Sunday, November 17, 2024
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परषोत्तम रूपाला, महेश शर्मा, ढुल्लू महतो, अतुल गर्ग… जिन-जिन का सोशल मीडिया में ‘खास समूह’ कर रहा था ‘प्रचंड विरोध’, सारे चल रहे हैं आगे

भाजपा नेता परषोत्तम रुपाला का बयान और राजपूत नेताओं के टिकट बदलने को लेकर सोशल मीडिया पर कई एकाउंट्स ने भाजपा को वोट ना देने के लिए अभियान चलाया था। इसमें दावा किया गया था कि भाजपा राजपूतों का राजनीतिक नेतृत्व घटा रही है।

लोकसभा चुनाव 2024 के रुझान लगातार आ रहे हैं। वोटों की गिनती के साथ ही चुनाव के दौरान रहे फैक्टर्स पर भी विश्लेषण चालू हो गया है। 2024 लोकसभा चुनावों में कई सीटों को लकर सोशल मीडिया में भी बड़ा अभियान चलाया गया था। यह अभियान राजपूत वोटरों को लेकर था।

अधिकांश सीटों पर भाजपा को हराने की बात कही गई थी। भाजपा नेता परषोत्तम रुपाला का बयान और राजपूत नेताओं के टिकट बदलने को लेकर सोशल मीडिया पर कई एकाउंट्स ने भाजपा को वोट ना देने के लिए अभियान चलाया था। इसमें दावा किया गया था कि भाजपा राजपूतों का राजनीतिक नेतृत्व घटा रही है। जिन सीटों को लेकर यह आरोप लगाए गए थे, उनकी स्थिति जान लेते हैं।

राजकोट: परषोत्तम रुपाला पर कोई असर नहीं

राजपूत विरोध का सबसे बड़ा केंद्र गुजरात के राजकोट से भाजपा प्रत्याशी परषोत्तम रुपाला थे। उनके एक बयान को लेकर राजपूतों के बड़े वर्ग ने नाराजगी जताई थी। उनके विरोध में सोशल मीडिया पर अभियान चलाया गया था। परषोत्तम रुपाला ने इस बयान को लेकर माफ़ी भी माँगी थी। हालाँकि, चुनावों तक उनके विरुद्ध बड़ा कैम्पेन चलाया गया और उन्हें हराने की बात कही गई। रुपाला के खिलाफ चलाए गए अभियान का उन पर कोई असर पड़ता नहीं दिखा है।

रुपाला गुजरात की राजकोट सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें 1:30 बजे तक 6.78 लाख वोट हासिल हो चुके थे। वह कॉन्ग्रेस प्रत्याशी धनानी परेश से 3.96 लाख वोट से आगे हैं। ऐसे में उनकी जीत तय मानी जानी चाहिए। राजपूत विरोध का असर जमीन पर नहीं दिख रहा है।

नोएडा: जमीन पर नहीं दिखा विरोध

उत्तर प्रदेश की गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) सीट पर भी भाजपा के उम्मीदवार महेश शर्मा का विरोध हुआ था। महेश शर्मा को लेकर सोशल मीडिया पर विरोध जताया गया था और उनके बदले सपा और बसपा को वोट देने की अपील की गई थी। हालांकि, जमीन पर यह असर नहीं दिखा। गौतम बुद्ध नगर सीट पर महेश शर्मा को 12:30 तक 4.4 लाख से अधिक वोट मिल चुके थे। वह सपा से 2.72 लाख वोट मिले हैं। यहाँ सोशल मीडिया पर गुर्जरों के मुद्दे उठाने को लेकर समर्थन को लेकर भाजपा का विरोध करने को कहा गया था जिसका असर नहीं दिख रहा।

धनबाद: टिकट काटने को लेकर विरोध

झारखंड की धनबाद सीट पर मौजूदा सांसद पशुपति नाथ सिंह का टिकट काट कर ढुल्लू महतो को देने को लेकर काफी विरोध जताया गया था। इसे राजपूत उम्मीदवार की राजनीति खत्म करने का प्रयास बताया गया था।

ढुल्लू महतो विरुद्ध सोशल मीडिया पर अभियान चला था और इस सीट पर कॉन्ग्रेस की अनुपमा सिंह को जिताने की अपील की गई थी। इस सोशल मीडिया के विरोध का असर जमीनी मतदाताओं पर नहीं दिखा है। ढुल्लू महतो 2.05 लाख वोटों के साथ अनुपमा सिंह से आगे चल रहे हैं। उन्हें 57,594 वोटों की बढ़त हासिल है। ऐसे में इस सीट पर सोशल मीडिया का असर नगण्य हुआ है।

गाजियाबाद: अतुल गर्ग आगे

गाजियाबाद सीट को लेकर भी सोशल मीडिया पर अभियान चलाया गया था। गाजियाबाद की सीट से सांसद रहे जनरल वीके सिंह ने सांसद चुनाव ना लड़ने का निर्णय किया था। जिसके बाद भाजपा ने अतुल गर्ग को टिकट दिया था। सोशल मीडिया पर यह अभियान चलाया गया था कि राजपूत उम्मीदवार का टिकट काट कर वैश्य समाज को दिया गया है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर राजपूत हैंडल्स ने भाजपा के बायकाट करने को कहा था।

हालाँकि, यह सोशल मीडिया का विरोध जमीन पर नहीं पहुँचा। अतुल गर्ग 3.6 लाख वोट पा चुके हैं और अपनी प्रतिद्वंदी डॉली शर्मा से 1.24 लाख से आगे हैं। आगे यह अंतर और बढ़ने के कयास हैं। सोशल मीडिया पर चले इस अभियान को लेकर यह भी आरोप लगे गए थे कि राजपूत राजनीति के नाम पर सोशल मीडिया चलाने वाले कई लोग मुस्लिम हैं जो कि हिन्दू वोटों को बाँटना चाहते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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