राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के बड़े भाई और उर्वरक घोटाले में आरोपित अग्रसेन गहलोत पर ‘स्मगलिंग सिंडिकेट का भी हिस्सा होने का आरोप लगाया है। डीआरआई और कस्टम अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई एक इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट में यह आरोप लगाए गए थे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कस्टम ऑथोरिटी द्वारा जुलाई की शुरुआत में अग्रसेन गहलोत से जुड़े मामले की शिकायत दर्ज की गई थी। यह घोटाला 2013 में सामने आया था। ऑथोरिटी ने उल्लेख किया कि अभियुक्त को यह पहले से पता था कि यह एक स्मगलिंग सिंडिकेट था।
रिपोर्ट के अनुसार, गहलोत ने ‘नकद भुगतान ’प्राप्त करने की बात कबूल कर ली थी, जब उनसे सबूतों के साथ पूछताछ की गई थी। बता दें कि अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत की कंपनी अनुपम कृषि ने इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड को किसानों के लिए निर्धारित पोटाश को निर्यात करके बदले में मोटी रकम ली थी। किसानों के लिए निर्धारित खाद को उन्होंने बिना सरकार की मंजूरी के फर्जी तरीके से विदेशों में निर्यात कर दिया था। गौरतलब है कि उनकी ‘अनुपम कृषि’ नाम की फर्म है, जिसके माध्यम से वे 1980 से पहले से ही फर्टीलाइजर का व्यापार करते आ रहे हैं।
‘सब्सिडी वाले पोटाश’ का कुल निर्यात लगभग 30,000 टन था और इसकी कीमत 130 करोड़ रुपए थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, कस्टम ऑथोरिटी ने 2013 में गहलोत पर 61 करोड़ का जुर्माना भी लगाया था। जाँच से शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, गहलोत सब्सिडी वाले फ़र्टिलाइज़र के ‘एजेंट, डीलर और कस्टोडियन’ थे। मीडिया द्वारा पूछे जाने पर गहलोत ने जाँच रिपोर्ट में डीआरआई द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देने से इनकार कर दिया था।
इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उर्वरक घोटाले के सिलसिले में अशोक गहलोत के भाई के ठिकानों पर छापा मारा था। रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में छह स्थानों पर छापे मारे गए थे। जिनमें जोधपुर भी शामिल था। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में दो स्थान, गुजरात में चार और दिल्ली में एक जगह छापा मारा गया था।
फ़र्टिलाइज़र घोटाला
जब 2007-09 में यूपीए की सरकार थी, तब अग्रसेन गहलोत ने सब्सिडी वाले फर्टीलाइजर का एक्सपोर्ट किया था। पिछले दिनों भी सरकारी एजेंसियों ने कुछ ठिकानों की तलाशी ली थी। जयपुर में अशोक गहलोत के बेटे वैभव से जुड़ी कंपनी के ठिकानों को तलाशा गया था।
ऑपइंडिया ने अपनी एक ख़बर में बताया था कि जहाँ एक तरफ राहुल गाँधी किसानों के हमदर्द बन कर उभरने की कोशिश कर रहे हैं, गुजरात कॉन्ग्रेस के प्रभारी रहे अग्रसेन गहलोत के फर्टीलाइजर स्कैम का सामने आना उनकी योजनाओं पर पानी फेर सकता है। अग्रसेन ने खाद बनाने के लिए आई सामग्रियों का गलत इस्तेमाल किया जबकि ये किसानों के लिए थे। यानी, गरीब किसानों की जगह प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुँचाया गया।
दस्तावेजों के हवाले से हमें बताया था कि जब जयपुर मे अशोक और दिल्ली में मनमोहन राज कर रहे थे, तब बेखौफ अग्रसेन गहलोत ने किसानों के लिए आया कितने ही टन पोटास को एक्सपोर्ट कर दिया और शिपिंग बिल में इसे नमक बताया। साथ ही उसकी वैल्यू भी गलत बताई गई। साथ ही उन्होंने सारे पेमेंट्स कैश में किए, जिससे उसका रिकॉर्ड ठीक से नहीं रखा गया। जबकि अग्रसेन का कहना है कि बिचौलियों ने उनसे किसानों के लिए खाद खरीदा।