बिहार की राजनीति में कई ऐसे चेहरे हैं जिन पर अपराधिक आरोप हैं तो कई ऐसे भी हैं जो आपराधिक गतिविधियों में अभी भी शामिल हैं। आतंक ऐसा है कि इनके नाम के पहले ‘बाहुबली’ जोड़ा जाता है। वैसे तो इनका धंधा काला होता है लेकिन अपनी कॉलर को सफेद रखने के लिए ये राजनीति का दामन थाम लेते हैं।
हम बात कर रहे हैं पटना के दानापुर के MLC रीतलाल यादव की, जिसका आतंक पटना समेत पूरे सूबे में कुछ इस तरह कायम है कि जेल में कैद रहने के बावजूद भी लाखों-करोड़ों का हफ्ता वसूली, अवैध जमीन कब्जा, रंगदारी का काम किया जाता है।
पटना के कोथवाँ गाँव के रहने वाले रीतलाल यादव के नाम का सिक्का कभी रेलवे के ठेकाओं में चलता था। रीतलाल यादव पेशे से ठेकेदार रहे हैं। दानापुर में सड़क और रेल सेवाओं का अच्छा नेटवर्क है। कहा जाता है कि रेलवे के ठेकों ने ही रीतलाल को इतना बड़ा बना दिया कि पूरे इलाके में लोग उसे जानने लगे। 90 के दशक में रीतलाल का खौफ इस कदर था कि उनके रहते रेलवे के टेंडर किसी और को नहीं मिल सकता था। फिर उसका नाम अपराधों में भी आने लगा। इसी तरह धीरे-धीरे रीतलाल पर मुकदमों की संख्या बढ़ती चली गई।
90 के दशक में पटना से लेकर दानापुर तक रीतलाल यादव के नाम की तूती बोलती थी। साल 2015 में लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के टिकट पर दानापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुका रीतलाल यादव अभी एमएलसी है। जेल में रहते हुए ही वो स्वतंत्र रूप से एमएलसी चुना गया था।
BJP नेता की हत्या का संगीन आरोप
रीतलाल यादव पर बीजेपी नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या का संगीन आरोप है। इसके अलावा रीतलाल यादव के दूसरे अपराधों की फेहरिस्त काफी लंबी है जिस वजह से वो कई सालों से जेल में ही बंद हैं।
हफ्ता वसूली, अवैध जमीन कब्जा और रंगदारी रीत लाल यादव का मुख्य पेशा है और इसी वजह से पूरे राज्य में उनके नाम का दहशत रहा है। रीतलाल यादव पर जेल में रहकर ही इन सभी गोरखधंधे और गैरकानूनी कामों को अंजाम देने का आरोप भी लगता रहा है।
जेल में रहकर वसूली का धंधा
रीतलाल यादव भले कई सालों से जेल में बंद रहे हों लेकिन बाहर उसके गुर्गे उनके नाम पर वसूली का धंधा करते हैं। बीते साल रीतलाल यादव के गुर्गों ने एक कोचिंग संस्थान के मालिक से 1 करोड़ रुपए की रंगदारी माँगी थी। गुर्गों को पैसे देने से इनकार करने पर कथित तौर पर जेल से ही रीतलाल यादव ने संस्थान मालिक को पैसे नहीं देने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी थी।
इतना ही नहीं, एक डॉक्टर को बंद लिफाफे में जिंदा कारतूस भेजकर भी रंगदारी माँगने का आरोप रीतलाल यादव और उनके गुर्गों पर हैं। डॉक्टर से रीतलाल यादव के गुर्गों ने कारतूस भेजने के बाद 50 लाख रुपए की रंगदारी माँगी थी।
लालू के करीबी रह चुके रीतलाल यादव का नाम सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी के नेता सत्यानारायण सिंह की हत्या में उछला था। 30 अप्रैल 2003 को जब राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ‘तेल पिलावन-लाठी घुमावन’ रैली कर रहे थे, तब इसी दिन खगौल के जमालुद्दीन चक के पास दिनदहाड़े भाजपा नेता सत्यनारायण सिंह को उनकी ही गाड़ी में गोलियों से भून डाला गया।
शिक्षण संस्थान के संचालक से 1 करोड़ माँगने का आरोप
इस हत्याकांड में रीतलाल यादव का नाम सामने आने के बाद उसे ‘डॉन’ के नाम से जाना जाने लगा। रीतलाल यादव इस वक्त तक मुखिया थे। इस हत्या के बाद काफी हंगामा भी हुआ था। राजद के पूर्व नेता रीतलाल यादव के गुर्गों द्वारा एक बार फिर एक शिक्षण संस्थान के मालिक से 1 करोड़ रूपए रंगदारी की माँग की गई है थी। यह रंगदारी उस वक्त माँगी गई थी जब रीतलाल यादव पटना के बेऊर जेल में कैद थे।
