मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस की करारी हार के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ के ख़िलाफ़ बग़ावत के स्वर उठ रहे हैं। इसमें अब राज्य की एक कैबिनेट मंत्री का नाम भी शामिल हो गया है। मध्य प्रदेश की बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने कहा कि अब ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि अपने छोटे से कार्यकाल में राज्य सरकार ने विकास के लिए बहुत कुछ करने का प्रयास किया लेकिन लोकसभा चुनावों के बाद लगता है कि कहीं न कहीं कुछ कमी रह गई है। माना जा रहा है कि राज्य में सत्ता के दो केंद्र होने से बचने के कारण सिंधिया को यूपी का प्रभार दिया गया था।
इमरती देवी के बयान के बाद पार्टी में हलचल तेज़ हो गई। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेतृत्व को अब सिंधिया को कमान देने के विषय में सोचना चाहिए। उन्होंने राहुल गाँधी से ‘महाराज’ को प्रदेश की कमान देने की माँग की। सिंधिया के समर्थन में उन्होंने आगे कहा, “मैं महाराज सिंधिया से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हूँ। गुना-शिवपुरी सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार की वजह ईवीएम में गड़बड़ी भी हो सकती है।” इमरती देवी के बाद कई अन्य नेताओं ने भी बग़ावती तेवर दिखाए।
एमपी में कांग्रेस की दुर्दशा के बाद सीएम कमलनाथ पर उठने लगे सवाल ! | MPTAKhttps://t.co/lAA4u8pQbq pic.twitter.com/MWTsXKH98c
— MP Tak (@MPTakOfficial) May 26, 2019
कमलनाथ मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं, ऐसे में राज्य में कॉन्ग्रेस के कोषाध्यक्ष गोविन्द गोयल ने भी उन्हें हार की ज़िम्मेदारी लेने को कहा है। उन्होंने कहा कि कमलनाथ ने पहले ही कहा था कि मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके पास पार्टी के लिए समय नहीं रहेगा। बता दें कि कमलनाथ ने चुनाव से पहले राज्य कैबिनेट के मंत्रियों को अपने-अपने क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस को बढ़त दिलाने को कहा था। मुख्यमंत्री ने पार्टी को घाटा होने की स्थिति में मंत्रियों पर कार्रवाई करने की बात भी कही थी।
विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस के बाग़ी हुए नेता निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह ठाकुर ने भी कहा कि पार्टी का कमजोर संगठन और ग़लत प्रत्याशी चयन हार का बड़ा कारण रहा। उन्होंने कहा कि खंडवा सीट पर अरुण यादव और भोपाल सीट पर दिग्विजय सिंह को उतारना पार्टी का ग़लत फैसला था। अन्य कॉन्ग्रेस नेताओं जैसे लक्ष्मण सिंह और पीसी शर्मा ने भी बग़ावती तेवर दिखाते हुए बयान दिए। बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ख़ुद लगभग सवा एक लाख मतों से गुना लोकसभा सीट से हार चुके हैं।