कर्नाटक की 14 महीने पुरानी कॉन्ग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार का गिरना करीब-करीब तय हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुंबई में डटे बागी विधायकों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे गुरुवार को विधानसभा सत्र में हिस्सा नहीं लेंगे। कल एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार के विश्वास मत पर मतदान होना है। मुख्यमंत्री ने पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साध ली है, जबकि कॉन्ग्रेस नेता और राज्य सरकार में मंत्री डीके शिवकुमार ने कहा है कि पार्टी ह्विप जारी करेगी और दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई करेगी।
Hearing on Karnataka rebel MLAs case in SC: Supreme Court in its order says, “the Karnataka Speaker cannot be forced to take a decision within a time frame.” pic.twitter.com/9cOT8eTL6f
— ANI (@ANI) July 17, 2019
इससे पहले 15 बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन विधायकों को सदन की कार्रवाई में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। साथ ही इन पर पार्टी का ह्विप भी लागू नहीं होगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष नियमों के मुताबिक अपना फैसला देने को स्वतंत्र हैं। पीठ ने यह भी कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को तय समय सीमा के भीतर फैसला लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
Chief Minister of Karnataka, HD Kumaraswamy offers prayers at Sri Sringeri Shankara Mutt in Shankarapuram. #Karnataka pic.twitter.com/qzRyA2tb5s
— ANI (@ANI) July 17, 2019
विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा है कि वे शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं और संवैधानिक अधिकारों के दायरे में फैसला करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा नेता जगदीश शेट्टार ने कहा है कि कुमारस्वामी के कारण राज्य में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई और उन्हें समय गॅंवाए बिना इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस फैसले को बागी विधायकों की नैतिक जीत बताते हुए कहा है कि सरकार बहुमत खो चुकी है और कुमारस्वामी को इस्तीफा दे देना चाहिए।
BS Yeddyurappa, BJP: Karnataka CM has lost his mandate, when there is no majority he must resign tomorrow. I welcome SC’s decision, it’s the victory of constitution&democracy, a moral victory for rebel MLAs. It’s only an interim order, SC will decide powers of Speaker in future. pic.twitter.com/LAPOFsHDK8
— ANI (@ANI) July 17, 2019
बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष पर जान-बूझकर उनके इस्तीफे पर फैसला नहीं करने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
Rebel #Karnataka MLAs in #Mumbai: We honour Supreme Court’s verdict. We all are together. We stand by our decision. There is no question of going to the Assembly. pic.twitter.com/56z1XdPnMj
— ANI (@ANI) July 17, 2019
225 सदस्यीय विधानसभा में कॉन्ग्रेस के 79, जदएस के 37, बीजेपी के 105, दो निर्दलीय, एक बीएसपी का विधायक है। इनमें से कॉन्ग्रेस के 13 और जदएस के तीन विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। यदि बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया जाता है या उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है या फिर वे विश्वासमत में भाग नहीं लेते हैं तो बहुमत के लिए 105 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी। इस सूरत में सरकार के पास विधानसभा अध्यक्ष और बसपा विधायक समेत 101 सदस्यों का ही समर्थन होगा। एकमात्र मनोनीत सदस्य मतदान नहीं कर सकते और निर्दलीय विधायक पहले ही भाजपा को समर्थन देने की बात कह चुके हैं। ऐसे में सरकार बचाने के लिए कॉन्ग्रेस-जदएस को या तो बागी विधायकों में से कम से कम छह को विश्वासमत के दौरान पक्ष में मतदान करने के लिए मनाना होगा या फिर बीजेपी के खेमे में सेंधमारी करनी होगी।