गाँधी ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने वाले को ऐसा करने के अधिकार को भी चुनौती दी। उन्होंने कहा कि उनका ये बयान एक राजनीतिक भाषण के दौरान दिया गया था और ऐसे में ये समझा जाना चाहिए कि ये एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के लिए था। उन्होंने कहा कि ये किसी भी समुदाय या समाज के खिलाफ नहीं था। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कोई ऐसा सबूत भी पेश नहीं किया गया है जिससे ये चीजें साबित होती हों। उन्होंने दावा किया है कि वायनाड की जनता उनके बिना भुगतेगी।
याचिका में कहा गया है, “बिना किसी संरचना वाला एक समूह, जो शिकायतकर्ता के हिसाब से मात्र 13 लोगों का है, के बारे में कहा जा रहा है कि उनकी मानहानि हुई है। देश के अलग-अलग हिस्सों में मोदी सरनेम अलग-अलग समुदायों और उप-समुदायों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। इनमें कोई समानता नहीं है। भाषण में जिन 3 लोगों का जिक्र किया गया, उन्होंने कोई शिकायत नहीं की है। गुजरात के जिस व्यक्ति ने शिकायत की है, उसका कोई व्यक्तिगत नुकसान नहीं हुआ है।”
राहुल गाँधी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में दावा किया है कि शिकायतकर्ता ने खुद माना है कि वो मोढ़ वणिक समाज से आता है। उन्होंने दलील दी है कि इस समुदाय को मोदी सरनेम के पर्यायवाची के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। उन्होंने ‘मोदी’ को एक अपरिभाषित समूह करार दिया। साथ ही दलील दी है कि मानहानि का मुकदमा तभी मान्य हो सकता है, जब निशाना कोई परिभाषित समूह हो। राहुल गाँधी ने ये दलील भी दी है कि ये लोकतंत्र में मुक्त भाषण के लिए हानिकारक है।
Congress leader @RahulGandhi moved the Supreme Court challenging the Surat court order refusing to stay his conviction in a defamation case over an alleged remark about the "Modi" surname. (By @SrishtiOjha11)https://t.co/qr1AVW2qKv
— IndiaToday (@IndiaToday) July 16, 2023
राहुल गाँधी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि इससे किसी भी प्रकार के राजनीतिक संवाद या बहस की प्रथा खत्म हो जाएगी। इसे जमानती और गैर-संज्ञेय मामला बताते हुए उन्होंने दलील दी कि इसमें नैतिक कदाचार शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि ये गंभीर अपराध भी नहीं है, फिर भी गुजरात हाईकोर्ट ने सज़ा पर रोक नहीं लगाई। उन्होंने इस फैसले को स्वतंत्र अभिव्यक्ति का गला घोंटने वाला बताते हुए कहा कि ये लोकतंत्र की नींव को पूरी तरह से नष्ट कर देगा। उन्होंने दलील दी कि राजनीतिक व्यंग्य नैतिक कदाचार बन गया तो किसी भी सरकार की आलोचना नहीं की जा सकेगी।