जब जेल में ही पुलिस को मारनी पड़ी रेड
एक डॉक्टर से भी रीतलाल के गुर्गों ने 50 लाख रुपए की रंगदारी माँगी थी। यह वर्ष 2015 की बात है। रीतलाल जेल में ही था। उस समय एक व्यक्ति ने एफआईआर दर्ज करवाई कि रीतलाल उन्हें रेलवे टेंडर नहीं डालने के लिए धमका रहे हैं और रंगदारी भी माँग रहे हैं। इसके बाद रात 4 बजे सैकड़ों पुलिस वाले बेउर जेल पहुँचे और रेड मारी। इस रेड में रीतलाल के वॉर्ड से रेलवे टेंडर से जुड़े कागजात मिले थे। मोबाइल भी मिला था। साथ में एक लोहे की रॉड और दो चाकू भी पुलिस ने जब्त किए थे।
हालाँकि, कहा जाता है कि रीतलाल यादव के आपराधिक जीवन की शुरुआत 90 के दशक में हो चुकी थी। बताया जाता है कि 13 सालों में ही रीतलाल यादव का साम्राज्य पटना जिले में तो फैला ही, दानापुर डीवीजन से निकलने वाले हर रेलवे टेंडर पर उसका और उसके गिरोह का साम्राज्य भी स्थापित हो गया। कहा जाता है कि जिसने भी उसके खिलाफ जाने की कोशिश की उसे भून डाला गया।
जिसके पति का कत्ल किया, उसी भाजपा उम्मीदवार के विरोध में लड़ रहा है चुनाव
बिहार विधान सभा चुनाव में आरजेडी इस बार बाहुबलियों के भरोसे अपनी चुनावी वैतरणी पार करने में जुटी है। इसी कड़ी में राजद ने एक और बाहुबली को टिकट दिया है। रीतलाल यादव RJD के टिकट पर दानापुर चुनाव लड़ रहे हैं। इनके खिलाफ करीब 33 मामले दर्ज हैं।
सबसे बड़ी बात, रीतलाल के खिलाफ जो महिला नेता BJP की टिकट से खड़ी हैं, खुद उनके पति की हत्या का आरोप रीतलाल पर है। रीतलाल को लालू यादव का करीबी माना जाता है और कहा तो यहाँ तक जाता है कि 90 के दशक में पटना से लेकर दानापुर तक रीतलाल का सिक्का चलता था।
इस सीट पर जो BJP की उम्मीदवार हैं, उनका नाम है आशा देवी। आशा देवी चार बार विधायक रह चुकी हैं और मौजूदा सीट से BJP की विधायक हैं। आशा देवी के पति सत्यनारायण सिन्हा की 30 अप्रैल, 2003 को कथित तौर पर दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रीतलाल, आशा देवी के पति की हत्या के मुख्य आरोपित है।
भाजपा नेता की हत्या के बाद रीतलाल तब और चर्चित हो गया, जब उस पर चलती ट्रेन में बख्यिारपुर के पास दो रेलवे ठेकेदारों की हत्या करने का आरोप लगा। इसके बाद रीतलाल ने अपने विरोधी नेऊरा निवासी चुन्नू सिंह की हत्या छठ पर्व के समय घाट पर उस समय कर दी जब वह घाट बनवा रहे थे।
इस घटना के बाद पटना पुलिस और एसटीएफ रीतलाल के पीछे पड़ गई क्योंकि तब चुन्नू को पुलिस का मुखबिर भी माना जा रहा था। पर अपने इलाके में ‘रॉबिन हुड’ की छवि वाले रीतलाल की परछाई भी पुलिस तब तक नहीं पा सकी जब तक वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव के पूर्व उन्होंने खुद अदालत में आत्मसमर्पण नहीं कर दिया।
रीतलाल ने 2010 में जेल में बंद रहते हुए आशा देवी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था, हालाँकि वह हार गया। रीतलाल को लोग ‘डॉन’ कहते हैं। वह पहली बार पूरी तरह चर्चा में 2014 के दौरान आया, जब RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने उसे पार्टी का महासचिव घोषित किया था। लालू ने ऐसा इस वजह से किया, ताकि उसे पाटलिपुत्र से चुनाव लड़ने से रोका जा सके। दरअसल, उस वक्त लालू की बेटी मीसा भारती इस सीट से चुनाव मैदान में थीं।
