राजस्थान विधानसभा में नव-निर्वाचित विधायकों ने शपथ ग्रहण कर लिया। इस दौरान एक नहीं, दो नहीं बल्कि 16 विधायकों ने संस्कृत में शपथ ग्रहण किया। इन विधायकों में कॉन्ग्रेस के विधायक जुबैर खान और बीजेपी से बागी होकर निर्दलीय लड़े यूनुस खान के नाम शामिल हैं। यूनुस खान चुनाव जीतने के बाद देशनोक में करणी माता के दरबार में भी माथा टेका था।
यूनुस खान को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का समर्थक माना जाता है। वे वसुंधरा सरकार में मंत्री भी थे। बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया तो वे बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़े थे। वे कॉन्ग्रेस प्रत्याशी को हराकर तीसरी बार विधानसभा पहुँचे हैं। वहीं, भाजपा से बागी होकर शिव विधानसभा से निर्दलीय जीतने वाले रवींद्र सिंह भाटी ने पहले राजस्थानी और बाद में हिंदी में शपथ ग्रहण किया।
इन विधायकों ने ली संस्कृत में शपथ
संस्कृत में शपथ लेने वाले विधायकों में पोकरण के विधायक महंत प्रतापपुरी, हवामहल-जयपुर के विधायक बाल मुकुंद आचार्य, शेरगढ़ के विधायक बाबू सिंह राठौड़, आहोर के विधायक छगन सिंह राजपुरोहित, सिविल लाइंस-जयपुर के विधायक गोपाल शर्मा, फलौदी के विधायक पब्बाराम बिश्नोई, अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी, मांडल के विधायक उदयलाल भडाना शामिल हैं।
इसके अलावा कामाँ के विधायक नौक्षम चौधरी, जालोर के विधायक जोगेश्वर गर्ग, गढ़ी के विधायक कैलाश चंद्र मीणा, बीकानेर पश्चिम के विधायक जेठानंद व्यास, सुमेरपुर के विधायक जोराराम कुमावत और राजसमंद की विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी, डीडवाना से निर्दलीय विधायक यूनुस खान और अलवर के रामगढ़ से जीते विधानसभा पहुँचे कॉन्ग्रेस के विधायक जुबैर खान के नाम हैं।
डीडवाना के निर्दलीय विधायक यूनुस खान
यूनुस खान को बीजेपी के अल्पसंख्यक चेहरे के तौर पर देखा जाता रहा है। वो डीडवाना से दो बार विधायक रहे हैं। उन्होंने 2003 और 2013 में डीडवाना सीट से विधानसभा चुनाव जीता था और 2018 तक राजस्थान की वसुंधरा सरकार में मंत्री रहे थे।
उन्हें 2018 में टोंक विधानसभा सीट से सचिन पायलट के सामने उतारा गया था, जहाँ वो चुनाव हार गए थे। इसके बाद इस बार वो फिर से अपनी पारंपरिक सीट डीडवाना से विधानसभा चुनाव के लिए टिकट माँग रहे थे, लेकिन बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
उन्हें वसुंधरा राजे का करीबी भी माना जाता है। हालाँकि, चुनाव के बाद उन्होंने साफ कर दिया था कि किसी चेहरे के नाम पर नहीं, बल्कि वो जनता की सेवा करने के लिए मैदान में उतरे हैं। वो जनता की सेवा करते रहेंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की जमकर तारीफ भी की थी।
Rajasthan Independent MLA Yoonus Khan takes oath in Sanskrit. pic.twitter.com/af7Dzr06Xl
— News Arena India (@NewsArenaIndia) December 20, 2023
अलवर के रामगढ़ से विधायक जुबैर खान ने भी संस्कृत में शपथ
यूनुस खान के अलावा जुबैर खान ने भी संस्कृत भाषा में शपथ ग्रहण किया। वो चौथी बार विधायक बने हैं। जुबैर साल 1990 में पहली बार 26 साल की उम्र में विधायक बने थे। इसके बाद उन्होंने 1993 और 2003 में चुनाव जीता। पिछले चुनाव 2018 में उनकी पत्नी ने रामगढ़ सीट जीती थी।
इस बार जुबैर खान ने फिर से खुद चुनाव लड़ा और चौथी बार विधायक बने हैं। यूनुस खान ने खुद ही वीडियो शेयर करके अपने शपथ ग्रहण की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, “आज 16वीं राजस्थान विधानसभा के प्रथम सत्र की बैठक में चौथी बार विधायक के रूप में भारत के संविधान के प्रति शपथ ग्रहण की।”
आज 16वीं राजस्थान विधान सभा के प्रथम सत्र की बैठक में चौथी बार विधायक के रूप में भारत के संविधान के प्रति शपथ ग्रहण की।#RajasthanVidhansabha #Ramgarh pic.twitter.com/773rsjB3ml
— Zubair Khan (@ZubairKhan_INC) December 20, 2023
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान काली पट्टी बाँधकर पहुँचे कॉन्ग्रेसी विधायक
संसद में चल रहे हंगामे के विरोध में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोल गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और अन्य सभी कॉन्ग्रेसी विधायक काली पट्टी बाँधकर विधानसभा पहुँचे। इस बीच, कई विधायकों ने राजस्थानी भाषा में भी शपथ ग्रहण किया, लेकिन नियमों का हवाला देते हुए प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सराफ ने इसकी अनुमति नहीं दी।
बता दें कि सदन के सदस्य आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं में से किसी में भी शपथ ग्रहण कर सकता है, लेकिन राजस्थानी भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है। ऐसे में राजस्थानी भाषा में शपथ लेने वालों का शपथ मान्य नहीं हुआ।