बताया जाता है कि खुद लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी मीसा भारती को चुनाव जिताने के लिए भी रीतलाल यादव से मदद माँग चुके हैंं। रीतलाल यादव ने लालू प्रसाद को मदद का आश्वासन दिया था हालाँकि मीसा भारती चुनाव हार गई थीं। रीतलाल यादव जेल से दानापुर विधानसभा का चुनाव भी लड़े। बाद में वे एमएलएसी बने। साल 2012 में रीतलाल यादव पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस भी दर्ज किया गया था।
4 सितंबर 2010 में हुआ था गिरफ्तार
हत्या, हत्या की धमकी, डकैती, और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आपराधिक कृत्यों में नाम आने के बाद 4 सितंबर 2010 से ही रीतलाल यादव ज्यादातर समय जेल में बंद हैं। उसे इसी साल 25 जनवरी को सिर्फ 15 दिनों के लिए बेटी की शादी में पैरोल मिली थी। हालाँकि शादी के बाद उन्हें 10 फरवरी को फिर से सरेंडर करना पड़ा।
चार फरवरी को रीतलाल की बेटी अंकिता की शादी थी। बेटी की शादी में मेहमानों को बुलवाने के लिए छपवाए गए कार्ड में रीतलाल यादव की ओर से एक विशेष अनुरोध किया गया था। जिस कारण उनकी बेटी की शादी का कार्ड सोशल मीडिया में काफी वायरल हुआ। साथ ही, रीतलाल यादव भी अचानक चर्चा में आ गया था।
रीतलाल यादव ने अपनी बेटी की शादी के कार्ड के कवर पर ही मोटे अक्षरों में एक अनुरोध प्रकाशित करवाया था। अनुरोध था: ‘आवश्यक सूचना- हथियार लाना वर्जित है।’ मतलब यह कि रीतलाल यादव अपनी बेटी की शादी में आने वाले मेहमानों से यह अपील की थी कि वो अंकिता की शादी में हथियार लेकर न आएँ।
बेऊर जेल से रंगदारी माँगने के बाद दूसरी जेल में किया गया शिफ्ट
पटना की बेऊर जेल में बंद रीतलाल यादव के वहीं से धंधा चलाने और रंगदारी माँगने के कई आरोपों के बाद उन्हें वहाँ से हटाकर भागलपुर के केंद्रीय कारागार में ट्रांसफर कर दिया गया था, जहाँ उन्हें उच्च श्रेणी की जेल में रखा गया था और जेल प्रशासन पर कई तरह की सुविधाएँ देने का आरोप लगा था।
कोरोना काल में फिर तोड़ा कानून, दर्ज हुई एफआईआर
साल 2012 में प्रवर्तन निदेशालय ने रीतलाल यादव के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किया था जिसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ा था। वो कई सालों से पटना की बेऊर जेल में बंद था। 2020 में कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान ही पटना हाईकोर्ट ने उसे इस मामले में तय सजा से ज्यादा समय तक ट्रायल के दौरान ही सजा काटने लेने की वजह से जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया था।
जमानत पर बाहर आते ही रीतलाल यादव ने एक बार फिर अपना शक्ति प्रदर्शन किया और लॉकडाउन के दौरान ही 30-40 गाड़ियों का काफिला लेकर अपने समर्थकों के साथ अपने क्षेत्र हाथीखाना मोड़ के पास जुट गए। सरकारी आदेशों का उलंघन करने के आरोप में रीतलाल यादव समेत करीब सौ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
बता दें कि रीतलाल और उसकी पत्नी के पास दस करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है। चुनावी हलफनामे के अनुसार, इसमें आरजेडी प्रत्याशी के पास 350 ग्राम सोना है। उसकी पत्नी और स्कूल टीचर पिंकी यादव के पास 150 ग्राम सोना है। खास बात है कि करोड़ों रुपए की संपत्ति का मालिक होने के बावजूद दोनों के पास कार या मोटरसाइकिल तक नहीं है।
रीतलाल के बैंक में 48,29,053 रुपए जमा हैं और 18.48 लाख रुपए का शेयर व बॉन्ड हैं। उसकी पत्नी के बैंक में 12.90 लाख रुपए जमा है। हलफनामे में रीतलाल ने बताया कि उसकी आय का स्त्रोत एमएलसी का वेतन है। आरजेडी उम्मीदवार रीतलाल के पास कुल 6.4 करोड़ रुपए की जमीन जायदाद है जबकि उसकी पत्नी 4.58 करोड़ रुपए की संपत्ति की मालकिन है।